ब्रह्मज्ञान क्या है? क्या कुंडलिनी जागरण से ब्रह्मज्ञान होता है? अतुल विनोद 


स्टोरी हाइलाइट्स

अनंत जीवन की तलाश के लिए हमारे सामने कई तरह के विधि विधान सामने आते हैं| हमारे सामने अनेक तरह के ग्रंथ भी सामने आते हैं| आत्म साक्षात्कार, kundalini जागरण

ब्रह्मज्ञान क्या है? क्या कुंडलिनी जागरण से ब्रह्मज्ञान होता है? अतुल विनोद  हम सब अपने सामान्य जीवन के अतिरिक्त ऐसे जीवन की तलाश में है जो शाश्वत, अनंत, परम और  चरम हो।  अनंत जीवन की तलाश के लिए हमारे सामने कई तरह के विधि विधान सामने आते हैं| हमारे सामने अनेक तरह के ग्रंथ भी सामने आते हैं| आत्म साक्षात्कार, kundalini जागरण, आत्मज्ञान को बताने पतंजलि योग सूत्र, घेरंड संहिता, शिव संहिता, गीता जो बातें कही गई हैं कई बार उनसे भ्रम भी खड़ा हो जाता है| इसके अलावा हमारे सामने भक्तियोग, कर्मयोग, ज्ञानयोग,ध्यान योग जैसे कई sadhna विधान भी मौजूद है ये सब आखिर में एक ही मूल उद्देश्य की तरफ हमें ले जाते हैं| कुण्डलिनी शक्ति क्या है? इसकी जाग्रति के बिना आध्यात्मिक प्रगति संभव नहीं -दिनेश मालवीय हमारा मूल उद्देश्य है क्या? क्या हम वास्तव में आत्मज्ञान चाहते हैं? क्या हम आत्मज्ञान के द्वारा मुक्ति चाहते हैं या हम आत्मा में स्थित होना चाहते हैं? या हम उस परमात्मा में विलीन होना चाहते हैं? हम जन्म जन्मांतर के चक्रों से बाहर होना चाहते हैं? उद्देश्य अलग-अलग होते हैं, दरअसल उद्देश्य का निर्धारण हो ही नहीं पाता, क्योंकि हमें खुद ही पता नहीं होता कि हम वास्तव में चाहते क्या हैं?  किसी ने मुक्ति की बात की तो हम मुक्ति की तरफ आकर्षित हो जाते हैं, किसी ने आत्मज्ञान की बात की तो हम आत्मज्ञान की तरफ आकर्षित हो जाते हैं| अध्यात्मिक उन्नति क्या है? Signs of Spiritual Progress : कुण्डलिनी और अध्यात्म का विज्ञान .. अतुल विनोद पाठक किसी ने कहा कि अपनी चेतना का विकास करो तो चेतना के विकास से अट्रैक्ट हो जाते हैं| किसी ने कहा कि कुंडलिनी जागरण करो तो कुंडलिनी जागरण से अट्रैक्ट हो जाते हैं| किसी ने कहा कि शक्ति हासिल करो शक्ति हासिल करने में लग जाते हैं| यदि हम अध्ययन मनन चिंतन का रास्ता अपनाते हैं तो हमारी इच्छा होती है कि हम इसके जरिए इस सृष्टि के संपूर्ण ज्ञान को अर्जित कर अपने संस्कारों को या तो मिटा दे या अच्छे अच्छे संस्कार अर्जित कर लें| ध्यान और कुण्डलिनी जागरण के वास्तविक और काल्पनिक अनुभवों को कैसे समझें ? कर्मयोग के जरिए हम कर्मेंद्रियों से यत्न करते हुए जीवन को सार्थक बनाने की कोशिश करते हैं| भक्ति योग के जरिए हम नाम संकीर्तन में लगे रहते हैं और परमात्मा की कृपा चाहते हैं| अलग-अलग साधनाएं हैं| एक साधना में शरीर का आश्रय है| दूसरी साधना प्राण पर निर्भर है| तीसरे में मन का उपयोग है| चौथे में कर्म इंद्रियों का उपयोग है और पांचवें में स्मरण शक्ति का।  कुण्डलिनी जागरण के लक्षण क्या हैं? What are the symptoms of Kundalini awakening? सभी मार्ग वास्तव में संपूर्ण मार्ग नहीं| यह हमारे जीवन को संपूर्णता में अभिव्यक्त करने की क्षमता नहीं रखते कहीं| ना कहीं हम अपने मूल उद्देश्य का निर्धारण कर पाते हैं| संपूर्ण योग इन सबका योग है| संपूर्ण योग ही हमें ज्ञान देता है कर्मों में दक्ष बनाता है, शरीर की शक्तियों का जागरण करता है, वास्तविक भक्ति और वैराग्य पैदा करता है| अलग-अलग मार्ग, अलग-अलग तरह की उन्नति देते हैं लेकिन संपूर्ण उन्नति नहीं देते।  