स्टोरी हाइलाइट्स
यदि निम्न लक्षण आपको दिखाई दे तो आप समझ सकते हैं कि मां आदिशक्ति क्रिया कर रही है...कैसे पता लगे कि कुंडलिनी जागृत हो चुकी है ?...कुंडलिनी जागृत
कैसे पता लगे कि कुंडलिनी जागृत हो चुकी है ?
कैसे पता लगे कि कुंडलिनी जागृत हो चुकी है? यदि निम्न लक्षण आपको दिखाई दे तो आप समझ सकते हैं कि मां आदिशक्ति क्रिया कर रही है या उसकी क्रिया का विस्तार हो रहा है--
1. यदि साधना करते हुए कुछ देर साधना में बैठने के बाद आपको बहुत तेज पेशाब की शिकायत होती है और ऐसा बार-बार होता है तो यह लक्षण है कि आपकी ऊर्जा क्रियाशील हो गई है अब वह मूल आधार एवं स्वाधिष्ठान को शक्तिशाली बनाने का प्रयास कर रही है ।
2. यदि ध्यान करते हुए आपकी रीढ़ की हड्डी गर्म महसूस होती है तो समझ लीजिए ऊर्जा जागृत हो चुकी है और ऊर्जा उधर्व गमन कर रही है।
3.यदि आसन में बैठे हुए मूलाधार चक्र में आपको चिंटिंया चलने जैसा अनुभव होता है तो समझ लीजिए कि ऊर्जा क्रियाशील हो रही है ।
4. यदि ध्यान में बैठे हुए अपने आप आपके शरीर में झटके लगने लगते हैं तो समझ लीजिए ऊर्जा क्रियाशील हो गई है।
5. यदि ध्यान में बैठे हुए अपने आप आपकी स्वास अत्यंत गहरी एवं धीमी हो गई है और उसके प्रभाव से आपको जहां पर ध्यान लगा रहे हैं वहां पर प्रकाश का साक्षात्कार हो रहा है तो समझ लीजिए उर्जा जागृत हो रही है।
6. आप यदि किसी भी चक्र पर ध्यान लगाते हैं और उस चक्र में आपको प्रकाश दिखाई देने लगता है तो निश्चित मान कर चलिए आपकी ऊर्जा सक्रिय हो चुकी है।
7. ध्यान करते हुए यदि आपकी गर्दन में झटके लगते हैं तो समझ लीजिए ऊर्जा कंठ चक्र अर्थात विशुद्धि चक्र तक आ चुकी है।
8.आज्ञा चक्र पर ध्यान लगाते हुए यदि आपको आज्ञा चक्र पर प्रकाश का साक्षात्कार होता है और मशीन से ड्रिल करने जैसा अनुभव होता है । ऐसा लगता है जैसे कि आज्ञा चक्र स्थान पर ड्रिल करके प्रकाश को आरपार निकाला जा रहा है तो मान कर चलिए आपकी ऊर्जा आज्ञा चक्र तक आ चुकी है।
9. यदि आज्ञा चक्र पर ध्यान लगाने का प्रयास करने पर भी ध्यान ललाट मध्य जाकर स्थिर होता है तो समझ लीजिए उर्जा आज्ञा चक्र से ऊपर उठ रही है।
10. यदि ध्यान करते हुए आपको असीम आनंद की अनुभूति होने लगी है तो समझ लीजिए आपकी ऊर्जा आज्ञा चक्र को पार करके सहस्रार चक्र तक पहुंचने लगी है।
11. यदि आपका ध्यान ललाट के सबसे ऊपरी भाग पर पूर्ण स्थिरता से लगने लगा है और वहां पर आपको पूर्ण प्रकाश का साक्षात्कार होने लगा है।असीम आनंद की अनुभूति होने लगी है ।मस्तिष्क मध्य श्वेत शीतल प्रकाश के साथ अमृत के स्राव का अहसास होने लगा है तो समझ लीजिए आपकी ऊर्जा सहस्रार चक्र का विस्तार करने लगी है और शरीर स्थित समस्त देवताओं के द्वारा अमृत पान होने लगा है।
12. यदि आपको अपने मस्तिष्क के अंदर अपने आप कोई ध्वनि सुनाई देने लगी है तो आप मान लीजिए कि नाद जागरण हो रहा है और इसका अर्थ है ऊर्जा आज्ञा चक्र से ऊपर आ चुकी है ।
13.यदि आपने मूलाधार चक्र पर ध्यान किया और कंपन सहस्रार चक्र पर महसूस होते हैं ।जिस प्रकार से फंवारा चलता है ,वैसा अनुभव होता है। श्वेत शीतल प्रकाश सहस्रार चक्र में निकलता हुआ दिखाई देता है तो समझ लीजिए आपकी कुंडलिनी ऊर्जा का प्रवाह मूलाधार से सहस्रार चक्र तक सुचारू रूप से होने लगा है। बस इन लक्षणों से आप अपने आप का मूल्यांकन कीजिए ।संपूर्ण सत्य आपको समझ में आने लगेगा।
-- रामेश्वर हिंदू , अखिल विश्व गायत्री परिवार अकलेरा
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