जिला चुनाव समिति ने तय किए चाय से लेकर समोसे तक के दाम, जानें कहां और कितना खर्च कर सकते हैं उम्मीदवार


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स्टोरी हाइलाइट्स

जिला चुनाव समितियों द्वारा प्रचार अभियान पर कड़ी निगरानी रखी जा रही हैं, इसलिए जिला निर्वाचन आयोग ने प्रत्याशियों के खर्च की सीमा तय कर दी है..!!

आम चुनावों को लेकर अब चुनाव आयोग मुस्तैद हो चला है। इसी के चलते ज़िला निर्वाचन समितियां हर एक बात हर एक कदम पर पैनी नज़र रख रही हैं।

यहां तक कि चुनाव में खाने-पीने पर होने वाले खर्च की लिमिट भी तय कर दी गई है। चुनाव के दौरान कार्यकर्ताओं को खाना खिलाने के खर्च की सीमा सूची में किन चीजों को शामिल किया गया है। इसकी भी जानकारी चुनाव आयोग की तरफ से दी गई है।

आम चुनाव के लिए मतदान का समय नजदीक आते ही जिला चुनाव पैनल ने चुनाव व्यय निगरानी प्रक्रिया के तहत व्यय दरें तय की हैं।

जी हां चुनाव आयोग ने लोकसभा चुनाव लड़ रहे प्रत्याशियों द्वारा कार्यकर्ताओं को खाना खिलाने पर होने वाले खर्च की दर तय कर दी है

इस लिस्ट में जलेबी, समोसा, चाय, चिकन और मिठाई समेत कई व्यंजन शामिल हैं। चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों को अपने खर्चों का प्रबंधन निर्धारित सीमा के भीतर करना होगा। अलग-अलग राज्यों में कीमत पर अलग-अलग सुझाव भी दिए गए हैं।

मध्य प्रदेश में ही अलग-अलग खाद्य सामग्री के लिए प्रत्याशियों को अलग-अलग क़ीमत चुकानी होगी।  बालाघाट रेट कार्ड में चाय की कीमत 5 रुपये से भी कम है, लेकिन समोसे की कीमत 10 रुपये से ज्यादा है। तो वहीं मंडला एक कप चाय के लिए 7 रुपये और समोसे के लिए 7.50 रुपये खर्चने होंगे।

वहीं पंजाब के जालंधर में यही चाय 15 रुपये में मिलेगी और समोसा भी सेम रेट पर मिलेगा। बालाघाट रेट कार्ड में इडली, सांभर वड़ा और पोहा-जलेबी की कीमत भी 20 रुपये है। डोसा और उपमा की कीमत 30 रुपये तय की गई है। 

बात करें तमिलनाडु की तो चेन्नई में चाय की कीमत 10 रुपये से बढ़ाकर 15 रुपये और कॉफी की कीमत 15 रुपये से बढ़ाकर 20 रुपये कर दी गई है, जबकि चिकन बिरयानी की कीमत 180 रुपये से घटाकर 150 रुपये प्रति पैकेट कर दी गई है।

मणिपुर के थौबल जिले में चाय, समोसा, कचौरी, खजूर और गाजा मिठाई की कीमत 10 रुपये रखी गई है।

जालंधर में छोले भटूरे की कीमत 40 रुपये है, जबकि मटन और चिकन की कीमत क्रमश: 250 रुपये और 500 रुपये प्रति किलोग्राम है। डोडा (450 रुपये प्रति किलो) और घी पिन्नी (300 रुपये प्रति किलो) जैसी मिठाइयाँ भी मेनू में हैं। इसके अलावा लस्सी और नींबू पानी की कीमत क्रमश: 20 रुपये और 15 रुपये प्रति गिलास है।

वहीं आंध्र प्रदेश समेत ज्यादातर राज्यों में लोकसभा उम्मीदवार के लिए खर्च की सीमा 95 लाख रुपये तय की गई है। हालाँकि, अरुणाचल प्रदेश, गोवा और सिक्किम में यह सीमा थोड़ी कम यानी रु. 75 लाख. इसी प्रकार, केंद्र शासित प्रदेशों के लिए क्षेत्र के आधार पर प्रति उम्मीदवार व्यय सीमा रु. 75 लाख से रु. 95 लाख तक है।

नोएडा के गौतमबुद्ध नगर में रेट कार्ड में शाकाहारी थाली की कीमत रु. 100 रुपये, एक समोसा या चाय का कप 10 रु., कचोरी रु. 15, सैंडविच 25 रु. रुपये और एक किलो जलेबी 90 में मिलेगी।

उत्तरी गोवा के उम्मीदवारों को समोसा की तरह 15 रुपये में मेनू पर बटाटा वड़ा मिल सकता है। चाय की कीमत 15 रुपये तय की गई है जबकि कॉफी की कीमत 20 रुपये हो सकती है।

सूची में शराब शामिल नहीं है, जबकि पार्टियाँ और उम्मीदवार अक्सर कार्यकर्ताओं और मतदाताओं को शराब की पेशकश करते हैं, किसी भी रेट कार्ड में शराब का उल्लेख नहीं होता है।

रेट कार्ड में उल्लिखित अन्य वस्तुओं में हेलीपैड, लक्जरी वाहन और फार्महाउस जैसे महंगे बुनियादी ढांचे से लेकर फूल, कूलर, टॉवर एसी और सोफे तक सब कुछ शामिल है।

उत्तर-पूर्वी राज्य के तेंगनोपाल जिले में, उम्मीदवारों को काली चाय के लिए 5 रुपये और दूध वाली चाय के लिए 10 रुपये का भुगतान करना होगा। 

रेट कार्ड में प्रचार के लिए टाटा सफारी या स्कॉर्पियो से लेकर होंडा सिटी या सियाज़ या जनता को रैली मैदान तक ले जाने के लिए बसों जैसे विभिन्न वाहनों को किराए पर लेने की दरें भी बताई गई हैं।

यानि कि अगर उम्मीदवार अपने कार्यकर्ता के लिए चाय, पानी और खाने का प्रबंध करता है, तो उसका हिसाब चुनाव आयोग की तरफ से तय दाम के अनुसार देना होगा और हां अपने खर्च ता ब्यौरा भी चुनाव आयोग को देना होगा।