सिख धर्म में आनंद कारज यानी शादी को लेकर नई गाइडलाइन जारी की गई है। सिख धर्म में, गुरुद्वारा साहिब में आनंद कारज के दौरान दुल्हन के लिए एक ड्रेस कोड निर्धारित किया जाता है। तख्त श्री हजूर साहिब में सिखों के 5 तख्तों के जत्थेदारों की बैठक के दौरान इस संबंध में एक प्रस्ताव पारित किया गया। जिसके बाद उन्हें सिख धर्म का सख्ती से पालन करने को भी कहा गया है? इसका ठीक से पालन नहीं करने पर कड़ी कार्रवाई किए जाने की भी चेतावनी दी।
हाल ही में जारी किए गए निर्देशों में कहा गया है कि दुल्हनों को शादी समारोह के दौरान भारी लहंगा नहीं पहनना चाहिए। कमीज-सलवार और सिर पर चुन्नी ही पहनें। देखा गया है कि शादी के दौरान लड़कियां महंगे और फैशनेबल लहंगे और घाघरा पहनकर गुरुद्वारे में आती हैं। वो कपड़े इतने भारी होते हैं कि दुल्हन के लिए उन्हें पहन कर चलना, उठना-बैठना यहां तक कि गुरु महाराज के सामने सिर झुकाना भी मुश्किल हो जाता है।
इसके अलावा शादी के कार्ड में दूल्हा-दुल्हन के नाम से पहले सिंह-कौर लगाना भी अनिवार्य कर दिया गया है। सिंह साहिबों ने कहा कि आजकल आनंद कारज के निमंत्रण कार्ड पर लड़के और लड़की के नाम के पहले सिंह और कौर नहीं लिखा जाता है। ये भी सही नहीं है। इसे ध्यान में रखते हुए अब कार्ड के बाहर और अंदर दूल्हा-दुल्हन के नाम से पहले कौर और सिंह लिखना अनिवार्य होगा।
बैठक के दौरान सिंह साहब ने कहा कि आनंद कारज के दौरान दुल्हन को चुन्नी या फूलों से की छांव में लाने की प्रथा शुरू हो गई है, जो उचित नहीं है। रिश्तेदार गुरु ग्रंथ साहिब के सामने दुल्हन के लिए चुन्नी और फूलों की छांव में लेकर आते हैं। ऐसे में लावां-फेरे के दौरान गुरुद्वारे में फूल या चुन्नी छांव लाना वर्जित है।
इसके अलावा, सिख सम्मान के अनुसार नहीं होने वाली शादियों में श्री गुरु ग्रंथ साहिब को ले जाना वर्जित है। दरअसल, श्री अकाल तख्त साहिब ने देखा कि आजकल डेस्टिनेशन वेडिंग का चलन बढ़ गया है। जिसके चलते कुछ लोग श्री गुरु ग्रंथ साहिब को समुद्र किनारे या रिजॉर्ट में ले जाकर प्रकाश करते हैं और लावां-फेरे लेते हैं। सिंह साहिबों ने ऐसे विवाहों के दौरान भी श्री गुरु ग्रंथ साहिब को ले जाने पर रोक लगा दी।