गौरतलब है कि प्रधानमंत्री मोदी ने विगत 24 अक्टूबर को प्रसारित मन की बात कार्यक्रम में विरसा मुंडा के प्रति सम्मान व्यक्त किया था। प्रधानमंत्री ने कहा था कि विरसा मुंडा के संघर्ष के बारे में जितना हम जानेंगे उतना ही गर्व महसूस होगा।
मोदी सरकार ने देश में प्रति वर्ष 15 नवंबर को आदिवासी समुदाय के भगवान विरसा मुंडा का जन्म दिवस जनजातीय गौरव दिवस के रूप में समारोह पूर्वक मनाने का फैसला किया है।गत दिवस प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में संपन्न केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में इस प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान कर दी गई। यह प्रस्ताव झारखंड के आदिवासी राजनेता एवं केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने सरकार के समक्ष रखा था जिसे सर्वसम्मति से स्वीकार कर लिया गया। केंद्र सरकार के इस बहुप्रतीक्षित फैसले की जानकारी गत दिवस केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने दी । अनुराग ठाकुर नेे कहा विरसा मुंडा की जयंती पर 15 नवंबर से शुरू होने वाले कार्यक्रम 22 नवंबर तक चलेंगे। इस दौरान आदिवासी समुदाय के गौरवशाली इतिहास और उपलब्धियों को जन जन तक पहुंचाने हेतु आकर्षक कार्यक्रम प्रस्तुत किए जाएंगे।
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री मोदी ने विगत 24 अक्टूबर को प्रसारित मन की बात कार्यक्रम में विरसा मुंडा के प्रति सम्मान व्यक्त किया था। प्रधानमंत्री ने कहा था कि विरसा मुंडा के संघर्ष के बारे में जितना हम जानेंगे उतना ही गर्व महसूस होगा। अनेक राज्य सरकारों ने अपने यहां 15 नवंबर को विरसा मुंडा जयंती के अवसर पर जनजातीय गौरव दिवस समारोह को भव्य स्वरूप प्रदान करने के लिए पहले से ही तैयारियां प्रारंभ कर दी थीं। मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान स्वयं ही जनजातीय गौरव दिवस समारोह की तैयारियों की मानीटरिंंग कर रहे हैं। शिवराज सरकार ने विरसा मुंडा की जयंती 15 नवंबर को हर वर्ष राज्य में सार्वजनिक अवकाश की घोषणा की है ।
विरसा मुंडा जयंती पर पहले राज्य में ऐच्छिक अवकाश घोषित किया गया था। राजधानी भोपाल में 15नवंबर को आयोजित होने वाले जनजातीय गौरव दिवस समारोह में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी मुख्य अतिथि होंगे । एक अनुमान के अनुसार भोपाल के जम्बूरी मैदान में संपन्न होने वाले इस भव्य आयोजन में प्रदेश के विभिन्न भागों से ढाई लाख से अधिक आदिवासियों के शामिल होने की उम्मीद है। आयोजन में शामिल होने के लिए प्रधानमंत्री की स्वीकृति मिलने से यह सुनिश्चित माना जा रहा है कि इस वर्ष से राष्ट्रीय स्तर पर मनाए जाने वाले जनजातीय गौरव दिवस समारोहों में मध्यप्रदेश की राजधानी में आयोजित समारोह सबसे अनूठा होगा। यहां यह विशेष उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री पद पर नरेन्द्र मोदी के आसीन होने के बाद देश के जनजातीय समुदाय को राष्ट्र की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए सरकार ने अनेक महत्वपूर्ण योजनाएं प्रारंभ की हैं।
प्रधानमंत्री मोदी का हमेशा से यह मानना रहा है कि जनजातीय समुदाय को अतीत में केवल एक वोट-बैंक से अधिक कुछ नहीं समझा गया। स्वतंत्रता आंदोलन मे सक्रिय योगदान करने वाले जनजातीय समुदाय को स्वतंत्र भारत में उनके जायज हक से वंचित रखा गया। प्रधानमंत्री मोदी ने अपने मन की बात कार्यक्रम में भी आदिवासी समुदाय के महानायक विरसा मुंडा के प्रति सम्मान व्यक्त करते हुए कहा था कि विरसा मुंडा ने हाथों में तीर कमान लेकर प्रकृति ,जमीन और जंगलों की रक्षा के लिए विशाल अंग्रेजी साम्राज्य की सुसज्जित सेना से लोहा लिया ।विरसा मुंडा के साहस और पराक्रम से अंग्रेजी शासन इतना घबरा उठा था कि उसने आदिवासियों के महानायक को जेल में धीमा जहर देकर मार डालने में भी कोई शर्म महसूस नहीं की ।
