भारत के 10 स्थान जो आपको हर हाल में देखना चाहिए , जानिए क्यों ..


स्टोरी हाइलाइट्स

भारत के 10 स्थान जो आपको हर हाल में देखना चाहिए! जानिए......बेलूर मठ-पश्चिम बंगाल के कोलकाता शहर में हुगली नदी पर स्थित येलूर मठ रामकृष्ण मिशन.....भारत

भारत के 10 स्थान जो आपको हर हाल में देखना चाहिए , जानिए क्यों ..

ये भी पढ़ें...भारत के पर्यटन स्थल – डलहौजी

(1) बेलूर मठ- पश्चिम बंगाल के कोलकाता शहर में हुगली नदी पर स्थित येलूर मठ रामकृष्ण मिशन का मुख्यालय है. बेलूर मठ में स्वामी विवेकानन्द (नरेन्द्र दत्त) निवास स्थान रहा है. इसकी स्थापना 1897 ई. में स्वामी विवेकानन्द ने की, जो रामकृष्ण परमहंस के शिष्य थे. इस मठ के निर्माण में हिन्दू, मुस्लिम और इसाई शैलियों का सम्मिश्रण है, बेलूर मठ में एक बहुत सुन्दर व विशाल भवन है. यहाँ पर रामकृष्ण परमहंस की भव्य मूर्ति स्थापित है. यहाँ पर ही स्वामी विवेकानंद की भी समाधि है.



ये भी पढ़ें...पर्यटन स्थल मांडू – रानी रूपमती एवं बाज़ बहादुर की अमर प्रेम कथा का साक्षी


(2) नंदा देवी- नंदा देवी पर्वत पर भारत की दूसरी एवं विश्व की 23वीं सर्वोच्च चोटी है. इससे ऊँची देश की सर्वोच्च चोटी कंचनजंघा है. नंदा देवी शिखर हिमालय पर्वत श्रृंखला में भारत के उत्तराखण्ड राज्य में पूर्व में गौरीगंगा तथा पश्चिम में ऋषि गंगा घाटियों के बीच स्थित है. इसकी ऊंचाई 7816 मीटर है. इस चोटी की उत्तराखंड की देवी के रूप में पूजा की जाती है. यहाँ पर ही नंदा देवी राष्ट्रीय उद्यान स्थित है जिसे 1988 ई. में यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में सम्मिलित किया गया है.



ये भी पढ़ें...भारत के प्रमुख पर्यटन स्थल:- धर्मशाला


(3) वज्जि- वज्जि महाजनपद बिहार राज्य में मगध के उत्तर में स्थित था. यह संघ राज्य था तथा लिच्छवि विदेह एवं वज्जि सहित आठ कुलों के मेल से बना था. वैशाली, कुण्डग्राम तथा मिथिला इसके प्रमुख नगर थे। महावस्तु से ज्ञात होता है कि गौतमबुद्ध लिच्छवियों के निमंत्रण पर वैशाली गए थे. लिच्छवियों का आन्तरिक संगठन अच्छा था और गौतमबुद्ध के अनुसार लिच्छविगण इसी कारण अजेय था कालान्तर में आपसी वैमनस्य के कारण लिच्छवियों की एकता और अजेयता नष्ट हो गई. मगध सम्राट अजातशत्रु ने वैशाली पर अधिकार कर इसे मगध साम्राज्य का अंग बना लिया.



ये भी पढ़ें...भारत के प्रमुख पर्यटन स्थल:- पालमपुर


(4) धौलपुर- राजस्थान की पूर्वी सीमा पर चम्बल नदी पर बसे धौलपुर नगर की स्थापना 11 वीं शताब्दी में तोमर वंश के राजपूत धवल देव ने की थी. राजस्थान में सर्वप्रथम सूर्योदय धौलपुर में होता है, इस कारण इसे सूर्योदय की नगरी कहा जाता है. लाल पत्थर जिले में आय का प्रमुख साधन होने के कारण इसे 'रेड डायमंड' के नाम से भी जाना जाता है. धौलपुर से कुछ दूरी पर मचकुंड में मेला लगता है, श्रद्धालुओं की मान्यता है कि मचकुंड में स्नान करने से चर्म रोग दूर हो जाता है. धौलपुर में रियासत काल की जालदार तोप हनुहुंकार तोप का निर्माण महाराजा कीरत सिंह ने करवाया था. बीबी जरीना का मकबरा यहां की एक प्रमुख सांस्कृतिक धरोहर है.



