वनाधिकार कानून के तहत अब तक दिये 51 सामुदायिक वन प्रबंधन के अधिकार


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स्टोरी हाइलाइट्स

वनवासियों को खेती और निवास के व्यक्तिगत अधिकार के अलावा चराई, मछली पकडऩा एवं जंगलों में जल निकायों तक पहुंच, विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूहों के लिये आवास अधिकार आदि के सामुदायिक अधिकार दिये जाते हैं..!!

भोपाल: राज्य सरकार ने वनाधिकार कानून के तहत 51 सामुदायिक वन संसाधन, संरक्षण एवं प्रबंधन के अधिकार (सीएफआरआर) किये हैं। इनमें जबलपुर जिले में 47 तथा झाबुआ जिले में 4 अधिकार दिये गये हैं। उल्लेखनीय है कि यह वह अधिकार होता है जिसमें वनवासियों को खेती और निवास के व्यक्तिगत अधिकार के अलावा चराई, मछली पकडऩा एवं जंगलों में जल निकायों तक पहुंच, विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूहों के लिये आवास अधिकार आदि के सामुदायिक अधिकार दिये जाते हैं। 

भूमि अधिग्रहण अधिनियम, 2013 में उचित मुआवजे और पारदर्शिता के अधिकार के संयोजन के साथ, वनाधिकार कानून आदिवासी आबादी को पुनर्वास और उनके लिये उचित बंदोबस्त के बिना बेदखली से रक्षा करता है। ये सामुदायिक अधिकार किसी भी श्रेणी के वन- राजस्व वन, वर्गीकृत और अवर्गीकृत वन, डीम्ड वन, जिला समिति भूमि, आरक्षित वन, संरक्षित वन, अभयारण्य एवं राष्ट्रीय उद्यान में कानूनन दिये जा सकते हैं। 

दरअसल, मप्र में वनाधिकार कानून लागू कर वन भूमि के पट्टे और खेती करने के व्यक्तिगत अधिकार तो दिये गये लेकिन वनवासियों को सामुदायिक अधिकार नहीं दिये गये थे। इस बात की जानकारी मिलने पर राज्यपाल मंगु भाई पटेल ने अपने यहां गठित जनजातीय प्रकोष्ठ की बैठक में वन एवं जनजातीय विभाग को निर्देश दिये कि इन सामुदायिक अधिकारियों को भी वन वासियों को प्रदान किया जाये। इसी निर्देश के पालन में वन विभाग ने अब जानकारी दी है कि दो जिलों में 51 सामुदायिक अधिकार दिये जा चुके हैं।