अब प्रदेश में भू-अर्जन पर विस्थापितों को बदले में भूमि प्रदान की जायेगी-डॉ. नवीन जोशी


स्टोरी हाइलाइट्स

The Shivraj government has implemented a new and larger provision in land acquisition cases. Under this, under the Right to Fair Compensation and Transparency in Land Acquisition, Rehabilitation and Resettlement of the Central Government,

अब प्रदेश में भू-अर्जन पर विस्थापितों को बदले में भूमि प्रदान की जायेगी-डॉ. नवीन जोशी   जरुरत पड़ी तो पुनर्वास हेतु निजी भूमि भी अर्जित की जायेगी शिवराज सरकार ने भू-अर्जन के मामलों में एक नया एवं बड़ा प्रावधान लागू किया है। इसके तहत, अब केंद्र सरकार के भू-अर्जन, पुनर्वासन और पुनव्र्यवस्थापन में उचित प्रतिकर और पारदर्शिता का अधिकार कानून 2013 के तहत भू-अर्जन से प्रभावितों के पुनर्वास हेतु उन्हें बदले में भूमि ही प्रदान की जायेगी। इस संबंध में राजस्व विभाग के माध्यम से नये निर्देश जारी कर दिये गये हैं। यह कहा गया है निर्देश में : 1- विस्थापित कुटुम्बों के पुनर्वास के लिये यदि ग्रामों में आंकलित आकार की शासकीय भूमि उपलब्ध है तो ऐसी शासकीय भूमि के लिये सिंचित कृषि भूमि के बाजार मूल्य के 1.6 गुणा के बराबर की राशि अपेक्षक निकाय (जिसके लिये भूमि अर्जित की जाना है) से लेकर, उक्त भूमि पर लैंड एक्युजिशन एक्ट 2013 के तहत पुनर्वास योजना तैयार की जाये। लेकिन जहां अपेक्षक निकाय राज्य सरकार के विभाग या उपक्रम हैं, तो वहां ग्रामों में स्थित शासकीय भूमि बिना कोई राशि लिये उपलब्ध करायी जाये। 2-भू-अर्जनके परिणामस्वरुप विस्थापन के मामले में विस्थापित कुटुम्बों के पुनर्वास के लिये यदि शासकीय भूमि उपलब्ध नहीं है तो ग्रामों में स्थित निजी भूमियां राज्य सरकार के पक्ष में अर्जित कर पुनर्वास योजना के क्रियान्वयन के लिये प्राप्त की जाये, जिसकी भू-अर्जन अवार्ड राशि का भुगतान संबंधित अपेक्षक निकाय से प्राप्त किया जाये। 3- इस प्रकार, पुनर्वास योजना के क्रियान्वयन के लिये ऐसी अर्जित भूमि को अधोसंरचना निर्माण के लिये अपेक्षक निकाय को अपेक्षे निकाय को जिला कलेक्टर द्वारा दी जाये ताकि अपेक्षक निकाय भूमि पर नियत समय में अधोसंरचना का निर्माण कर भूखण्ड या मकान तथा अन्य सामुदायिक सुविधायें विकसित कर वापस जिला कलेक्टर के आधिपत्य में दे। 4- जिला कलेक्टर विकसित भूमि आधिपत्य में लेकर भू-राजस्व संहिता के तहत उसे आबादी क्षेत्र घोषित करे और विस्थापित कुूटुम्बों को भूमि या मकान आवंटित कराये। 5- किसी निजी कंपनी या भारत की कंपनी या निजी संस्थाओं के लिये वन भूमि दिये जाने पर प्रतिपूर्ति वनीकरण हेतु समतुल्य शासकीय राजस्व भूमि, वन विभाग को प्रदान की जाये। ऐसी भूमि पर प्रतिपूर्ति वनीकरण के लिये भी अपेक्षक निकाय से सिंचित कृषि भूमि के बाजार मूल्य के 1.6 गुना के बराबर तथा वनीकरण के अन्य कार्यों के लिये भी राशि ली जाये।