मंत्री के चहेते डीएफओ की जांच करने वाली अफसर ही फंस गई आरोपों में: गणेश पाण्डेय


स्टोरी हाइलाइट्स

मंत्री के चहेते डीएफओ की जांच करने वाली अफसर ही फंस गई आरोपों में: वन मंत्री विजय शाह के सबसे चहेते डीएफओ देवास पीएन मिश्रा के खिलाफ.........

मंत्री के चहेते डीएफओ की जांच करने वाली अफसर ही फंस गई आरोपों में

8 साल पुराने मामले को उजागर किया

आधा दर्जन आईएफएस और आ गए जांच के दायरे में

गणेश पाण्डेय
GANESH PANDEY 2भोपाल. वन मंत्री विजय शाह के सबसे चहेते डीएफओ देवास पीएन मिश्रा के खिलाफ जांच प्रतिवेदन देना डॉ किरन बिसेन को महंगा पड़ रहा है. डॉ बिसेन का न केवल इंदौर से पुनः उज्जैन तबादला कर दिया गया, बल्कि उनके खिलाफ 8 साल पुराने छिंदवाड़ा पश्चिम पदस्थी के दौरान गड़बड़ी की फाइल खोल दी गई. दिलचस्प पहलू यह है कि डॉ बिसेन के साथ-साथ बांधवगढ़ नेशनल पार्क के डायरेक्टर विंसेंट रहीम, सिंगरौली डीएफओ मधुराज, संजय चौहान, महेंद्र सिंह और गौरव सिंह भी जांच की जद में आ गए हैं मगर इनके खिलाफ जांच का फरमान अभी तक जारी नहीं हो पाया है.

उज्जैन डीएफओ डॉ किरन बिसेन के खिलाफ जांच रिपोर्ट वन बल प्रमुख राजेश श्रीवास्तव के समक्ष टेबल कर दी गई है. यह जांच प्रतिवेदन प्रमुख सचिव अशोक वर्णवाल की विशेष दिलचस्पी के तहत तैयार की गई है. जांच प्रतिवेदन के अनुसार छिंदवाड़ा पश्चिम वन मंडल में पदस्थी के दौरान डॉ किरन बिसेन पर आरोप है कि वित्तीय वर्ष 2016-17 और 2017-18 में आदिवासी उपयोजना एकीकृत आदिवासी विकास परियोजना के अंतर्गत प्राप्त राशि 88 लाख रूपये का बंदरबांट गैर शासकीय संस्था दिव्य सागर सोसायटी के बीच किया गया. प्रतिवेदन के अनुसार तामिया और सोशल में गौड़ आदिवासी महिलाओं को 'लाख' के उत्पादन और उससे चूड़ी-कंगन बनाने का प्रशिक्षण दिया गया. यह प्रशिक्षण भोपाल की एनजीओ दिव्य सागर सोसायटी द्वारा दिया गया. सूत्रों ने बताया कि सोसायटी को लाख के संदर्भ में कोई विशेषज्ञता नहीं थी. योजना के अंतर्गत हितग्राही के खाते में भुगतान किया जाना था किंतु तत्कालीन डीएफओ पश्चिम छिंदवाड़ा डॉ बिसेन ने सीधे भुगतान एनजीओ को कर दिया गया, जो कि आर्थिक अनियमितता के परिधि में आता है.

