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कोरोना वायरस: सबसे व्यस्त रेल नटवर्क को बंद करने से कितना असर होगा?
कोरोना वायरस: सबसे व्यस्त रेल नटवर्क को बंद करने से कितना असर होगा?
भारत का रेल नेटवर्क दुनिया का सबसे लंबा रेल नेटवर्क है.
सरकारी ट्रस्ट इंडिया ब्रैंड इक्विटी फाउंडेशन की वेबसाइट के मुताबिक 13,452 यात्री ट्रेन के ज़रिए क़रीब 2.3 करोड़ लोग 1,23,236 किलोमीटर के दायरे में प्रतिदिन यात्रा करते हैं. कोरोना वायरस के संक्रमण पर अंकुश लगाने के लिए भारत सरकार ने इन यात्री ट्रेनों की सेवा को 31 मार्च, 2020 तक के लिए बंद कर दिया है. रेल को भारत की लाइफ़ लाइन कहा जाता है. ठीक इसी तरह से देश के कई महानगरों में मेट्रो ट्रेनों को परिचालन भी होता है, जिसमें लाखों लोग यात्रा किया करते थे, इन सेवाओं को भी 31 मार्च तक स्थगित कर दिया गया है. दुनिया के सबसे व्यस्ततम शहरी रेल व्यवस्थाओं में एक यानी मुंबई मेट्रो को सोमवार की सुबह से आम लोगों के लिए बंद कर दिया गया है. केवल आवश्यक सेवाओं वाले सरकारी कर्मचारियों को यात्रा करने की इजाजत दी जा रही है. मुंबई के शहरी रेल नेटवर्क से हर साल अस्सी लाख लोग यात्रा करते हैं. दुनिया के सबसे व्यस्ततम रेल नेटवर्क की ट्रेनें हमेशा अपनी क्षमता से तीन गुना ज़्यादा भरी होती हैं. नेटवर्क की वेबसाइट के मुताबिक 459 किलोमीटर लंबे रेल नेटवर्क को मुंबई की लाइफ़ लाइन कहा जाता है. इस वेबसाइट में यह भी दावा किया गया है कि नेटवर्क की ट्रेनें एक सप्ताह में चंद्रमा तक की दूरी तय कर लेती हैं. 66 साल पुराने इस रेल नेटवर्क प्रति दिन प्रति किलोमीटर करीब 60 हज़ार लोग यात्रा करते हैं. आधिकारियों के मुताबिक यह दुनिया के किसी भी यात्री रेल सेवा में सबसे ज़्यादा है. मुंबई की इन ट्रेन कोचों में लोगों की भीड़ उठाने की क्षमता को रेलवे अधिकारी एक दूसरे पर लद रही भीड़ को ढोने की क्षमता बताते हैं. इसका मतलब यह हुआ है कि नौ कोच वाली ट्रेन को 1800 खड़े यात्रियों को ढोने की क्षमता होती है लेकिन अराउंड इंडिया इन 80 ट्रेन्स किताब लिख चुकीं मोनिसा राजेश बताती हैं कि इन कोचों में अमूमन 7000 यात्री सफ़र करते हैं. उन्होंने लिखा है, "मुंबई की लोकल ट्रेन निश्चित तौर पर कमजोर दिल वाली नहीं होती हैं."
ट्रैफिक में 27 फ़ीसदी की कमी
रेलवे के वरिष्ठ जनसंपर्क अधिकारी शिवाजी सुतार दावा कर रहे थे कि मुंबई लोकल इस वायरस के ख़िलाफ़ जागरूकता बढ़ाने के लिए तीव्र अभियान चला रहा था, जागरूकता संबंधी घोषणाएं की जा रही थीं, पोस्टर लगाए गए थे और वायरस के संबंध में जानकारी देने के लिए वीडियो दिखाए जा रहे थे. इसके अलावा भीड़ की निगरानी, ट्रेन की साफ़ सफ़ाई हो रही थी. जागरूकता अभियान और पैनिक के चलते इस नेटवर्क के ट्रैफिक में 27 फीसदी की कमी आंकी गई थी, लेकिन सोमवार से पहले तक लाखों लोग रोजाना इस नेटवर्क का इस्तेमाल कर रहे थे. मुंबई लोकल का तीन दशकों से इस्तेमाल कर रही रेखा होजे बताती हैं,
“हमलोगों में से अधिकांश लोग काम पर जाने के लिए इसका इस्तेमाल कर रहे थे. अभी भी सभी कंपनियों को वर्क फ्रॉम होम के लिए सरकार की तरफ से निर्देश नहीं मिले हैं. यात्री मास्क जरूर पहन रहे थे लेकिन इससे ज़्यादा बचाव का दूसरा तरीका मुझे नहीं दिखा.” कोरोना वायरस के संक्रमण को देखते हुए यह कोई अच्छी ख़बर तो नहीं थी और इसके चलते ही मुंबई लोकल ही नहीं भारतीय रेल नेटवर्क को अपनी सेवाओं को 31 मार्च तक बंद करना पड़ा.