कुण्डलिनी जागरण और एक्टिवेशन में क्या अंतर है? वास्तव में संपूर्ण उन्नति है क्या? क्या मुक्ति का मार्ग ही संपूर्ण उन्नति का मार्ग है? क्या इस जीवन की उपेक्षा कर देना ही संपूर्ण उन्नति का मार्ग है| क्या अपने कर्तव्यों से दूर भागना उन्नति का मार्ग है| दिन-रात योग आसन करना उन्नति का मार्ग है? भक्ति में रमे रहना उन्नति का मार्ग है? प्राणायाम करते रहना उन्नति का मार्ग है? अध्यात्मिक में अपने मूल उद्देश्य को समझना पड़ेगा| इसके लिए सबसे पहले हम जहां हैं उसे स्वीकार करना पड़ेगा|  जैसे हम गृहस्थ  मार्ग में हैं तो हमें अपनी अवस्था को एक्सेप्ट करना होगा| यदि हम बिजनेस में है तो हमें अपने बिजनेस को एक्सेप्ट करना पड़ेगा| यदि हम नौकरी में हैं तो हमें नौकरी एक्सेप्ट करना पड़ेगा| गे बढ़ने के लिए हमें अपने परिवार और कार्य को छोड़ने का विचार त्यागना  पड़ेगा| जब हम अपनी सहज अवस्था को एक्सेप्ट कर लेंगे, स्वीकार कर लेंगे, अपनी परिस्थितियों को, लोगों को आत्मसात कर लेंगे, तब हम अध्यात्म में एक कदम आगे बढ़ेंगे| इसके बाद हमें परमात्मा के बारे में सोच विचार करना पड़ेगा| आखिर परमात्मा है क्या? परमात्मा कौन है? वह कहां रहता है? जब हम परमात्मा के वास्तविक, सर्वव्यापी, सर्वस्पर्शी, सर्वग्राही, सर्व शक्तिशाली, सर्वज्ञ, आकार निराकार के पार swaroop को समझ लेंगे, तब हम उसकी तरफ आगे बढ़ेंगे| अध्यात्म में आमतौर पर कुंडलिनी जागरण को शक्ति का जागरण कहते हैं| वास्तव में kundalini का जागरण किसी शक्ति का जागरण नहीं है| kundalini का जागरण उस देवात्म चेतना का जागरण है जो हमारे मन के पार है| jagrut होने के बाद अपनी ईश्वरीय चेतना से आत्मिक शक्ति से हमें सभी योग मार्गों पर चलाती हुई अंत में आत्मा में स्थित कर देती है|  kundalini के बारे में भले ही कुछ भी लिखा जाए चक्र के बारे में जितना कहा जाए| वास्तव में kundalini ब्रह्म ज्ञान कराने वाली दिव्यसत्ता है जो हमारे अंदर क्रियाशील होकर धीरे धीरे मन की जड़ता,गुलामी, अंधविश्वास, अज्ञान की ग्रंथियों को गला कर धीरे धीरे उसके मूल स्वरूप यानी आत्म स्वरूप तक ले जाती है| मन आत्मा से ही पैदा होता है| लेकिन धीरे-धीरे मन जड़ होने लगता है| विचार, कंडीशनिंग, गुलामी, रीति रिवाज, परंपरा, सिस्टम से बंधकर ठोस होता चला जाता है जड़ हो जाता है| मशीन की तरह टाइप्ड होने लगता है| इस मन को पिघला कर वापस मूल स्वरूप तक ले जाना, जहां से वह पैदा हुआ है, यही कुण्डलिनी शक्ति का कार्य है|  आत्मा सर्वज्ञ है, सर्व शक्तिशाली है, सर्वव्यापी है| उस आत्मा की फील्ड में अनंत मन उसकी शक्ति से पैदा हो जाते हैं, और अपने आप को अज्ञान के कारण सब कुछ समझने लगते हैं| जबकि वास्तव में मन एक आभास है, एक कल्पना है, झूठा अहंकार है जो धीरे-धीरे गहरा होता जाता है| जैसे-जैसे वह अपनी आत्मा से दूर होता जाता है वैसे वैसे वह भटकता जाता है और इसी वजह से जन्म मरण का चक्कर चलता रहता है| मन ऊपर उठने की बजाय नीचे गिरता रहता है| संस्कारों को विसर्जित कर फिर से प्रसव की ओर ले जाना| वापस अपने उद्गम तक पहुंचाना यही kundalini शक्ति का कार्य है| atulyam 7223027059 WHAT IS KUNDALINI? कुण्डलिनी क्या है इन हिंदी? कुंडलिनी जागृत करने से क्या होता है? कुण्डलिनी जागरण का मार्ग क्या है? चक्र जागरण क्या होता है? Kundalini Awakening What Are the Signs & Is It Safe?, Kundalini Energy, What It Is and How to Awaken It Kundalini Yoga, Poses, Benefits, Steps for Beginners, what is kundalini yoga,