mp forest department

डिंडोरी, सिवनी, बालाघाट, बैतूल में भी हुई गड़बड़ी

वन मंत्री विजय शाह के निशाने पर आई डॉ बिसेन के खिलाफ तो जांच हो गई किंतु इसी तरह के गड़बड़ी करने वाले बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के डायरेक्टर विंसेट रहीम, सिंगरौली डीएफओ मधुराज के अलावा महेंद्र सिंह और अशोक कुमार के खिलाफ जांच करने की हरी झंडी विजिलेंस विभाग को नहीं मिली है. यह बात अलग है कि विजिलेंस विभाग ने डॉ किरन बिसेन की जांच प्रतिवेदन के साथ साथ डिंडोरी, सिवनी, बालाघाट और बैतूल डीएफओ की जांच करने का आग्रह किया है. इन वन मंडलों में भी तत्कालीन डीएफओ ने आदिवासी उपयोजना एकीकृत आदिवासी विकास परियोजना के अंतर्गत 'लाख' के प्रशिक्षण के नाम पर लाखों रुपयों का बंदरबांट गैर शासकीय संस्था दिव्य सागर सोसाइटी के बीच हुआ. छिंदवाड़ा पश्चिम वन मण्डल की तरह यहां भी इसी तरीके की गड़बड़ी पाई गई है. सूत्रों की माने तो मधुराज विंसेंट रहीम महेंद्र सिंह और और अशोक कुमार जैसे आईएफएस अधिकारी मैनेजमेंट के माहिर खिलाड़ी है, इसलिए उन्होंने अपने रसूख का इस्तेमाल कर जांच की कार्रवाई को रुकवा रखी है.

तीन करोड़ के घोटाले में उलझे हैं देवास डीएफओ

वन मंत्री विजय शाह के चहेते डीएफओ देवास पीएन मिश्रा ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह की ड्रीम प्रोजेक्ट अमृत योजना को पलीता लगाने से बाज नहीं आए. 3 करोड़ की लागत वाली इस परियोजना में बड़े पैमाने पर वित्तीय गड़बड़ियां हुई हैं. देवास में पदस्थ होने से पहले पीएन मिश्रा उज्जैन के डीएफओ रहे हैं. योजना के अंतर्गत शिप्रा नदी के दोनों और ग्रीन कॉरिडोर बनाया जाना था. इसके लिए 3 करोड रुपए स्वीकृत किए गए थे. तत्कालीन डीएफओ उज्जैन एवं वर्तमान डीएफओ देवास पीएन मिश्रा और रेंजर नर्मदा प्रसाद गुप्ता ने बड़े पैमाने पर गड़बड़ी की पुष्टि हुई है. इसकी जांच कर डॉ किरन बिसेन ने जांच प्रतिवेदन मुख्य वन संरक्षक उज्जैन के जरिये प्रधान मुख्य वन संरक्षक सतपुड़ा मुख्यालय को भेज दिया है. पीएन मिश्रा ने अपने रसूख का इस्तेमाल कर 2 साल से आरोप पत्र जारी नहीं होने दिया.
मिश्रा पर क्या-क्या आरोप है

- चैन लिंक खरीदी में गड़बड़ी, नवीन फेंसिंग कार कराने के पूर्व उस क्षेत्र की फेंसिंग मरम्मत के नाम पर अनियमितता.
- ललित टेंट हाउस को 19 लाख 78 हजार का भुगतान. इस फॉर्म का न तो टिन नंबर है और न ही जीएसटी नंबर.
- भंडार नियमों के उल्लंघन करते हुए मां श्री डेकोरेशन एम कैटरिंग सर्विस को ₹166150 का भुगतान किया गया. जबकि इतनी बड़ी राशि का भुगतान बिना पंजीयन की फर्म को किया गया.
- अधिकतर खरीदी के प्रमाणकों उपवन मंडलाधिकारी के माध्यम से परीक्षण भी नहीं कराया गया.
- नवीन रोपण क्षेत्र में फेंसिंग मरम्मत के नाम पर लाखों रुपए का भुगतान किया गया.
- लैपटॉप और दूरबीन की खरीदी की गई जिसकी अनुमति नहीं ली गई.
- शिप्रा संदेश रघुकुल सप्लायर्स और अन्य फर्मों से बिना दर्शित कराए, किया गया.
- वृक्षारोपण में गड़बड़ी के साथ-साथ पैगोडा निर्माण, पथ-वे निर्माण, सेफ्टी प्वाइंट, ईकोटूरिज्म वर्क जैसे सिविल कार्य अपने चहेते ठेकेदार से कराया. इसकी गुणवत्ता भी घटिया हुई और अधिक दर पर भुगतान किया गया.