यूँ तो जो आता है इक दिन जाता ही है लिये देश के मरे अमर हो जाता ही है बच्चे बूढ़े और जवां दुख से कातर हैं ऐसी मौत पे दिल सबका भर आता ही है।
भारत माँ का लाल शत्रुओं की शामत था
योद्धा जिसका नाम प्रबल वी सी रावत था।
जितना निडर प्रखर उतना ही और मुखर था
अद्भुत उसका जज़्बा था वो शेर- ज़िगर था
भारत की सेना को नंबर एक बनाना
उसका मक़सद ऊँचा, पक्का ख़ूब हुनर था।
दुश्मन की फ़ौज़ों को वह दिखता आफत था।
योद्धा जिसका नाम प्रबल वी सी रावत था।
पहली गोली तो भारत से नहीं चलेगी
अगर चली तो सेना गोली नहीं गिनेगी
बहुत समय के बाद सुना था ऐसा गर्जन
याद गर्जना यह भारत को सदा रहेगी।
उसको जो ललकार सके किसमें साहस था।
योद्धा जिसका नाम प्रबल वी सी रावत था।
चौकस और सदा चौकन्ना वो रहता था
जो सच माने बेखटके वो ही कहता था
लाग लपेट की बात नहीं उसको आती थी
बात ग़लत करता था और ना ही सहता था।
दुश्मन की सब चालों से रहता अवगत था।
योद्धा जिसका नाम प्रबल वी सी रावत था।
सदा मनोबल देशवासियों का बढ़ता था
भारत की ताक़त की वो बातें करता था
कहीं किसीके मन में भय हो भी तो निकले
जन जन में विश्वास सदा ही वो भरता था।
उसका सपना केवल एक सबल भारत था
योद्धा जिसका नाम प्रबल वी सी रावत था।
यूँ तो जो आता है इक दिन जाता ही है
लिये देश के मरे अमर हो जाता ही है
बच्चे बूढ़े और जवां दुख से कातर हैं
ऐसी मौत पे दिल सबका भर आता ही है।
जाओ, भारत श्रद्धानत है श्रद्धानत था।
योद्धा जिसका नाम प्रबल वी सी रावत था।
दिनेश मालवीय"अश्क"