ये भी पढ़ें...भारत के प्रमुख पर्यटन स्थल:-सोलन


(5) उदयपुर- मेवाड़ की प्राचीन राजधानी उदयपुर थी, जो आज राजस्थान का प्रमुख नगर है. इस नगर की स्थापना महाराणा उदयसिंह ने सन् 1559 ई. में की थी. 1572 ई. में उदयसिंह की मृत्यु के बाद उनके पुत्र महाराणा प्रताप ने भी मुगलों की अधीनता स्वीकार नहीं की. महाराणा प्रताप व अकबर के मध्य 1576 ई. में हल्दी घाटी का इतिहास प्रसिद्ध युद्ध हुआ. यह युद्ध किसी धर्म, जाति अथवा साम्राज्य विस्तार की भावना से नहीं अपितु स्वाभिमान एवं मातृभूमि के गौरव की रक्षा के लिए हुआ था. 

बुद्धि एवं सुन्दरता के लिए विख्यात महारानी पद्मिनी (राणा) रतन सिंह की रानी) यहीं की थीं कहा जाता है कि उसकी एक झलक पाने के लिए सल्तनतकालीन दिल्ली के सुल्तान अलाउद्दीन खिलजी ने उस पर आक्रमण किया था. उदयपुर को पूर्व का वेनिस, झीलों की नगरी तथा राजस्थान का कश्मीरकहा जाता है. उदयपुर की जयसमंद झील एशिया की दूसरी बड़ी कृत्रिम झील है.



ये भी पढ़ें...भारत के प्रमुख पर्यटन स्थल:- मनाली


(6) गढ़मुक्तेश्वर- गढ़मुक्तेश्वर नगर उत्तर प्रदेश के हापुड़ जिले का एक नगर है. इसे गढ़वाल जाटों ने बसाया था. गंगा नदी के दाहिने तट पर बसा यह नगर गढ़वाल राजाओं की राजधानी थी. भागवत पुराण व महाभारत के अनुसार यह कुरु की राजधानी हस्तिनापुर का भाग था. गढ़मुक्तेश्वर में शिव का एक मन्दिर और प्राचीन शिवलिंग 'कारखण्डेश्वर' यहीं पर स्थित है. काशी, प्रयाग, अयोध्या आदि तीर्थों की तरह गढ़मुक्तेश्वर का भी पुराण में उल्लेख मिलता है. शिवपुराण के अनुसार गढ़मुक्तेश्वर का प्राचीन नाम 'शिववल्लभ' (शिव का प्रिय) है. यहाँ भगवान मुक्तेश्वर के दर्शन करने से शिवगणों की पिशाच योनि से मुक्ति हुई थी, इसलिए इस तीर्थ का नाम 'गणमुक्तेश्वर' प्रसिद्ध हो गया.



ये भी पढ़ें...भारत के प्रमुख पर्यटन स्थल:-चंबा


(7) लखनऊ- प्राचीनकाल में लखनऊ कोसल राज्य का हिस्सा था. यह भगवान राम की विरासत थी जिसे उन्होंने अपने भाई लक्ष्मण को समर्पित कर दिया था. अत: इसे लक्ष्मणावती, लक्ष्मणपुर या लखनपुर के नाम से जाना गया जो बाद में बदलकर लखनऊ हो गया. लखनऊ के वर्तमान स्वरूप की स्थापना 1775 ई. में नवाब आसफउद्दौला ने की थी. अवध के शासकों ने इसे अपनी राजधानी बनाकर समृद्ध किया था, लेकिन बाद के नवाब विलासी एवं निठल्ले निकले नवाबों के इस स्वभाव के कारण लॉर्ड डलहौजी ने 1856 ई. में इस पर कुशासन का आरोप लगाकर इसे ब्रिटिश साम्राज्य में मिला लिया लखनऊ के अन्तिम नवाब वाजिद अली शाह थे. 

यहाँ स्थित हुसैनाबाद इमामबाड़ा को छोटा इमामबाड़ा कहा जाता है, जिसका निर्माण 1837 ई. में मोहम्मद अली शाह ने करवाया था. बड़ा इमामबाड़ा का निर्माण 1784 ई. में आसफउद्दौला ने करवाया था. इसे भूलभुलैया भी कहते हैं. सआदत अली खाँ का मकबरा बेगम हजरत महल पार्क के समीप स्थित है. इसके अलावा महाँरूमी दरवाजा, जामी मस्जिद, मोती महल, लखनऊ रेजीडेंसी, छतर मंजिला, हाथी पार्क, बुद्ध पार्क, नीबू पार्क, मरीन ड्राइव और इंदिरा गांधी तारामण्डल आदि प्रसिद्ध स्थल भी हैं.

