भारतीय रिजर्व बैंक ने मौद्रिक नीति समीक्षा का ऐलान कर दिया। इस बार भी केंद्रीय बैंक ने लोन लेने वाले ग्राहकों को राहत दी है। हालांकि, इस फेस्टिव सीजन में लोगों ने रेपो रेट में कटौती की जो आस लगाई थी वो जरूर टूट गई है। देश में महंगाई दर आरबीआ के तय दायरे से ऊपर होने के बावजूद नीतिगत दरों यानी रेपा रोट यथावत रखने का फैसला किया गया है। मतलब लोन की ईएमआई में बदलाव नहीं होगा। यह लगातार चौथी बार है जबकि रेपो रेट को स्थिर रखने का फैसला किया गया है।
रेपो रेट फिलहाल, 6.50 फीसदी है और एक्सपर्ट पहले से इसके स्थिर रहने की उम्मीद जता रहे थे। बीते साल केंद्रीय बैंक ने चरम पर पहुंची महंगाई दर को काबू में करने के लिए एक के बाद कई बार इस दर में बढ़ोतरी की थी। मई 22 में रेपो रेट 4 फीसदी पर था, जो फरवरी 2023 आते-आते 6.50 फीसदी पर पहुंच गया। बैंक गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि दुनिया में चुनौतियों के बावजूद भारत ग्रोथ इंजन बना हुआ है। देश में महंगाई दर की आरबीआई के तय दायरे से बाहर बनी हुई है। गौरतलब है कि जुलाई महीने में खुदरा महंगाई दर 7.44 फीसदी के स्तर पर थी, जो कि अगस्त महीने में घटकर 6.83 फीसदी पर आ गई थी। जबकि केंद्रीय बैंक ने देश में महंगाई दर को 2 से 6 फीसदी के दायरे में रखने का लक्ष्य तय किया है।
छह में से 5 सदस्य फैसले के पक्ष में
समीक्षा बैठक तीन दिन चली है। इसके नतीजों का ऐलान करते हुए दास ने कहा कि आरबीआई ने रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया है। समिति के छह में से पांच सदस्य इसे स्थिर रखने के फैसले के पक्ष में थे। रेपो रेट के अलावा एमएसएफ रेट 6.75 फीसदी पर और एसडीएफ रेट 6.25 फीसदी पर बरकरार है। दास ने कहा कि आरबीआई महंगाई को लक्ष्य के भीतर रखने को प्रतिबद्ध है। अभी जीडीपी ग्रोथ के अनुमान में भी कोई बदलाव नहीं किया गया है यह दूसरी तिमाही के लिए 6.5 फीसदी रखा गया है। तीसरी तिमाही के लिए यह 6 फीसदी और चौथी तिमाही के लिए इसे 5.7 फीसदी पर बरकरार रखा गया।