भारतीय कारोबारी गौतम अडानी ने एफपीओ पर फैसले से चौंका जरूर दिया है लेकिन इसकी पीछे भी कई कहानियां तैरने लगी हैं। कहा जा रहा है कि उनके एफपीओ पर खुदरा निवेशक भरोसा नहीं कर पा रहे थे। हालांकि उनका 20,000 करोड़ रुपए का एफपीओ पूरी तरह सब्सक्राइब होने के कुछ घंटों बाद ही वापस लिया गया है। हालांकि यह भी कुछ 'दोस्तों' की वजह से संभव हुआ। दरअसल, पिछले कुछ वर्षों में अडानी की ग्रोथ स्टोरी चौंकाती रही है। वो चौंकाने वाले फैसले भी लेते रहे हैं।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक ताजा फैसले के पीछे जो कहानी है वह यह कि हिंडनबर्ग रिपोर्ट सामने आते ही तीन दिनों के भीतर अडानी समूह के शेयर बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज में बुरी तरह टूट गए। अडानी के मार्केट कैप में लगभग 5.5 लाख करोड़ रुपए स्वाहा हो गए। शेयरों में 30 परसेंट तक की गिरावट आ गई। फ्लैगशिप कंपनी अडानी इंटरप्राइजेज का शेयर 25 जनवरी को 3400 रुपए पर था और ये एक फरवरी को 2000 रुपए के आस-पास आ गया।
जबकि शेयर बाजार में सितारे की तरह आए एफपीओ का प्राइस बैंड 3112 रुपए से 3276 रुपए रखा गया था। इसी बीच क्रेडिट सुईस ने अडानी ग्रुप के बॉड्स को मार्जिन लोन देने पर रोक लगा दी। फिर क्या था | झंझावात से जूझ रहे गौतम अडानी ने आलोचकों के मुंह पर ताला लगाने का फैसला लिया। मगर हिंडनबर्ग को भेजा 413 पन्नों का जवाब माकूल साबित नहीं हुआ। इसलिए अडानी ने मार्केट से एफपीओ ही वापस लेने का फैसला कर लिया।
लेकिन सच्चाई ये है कि भारत का सबसे बड़ा एफपीओ सिर्फ 112 परसेंट सब्सक्राइब हुआ। वो भी अबू धाबी वाली एक कंपनी के सहयोग से। रिटेल मतलब हमारे आपके जैसे खुदरा निवेशकों ने इससे तौबा की। रिटेल कैटेगरी में सिर्फ 12 परसेंट कोटा ही सब्सक्राइब हुआ है। मतलब साफ है कि शेयरधारकों का मजबूत आधार बनाने की मुहिम फेल हो गई। इसीलिए अडानी ने एफपीओ वापस लेने का फैसला कर माकूल जवाब देने की कोशिश की है। अब उनके शेयरधारक इस पर कितना भरोसा करते हैं ये बाजार तय करेगा।
हर क्षेत्र में मचाते रहे धमक
रिटेल से लेकर पोर्ट, एयरपोर्ट, पॉवर जैसे इन्फास्ट्रक्चर के क्षेत्र में जबर्दस्त विस्तार के कारण अडानी लगातार मुकेश अंबानी को पीछे छोड़ते रहे हैं। डिफेंस, कम्युनिकेशंस और मीडिया में भी उनकी धमक है। अब अडानीहिंडनबर्ग रिपोर्ट से विवादों में जरूर हैं लेकिन इसके पहले भी कई बार विवादों में रहे हैं। ऑस्ट्रेलिया में कोल माइन लेने के फैसले पर दुनिया भर में उनके खिलाफ प्रदर्शन हुए थे इस बार हिंडनबर्ग ने 218 अरब डॉलर के अडानी समूह पर स्टॉक मैनुपुलेशन और अकाउंटिंग फॉड का आरोप लगाकर हलचल मचा दी है।