ये भी पढ़ें...भारत के प्रमुख पर्यटन स्थल:- नगीन झील





ये भी पढ़ें...भारत के प्रमुख पर्यटन स्थल:-  डल झील


(8) बुरहानपुर- बुरहानपुर नगर मध्य प्रदेश के दक्षिण में स्थित है. इस नगर की स्थापना 1388 ई में शेख बुरहानुद्दीन के नाम पर राजकुमार नासिर खान द्वारा की गई थी. बुरहानपुर से होकर ही दक्षिण को जाने वाला मार्ग गुजरता है. इस कारण इसे दक्षिण की चाबी कहा जाता है. इसी कारण अकबर ने बुरहानपुर जिले में स्थित असीरगढ़ के किले को 1601 ई. में अपनी अन्तिम विजय के रूप में जीता था. 

इस १ किले को दक्खन का दरवाजा नाम से जाना जाता है. अब्दुल रहीम खानखाना ने बुरहानपुर में 17वीं शताब्दी में मुगल सुबेदार की हैसियत से अनूठी जल वितरण व्यवस्था खूनी भण्डारा का निर्माण किया था. - बुरहानपुर के निकट अहुखाना में प्रसव पीड़ा के दौरान मुमताज की मृत्यु हो गई थी और उसकी कब्र भी यहीं बनी, किन्तु बाद में उसकी कब्र को आगरा में ले जाकर वहाँ शाहजहाँ ने उसकी याद में विश्वप्रसिद्ध ताजमहल का निर्माण करवाया. यहीं पर राजा जयसिंह के सम्मान में राजा की छतरी का निर्माण औरंगजेब ने करवाया था.



ये भी पढ़ें... भारत: कुछ पुरातात्विक एवं एतिहासिक स्थल..


(9) कुम्भकोणम- कुम्भकोणम तमिलनाडु में कावेरी नदी के तट पर मायावरम से 32 किमी की दूरी पर स्थित एक प्राचीन नगर है. दक्षिण भारत की इस पावन भूमि पर प्रत्येक बारह वर्ष पश्चात् कुम्भ मेले का आयोजन किया जाता है, एक मान्यता के अनुसार यह माना जाता है कि ब्रह्मा ने अमृत से भरे कुम्भ को इसी स्थल पर रखा था. इस अमृत कुम्भ से कुछ बूँदें बाहर छलक कर गिर गई थीं, जिस कारण यहाँ की भूमि पवित्र हो गई.  इसलिए इस स्थान को कुम्भकोणम के नाम से जाना जाता है. तमिलनाडु के इस प्रसिद्ध तीर्थ स्थल के समीप सौ से अधिक मन्दिरों को देखा जा सकता है. जैसे- महाकालेश्वर मन्दिर, सुन्दरेश्वर शिवलिंग, मीनाक्षी मन्दिर, महामाया मन्दिर लोगों की मान्यतानुसार महामाया के मन्दिर में स्थापित मूर्ति स्वयं प्रकट हुई थी.


(10) मोढेरा- गुजरात के गांधीनगर जिले में मोटेरा प्राचीन ऐतिहासिक स्थल है. प्राचीनकाल में इसे 'धर्मारण्य' नाम से जाना जाता था. मोटेरा के लोग मोढेश्वरी माँ के अनुयायी थे जो उनके अठारह हाथ वाले स्तम्भ की उपासना करते हैं. स्कंदपुराण और ब्रह्मपुराण के अनुसार भगवान श्रीराम भी इसी स्थान पर आए थे, जब भगवान राम ने लंका के राजा रावण का वध कर दिया था, तब वे ब्राह्मण की हत्या से मुक्ति हेतु इस नगर में यज्ञ करने आए थे. सोलंकी नरेश भीमदेव प्रथम ने मोटेरा में पुष्पावती नदी के तट पर सूर्य मन्दिर का निर्माण करवाया था. यह मन्दिर 52 स्तम्भों पर टिका एक मण्डप था.


Latest Hindi News के लिए जुड़े रहिये News Puran से.