विरसा मुंडा मात्र 25 वर्ष जिए परंतु इतनी छोटी सी अवधि में उनके त्याग, तपस्या और संघर्ष ने उन्हें जनजातीय समुदाय का भगवान बना दिया। विरसा मुंडा ने आदिवासियों के गौरव, गरिमा और संस्कृति की रक्षा हेतु एक आदिवासी सेना तैयार की थी जिसके सैनिकों ने हाथों में तीर कमान लेकर अंग्रेजी सेना से संघर्ष किया ।विरसा मुंडा ने झारखंड के जंगलों में रहकर गुजर बसर करने वाले आदिवासियों को स्वाभिमान से जीना सिखाया । विरसा मुंडा ने आदिवासियों को "एक तीर , एक कमान , सभी आदिवासी एक समान " का नारा दिया। विरसा मुंडा का कहना था कि धरती पर रहने वाले सभी आदिवासी एक जैसे हैं।
प्रति वर्ष विरसा मुंडा की जयंती के अवसर पर मनाए जाने वाले झारखंड स्थापना दिवस समारोह में प्रधानमंत्री मोदी ने देश के स्वतंत्रता आंदोलन में आदिवासियों के योगदान को अप्रतिम बताते हुए भगवान विरसा मुंडा की स्मृतियों को संजोने और उनके आदर्शों से नमी पीढ़ी को अवगत कराने हेतु विरसा मुंडा संग्रहालय की स्थापना की घोषणा की थी। झारखंड की जिस काल कोठरी में विरसा मुंडा ने आखरी सांस ली थी उसे सरकार एक भव्य रूप प्रदान करने जा रही है।प्रधानमंत्री मोदी को आदिवासी समुदाय के भगवान विरसा विरसा मुंडा की याद में आयोजित समारोहों में अपने विचार व्यक्त करते हुए अनेक बार भावुक होते हुए देखा गया है। प्रधानमंत्री ने हमेशा इस बात को रेखांकित किया है कि अभावों में भी प्रसन्न रहने की कला जनजातीय समुदाय के लोगों से सीखी जा सकती है जो हर त्यौहार को पूरे उमंग और उल्लास के साथ मनाते हैं।
विरसा मुंडा की पावन जयंती के अवसर पर जब देश भर में आगामी 15 नवंबर को संपूर्ण उत्साह और उमंग के साथ जनजातीय गौरव दिवस समारोहों के भव्य आयोजन की तैयारियां जारी हैं तब देश में आदिवासी समुदाय के लोगों की सामाजिक आर्थिक स्थिति पर चर्चा भी स्वाभाविक है। एक अनुमान के अनुसार दुनिया की कुल आबादी में 37 करोड़ आदिवासी हैं जिनमे से करीब 13 करोड़ आदिवासी देश के विभिन्न राज्यों में निवास कर रहे हैं। आदिवासियों की अधिकांश आबादी जंगलों, समुद्री द्वीपों, पर्वत कंदराओं और निर्जन बीहड़ दुर्गम स्थानों में अपना जीवन यापन करती है । देश में आदिवासियों की लगभग 700 जनजातियां हैं । आजादी के बाद आदिवासी वोट बैंक को लुभाने के लिए पहले की सरकारों ने घोषणाएं तो बहुत कीं परंतु आदिवासी समुदाय की दशा में कोई उल्लेखनीय सुधार परिलक्षित नहीं हुआ। आदिवासी अंचलों में शिक्षा के प्रचार-प्रसार के अभाव में उनका जितना विकास होना चाहिए था वह नहीं हो सका ।
ईसाई मिशनरियों ने इसका नाजायज फायदा उठाकर उनके मतांतरण का सुनियोजित अभियान प्रारंभ कर दिया । एक अनुमान के अनुसार देश में लगभग तीन करोड़ छद्म ईसाई हैं । ईसाई मिशनरियों द्वारा आदिवासियों को प्रलोभन देकर उनके मतांतरण की जो सुनियोजित साज़िश की जा रही है उसके प्रति आदिवासियों को सचेत करने का बीड़ा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने उठाया है । संघ के आनुषांगिक संगठन आदिवासी क्षेत्रों में ईसाई मिशनरियों की इस साजिश को विफल करने में महत्त्वपूर्ण योगदान कर रहे हैं । इन संगठनों के द्वारा आदिवासियों के सामाजिक आर्थिक उन्नयन और उनके गौरव, गरिमा और अस्मिता की रक्षा हेतु आदिवासी क्षेत्रों में अनेक योजनाएं प्रारंभ की गई हैं। संघ को उसके इस पुनीत अभियान में निरंतर सराहनीय सफलता मिल रही है जिसने ईसाई मिशनरियों को बेचैन कर दिया है। प्रति वर्ष आदिवासियों के महानायक विरसामुंडा की जयंती 15 नवंबर को जनजातीय गौरव दिवस के रूप में मनाने के केंद्र सरकार के फैसले पर मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि भोपाल में जनजातीय गौरव दिवस समारोह की तैयारियां अब पूर्णता की ओर हैं। यह आयोजन शासकीय योजनाओं के फलस्वरूप आदिवासियों के जीवन में आज बदलाव के आनंद का प्रकटोत्सव है। इसके माध्यम से आदिवासियों को सरकार द्वारा उनके हित में चलाई जा रही योजनाओं की जानकारी भी मिल सकेगी।