लोकसभा में 'ऐतिहासिक श्री राम मंदिर के निर्माण और श्री रामलला की प्राण प्रतिष्ठा' विषय पर चर्चा में भाग लेते हुए अमित शाह ने कहा कि जो लोग भगवान राम के बिना देश की कल्पना करते हैं, वे देश को अच्छी तरह से नहीं जानते हैं और वे उपनिवेशवाद के दिनों का प्रतिनिधित्व करते हैं।
"राम मंदिर आंदोलन को नजरअंदाज करके इस देश का इतिहास कोई नहीं पढ़ सकता। 1528 से लेकर अब तक हर पीढ़ी ने किसी न किसी रूप में इस आंदोलन को देखा है। ये मामला लंबे समय तक अटका रहा। इस दौरान ये सपना मोदी सरकार के समय में ही पूरा होना था।"
अमित शाह ने 22 जनवरी को अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का जिक्र किया जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अनुष्ठान का नेतृत्व किया और कहा कि यह एक ऐतिहासिक दिन है। 'प्राण प्रतिष्ठा' अनुष्ठान करने के बाद राम लला की मूर्ति का अनावरण किया गया।
"22 जनवरी महान भारत की शुरुआत थी... जो लोग भगवान राम के बिना एक देश की कल्पना करते हैं वे हमारे देश को अच्छी तरह से नहीं जानते हैं और वे उपनिवेशवाद के दिनों का प्रतिनिधित्व करते हैं। 22 जनवरी आने वाले वर्षों के लिए एक ऐतिहासिक दिन होगा..यह वह दिन था जिसने सभी राम भक्तों की आशाओं और आकांक्षाओं को पूरा किया।"
गृह मंत्री ने कहा कि रामायण कई भाषाओं और क्षेत्रों में परंपराओं और राष्ट्रीय चेतना का आधार रही है और भारत की संस्कृति और रामायण को अलग नहीं किया जा सकता है।