पुरातत्वविद का बड़ा दावा: सन टॉवर है कुतुब मीनार, कुतुबुद्दीन ने नहीं बल्कि विक्रमादित्य ने सूर्य के अध्ययन के लिए बनवाई थी मीनार


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स्टोरी हाइलाइट्स

ज्ञानवापी ​मस्जिद और ताजमहल के बाद अब कुतुब मीनार के हिंदू इमारत होने की बात सामने आई है. इस मामले में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के एक पूर्व अफसर ने बड़ा दावा करते हुए बताया कि कुतुब मीनार कुतुबुद्दीन ने नहीं बनवाई..!

कुतुब मीनार का निर्माण पांचवीं शताब्दी में राजा विक्रमादित्य ने कराया था..!

ASI के पूर्व रीजनल डायरेक्टर धर्मवीर शर्मा के अनुसार हकीकत में इस मीनार का निर्माण पांचवीं शताब्दी में राजा विक्रमादित्य ने कराया था। शर्मा ने बताया कि विक्रमादित्य ने ये मीनार सूर्य के अध्ययन के लिए बनवाई थी। गौरतलब है कि कुतुब मीनार का इतिहास विवादित रहा है। इससे पहले कुछ संगठनों ने दावा किया था कि इसे जैन और हिंदू मंदिरों को तोड़कर बनाया गया था। पुलिस ने संगठन के कुछ लोगों को हिरासत में ले लिया था। इसे विष्णु स्तंभ भी कहा जाता रहा है। पिछले हफ्ते हिन्दू संगठनों ने कुतुब मीनार परिसर में हनुमान चालीसा का पाठ भी किया था। 

ASI के पूर्व अफसर धर्मवीर शर्मा ने इस मामले में बड़े दावे कर विवाद को भड़का दिया है।पूर्व रीजनल डायरेक्टर शर्मा ने स्पष्ट कहा है कि कुतुब मीनार को कुतुबुद्दीन ऐबक ने नहीं बल्कि सम्राट विक्रमादित्य ने बनवाया था। उन्होंने कहा कि दरअसल यह सन टॉवर है, कुतुब मीनार नहीं। इस संबंध में बहुत सबूत हैं। ज्ञातव्य है कि शर्मा ने ASI की ओर से कुतुब मीनार का कई बार सर्वेक्षण किया है। उन्होंने कहा, यहां से सूर्य का अध्ययन किया जाता था। यही कारण है कि इस टॉवर में 25 इंच का टिल्ट (झुकाव) रखा गया है। यहां से रात में ध्रुव तारा देखा जाता था। इसके दरवाजे नॉर्थ फेसिंग इसलिए रखे गए हैं ताकि इससे रात में ध्रुव तारा देखा जा सके। शर्मा ने यह भी बताया कि कुतुब मीनार के स्वतंत्र इमारत होने का दावा किया जाता है। दरअसल यह मुस्लिम इमारत है ही नहीं।

वेबसाइट के अनुसार कुतुब मीनार को दिल्ली के पहले मुस्लिम शासक कुतुबुद्दीन ऐबक ने सन् 1193 में बनवाया था। दिल्ली के आखिरी हिंदू शासक को हराने के बाद उन्होंने इस 73 मीटर ऊंची इमारत का निर्माण शुरू करवाया। हालांकि वे इसका निर्माण पूरा नहीं कर सके। वे सिर्फ तलघर ही बनवा सके,  बाद में इल्तुतमिश ने तीन मंजिलें बनवाईं और उसके बाद फिरोज शाह तुगलक ने 1368 में बाकी दो मंजिल बनवाई।

मस्जिद के आंगन में 5 मीटर ऊंचा लोहे का एक स्तंभ है। इसकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि शुद्ध लोहे से बने इस स्तंभ में आज तक कभी जंग नहीं लगी। माना जाता है कि इस लौह स्तंभ का निर्माण राजा चंद्रगुप्त विक्रमादित्य ने कराया।