आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा को राज्यसभा से निलंबित किए जाने का मामले में सुप्रीम कोर्ट ने राज्यसभा सचिवालय को नोटिस भेज कर जवाब मांगा है। इस मामले में अगली सुनवाई 30 अक्टूबर को होगी। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में देश के अटॉर्नी जनरल से भी मदद मांगी हैै। इस मामले में मुद्दा ये है कि क्या किसी सदस्य को सत्र से अधिक या जांच लंबित रहने तक निलंबित किया जा सकता है?
क्या है मामला?
दरअसल, आप सांसद राघव चड्ढा ने राज्यसभा से अपने निलंबन के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। राघव चड्ढा को 11 अगस्त को राज्यसभा से निलंबित किया गया था। 5 सांसदों ने विशेषाधिकार के उल्लंघन को लेकर राघव के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी, जिसके बाद उन्हें राज्यसभा से निलंबित कर दिया गया था। आप नेता पर दिल्ली सेवा विधेयक से संबंधित एक प्रस्ताव पर पांच सांसदों के फर्जी हस्ताक्षर करने का आरोप लगाया गया है।
चड्ढा को उनके खिलाफ मामले की जांच कर रही विशेषाधिकार समिति की रिपोर्ट आने तक निलंबित कर दिया गया है। निलंबन का प्रस्ताव भाजपा सांसद पीयूष गोयल ने पेश किया, जिन्होंने चड्ढा के कदम को 'अनैतिक' बताया।
सीजेआई डी.वाई. न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जे.बी. न्यायमूर्ति पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की खंडपीठ ने उच्च सदन सचिवालय को नोटिस जारी किया और 30 अक्टूबर तक जवाब मांगा। सुनवाई के दौरान, चड्ढा की ओर से पेश वरिष्ठ वकील राकेश द्विवेदी ने कहा कि मामला "राष्ट्रीय महत्व" का मुद्दा है और राज्यसभा अध्यक्ष जांच लंबित रहने तक सदन के किसी सदस्य को निलंबित करने का आदेश नहीं दे सकते। खासकर, जब विशेषाधिकार समिति पहले से ही जांच से वंचित है।
चयन समिति में अपना नाम शामिल करने से पहले पांच राज्यसभा सांसदों की सहमति नहीं लेने के कारण अगस्त में निलंबित होने के बाद पिछले हफ्ते चड्ढा ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था।