बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न (मरणोपरांत) से सम्मानित किया जाएगा। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उनकी 100वीं जयंती से एक दिन पहले 23 जनवरी को यह घोषणा की। अब इस घोषणा पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी प्रतिक्रिया दी है।
राहुल गांधी ने लिखा कि सामाजिक न्याय के अप्रतिम योद्धा जननायक कर्पूरी ठाकुर जी को उनकी जन्म शताब्दी पर सादर श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं। वह निश्चित ही भारत के अनमोल रत्न हैं और उन्हें मरणोपरांत भारत रत्न दिए जाने के फैसले का स्वागत है।
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने आगे लिखा कि 2011 में हुई सामाजिक और आर्थिक जातीय जनगणना के नतीजों को भाजपा सरकार द्वारा छिपाना और राष्ट्रव्यापी जनगणना के प्रति उनकी उदासीनता सामाजिक न्याय के आंदोलन को कमज़ोर करने का प्रयास है।
साथ ही राहुल ने जातिगत जनगणना के अपने मुद्दे को भी आवाज दी है। उन्होंने लिखा कि 'भागीदारी न्याय‘ भारत जोड़ो न्याय यात्रा के पांच न्यायों में से एक प्रमुख न्याय और सामाजिक समानता का केंद्र बिंदु है, जिसकी शुरुआत सिर्फ जातिगत जनगणना के बाद ही हो सकती है। सही मायने में यही कदम जननायक कर्पूरी ठाकुर जी और पिछड़ों और वंचितों के अधिकारों के लिए उनके संघर्षों को सच्ची श्रद्धांजलि भी होगा। देश को अब ‘सांकेतिक राजनीति’ नहीं ‘वास्तविक न्याय’ चाहिए।
गौरतलब है कि दो बार बिहार के मुख्यमंत्री और एक बार डिप्टी सीएम रहे कर्पूरी ठाकुर पिछड़े वर्गों के हितों की मुखर आवाज के साथ ही सामाजिक न्याय का मसीहा माने जाते हैं। उन्होंने कई ऐसे फैसले लिए जो न केवल बिहार में बल्कि देश में मिसाल बने। देश में सबसे पहले उन्होंने पिछड़ा वर्ग को आरक्षण दिया। पढ़ाई में अंग्रेजी की अनिवार्यता को समाप्त किया। इसके साथ ही उन्होंने मैट्रिक तक की पढ़ाई को भी मुफ्त कर दिया। उन्होंने बिहार में उर्दू को दूसरी राजकीय भाषा का दर्जा भी दिया। पिछड़े ही नहीं, अगड़ों को भी 3 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान किया। स्वतंत्रता का संघर्ष हो या जेपी का आंदोलन, कर्पूरी ठाकुर की अग्रणी भूमिका रही।