हिंदुत्व और गाँधीजी का रामराज्य-PART-5 मनोज जोशी
हिंदुत्व और गॉंधी जी का राम राज्य (५)(गतांक से आगे)
जब हम हिंदुत्व के बारे में गाँधीजी के विचार जानने की कोशिश करते हैं तो पता चलता है कि वे हिंदू धर्म की वर्णाश्रम व्यवस्था के बड़े हिमायती थे। गाँधीजी छुआछूत के विरोधी थे। अंतरजातीय विवाह के पक्षधर थे। जातिवाद को नहीं मानते थे। लेकिन वर्ण व्यवस्था के हिमायती थे। अपनी पुस्तक ‘मेरे सपनों का भारत’ में महात्मा गॉंधी ने इस बारे में बहुत विस्तार से लिखा है। गॉंधी जी के शब्दों में ‘वर्णाश्रम धर्म बताता है कि दुनिया में मनुष्य य सच्चा लक्ष्य क्या है। उसका जन्म इसलिए नहीं हुआ है कि वह रोज-रोज ज्यादा पैसा इकटठा करने के रास्ते खोजे और जीविका के नए-नए साधनों की खोज करे। उसका जन्म तो इसलिए हुआ है कि वह अपनी शक्ति का प्रत्येक अणु अपने निर्माता को जानने में लगाएँ। इसलिए वर्णामश्र-धर्म कहता है। कि अपने शरीर के निर्वाह के लिए मनुष्य अपने पूर्वजों का ही धंधा करें। बस, वर्णाश्रम धर्म का आशय इतना ही है।’ वे आगे लिखते हैं ‘वर्ण-व्यवस्था में समाज की चौमुखी रचना ही मुझे तो असली, कुदरती और जरूरी चीज दीखती है। बेशुमार जातियों और उपजातियों से कभी-कभी कुछ आसान हुई होगी, लेकिन इसमें शक नहीं कि ज्यादातर तो जातियों से अड़चन ही पैदा होती है। ऐसी उपजातियाँ जितनी एक हो जाएँ उतना ही उसमें समाज का भला है।’ सब हिंदू स्वयं को शूद्र कहने लगें- इसके आगे गॉंधी जी ने जो लिखा है वह उनके हिंदू धर्म की बुराइयों के सुधार की ललक बताता है। गॉंधीजी लिखते हैं ‘आज तो ब्राह्मणों, क्षत्रियों, वैश्यों और शूद्रों के केवल नाम ही रह गए हैं। वर्ण का मैं जो अर्थ करता हूँ उसकी दृष्टि से देखें, तो वर्णों का पूरा संकर हो गया है और ऐसी हालत में मैं तो यह चाहता हूँ कि सब हिंदू अपने को स्वेच्छापूर्वक शूद्र कहने लगे। ब्राह्मण-धर्म की सच्चाई को उजागर करने और सच्चे वर्ण-धर्म को पुन: जीवित करने का यही एक रास्ता है।’सोचिए गॉंधीजी यह बात लगभग 100 साल पहले लिख रहे हैं। अज्ञान के शिकार हो गए हैं हिंदू- हिंदू धर्म ने वर्ण-धर्म की तलाश करके और उसका प्रयोग करके दुनिया को चौंकाया है। जब हिंदू अज्ञान के शिकार हो गए, तब वर्ण के अनुचित उपयोग के कारण अनगिनत जातियाँ बनीं और रोटी-बेटी व्यवहार के अनावश्यक और हानिकारक बंधन पैदा हो गए। वर्ण-धर्म का इन पाबंदियों के साथ कोई नाता नहीं है। अलग-अलग वर्ण के लोग आपस में रोटी-बेटी व्यवहार रख सकते हैं। चरित्र और तंदुरुस्ती के खातिर ये बंधन जरूरी हो सकते हैं। लेकिन जो ब्राह्मण शूद्र की लड़की से या शूद्र ब्राह्मण की लड़की से ब्याह करता है वह वर्ण-धर्म को नहीं मिटाता। छुआछूत वर्णाश्रम के कारण नहीं- इसी तरह अस्पृश्यता की बुराई से खीझकर जाति-व्यवस्था का ही नाश करना उतना ही गलत होगा, जितना कि शरीर में कोई कुरूप वृद्धि हो जाए तो शरीर का या फसल में ज्यादा घास-पास उगा हुआ दिखे तो फसल का ही नाश कर डालना है। इसलिए अस्पृश्यता का नाश तो जरूर करना है। संपूर्ण जाति-व्यवस्था को बचाना हो तो समाज में बढ़ी हुई इस हानिकारक बुराई को दूर करना ही होगा। अस्पृश्यता जाति-व्यवस्था की उपज नहीं है, बल्कि उस ऊँच-नीच-भेद की भावना का परिणाम है, जो हिंदू धर्म में घुस गई है और उसे भीतर-ही-भीतर कुतर रही है। इसलिए अस्पृश्यता के खिलाफ हमारा आक्रमण इस ऊँच-नीच की भावना के खिलाफ ही है। ज्यों ही अस्पृश्यता नष्ट होगी जाति-व्यवस्था स्वयं शुद्ध हो जाएगी; यानी मेरे सपने के अनुसार वह चार वर्णों वाली सच्ची वर्ण-व्यवस्था का रूप ले लेगी। ये चारों वर्ण एक-दूसरे के पूरक और सहायक होंगे, उनमें से कोई किसी से छोटा-बड़ा नहीं होगा; प्रत्येक वर्ण हिंदू धर्म के शरीर के पोषण के लिए समान रूप से आवश्यक होगा। गॉंधीजी के इन विचारों को जानकर तो आज के बुद्धिजीवी उन्हें कट्टरवादी और पता नहीं क्या-क्या कहने लगेंगे। लेकिन मेरी नजर में यह हमारी प्राचीन जीवनशैली यानी हिंदू संस्कृति के प्रति गॉंधीजी की श्रृद्धा और विश्वास ही है। और गॉंधीजी इसमें आई बुराइयों को दूर करना चाहते थे। (क्रमशः)
साभार: MANOJ JOSHI - 9977008211 डिसक्लेमर : ऊपर व्यक्त विचार लेखक के अपने हैं ये भी पढ़ें हिंदुत्व और गाँधीजी का रामराज्य भाग-1 हिंदुत्व और गाँधीजी का रामराज्य भाग-2 हिंदुत्व और गाँधीजी का रामराज्य भाग 3 हिंदुत्व और गाँधीजी का रामराज्य भाग 4 हिंदुत्व और गाँधीजी का रामराज्य,Gandhi's 'Ram Rajya',Swaraj and Ramrajya ,Revisiting Gandhi's Ram Rajya ,Gandhi envisioned Ram Rajya,What was Gandhi's view on Rama Rajya?,गांधी का 'रामराज्य',Mahatma Gandhi imagined 'Ram Rajya',In Ram's rajya In Ram's rajya,Gandhiji had first explained the meaning of Ramrajya,what was Gandhi's concept of ramrajya ,Ramarajya: Gandhi's Model of Governance Ramarajya: ,Gandhi's Model of Governance,Gandhiji wanted to establish Ram Rajya ,Creating Bapu's Ram Rajya ,Gandhi and Hinduism,India's journey towards Hindutva,What Hinduism meant to Gandhi