क्लर्क से लेकर कलेक्टर और कमिश्नर तक अनेक अधिकारी इस तथ्य का लाभ उठाते हैं कि अधिकांश पत्रकार “जनता के प्रति उनके विधिक और संवैधानिक दायित्वों” की गहराई से जानकारी नहीं रखते, परिणामस्वरूप कभी उन्हें कानून का भय दिखाकर डराया-धमकाया जाता है,कभी ज्ञापन स्वीकार करने से मना कर दिया जाता है,और कभी फाइलें दबाकर उनके प्रयासों को निष्फल कर दिया जाता है..!!
भारत के लोकतंत्र की सुदृढ़ता केवल संसद और विधानसभाओं से नहीं मापी जाती। इसकी वास्तविक मजबूती उस चौथे स्तंभ पत्रकारिता में निहित है, जो जनता और शासन के बीच सेतु का कार्य करता है। परंतु विडम्बना यह है कि विशेषकर ग्रामीण अंचलों में कार्यरत पत्रकार जब किसी सरकारी कार्यालय की चौखट पर दस्तक देते हैं, तो अक्सर उन्हें उपेक्षा और अपमान का सामना करना पड़ता है।
क्लर्क से लेकर कलेक्टर और कमिश्नर तक अनेक अधिकारी इस तथ्य का लाभ उठाते हैं कि अधिकांश पत्रकार “जनता के प्रति उनके विधिक और संवैधानिक दायित्वों” की गहराई से जानकारी नहीं रखते। परिणामस्वरूप कभी उन्हें कानून का भय दिखाकर डराया-धमकाया जाता है,कभी ज्ञापन स्वीकार करने से मना कर दिया जाता है,और कभी फाइलें दबाकर उनके प्रयासों को निष्फल कर दिया जाता है।पत्रकारिता का यह संघर्ष चिरकाल से चला आ रहा है। पत्रकार की कलम सदैव असमानता, अन्याय और उदासीनता से टकराती रही है। किंतु अब परिदृश्य बदल रहा हैं।
ब्रह्मास्त्र के रूप में कृत्रिम बुद्धिमत्ता
जिस प्रकार देवर्षि नारद ने ब्रह्माण्ड के प्रथम संवाददाता के रूप में सत्य और समाचार का प्रसार सम्पूर्ण लोक में किया था, उसी प्रकार आज कृत्रिम बुद्धिमत्ता (Artificial Intelligence– AI) आधुनिक पत्रकारों के लिए एक दिव्य शस्त्र बनकर अवतरित हुई है।
अब पत्रकार को किसी अधिकारी से यह पूछने की आवश्यकता नहीं रह गई कि:
“आप जनता के प्रति कौन से दायित्व निभाने को बाध्य हैं?”
“कलेक्टर को जनसुनवाई में कौन सा उत्तर देना चाहिए?”
क्योंकि पत्रकार अब अपने मोबाइल या लैपटॉप पर मात्र कुछ क्षणों में AI से यह सब जानकारी प्राप्त कर सकता है। संवैधानिक प्रावधान, सरकारी अधिसूचनाएँ, अदालती निर्णय और विधिक व्याख्याएँ सब कुछ अब तुरंत उपलब्ध है।
प्रशासन के लिए स्पष्ट संदेश
प्रशासन को यह समझ लेना चाहिए कि पत्रकारों को अब “बुद्धू बनाना” संभव नहीं रहा। किसी भी अधिकारी का टाल-मटोल या गैरकानूनी रवैया अब पलक झपकते ही उजागर हो सकता है। इतना ही नहीं, यह उनके आचरण और कार्यप्रणाली पर प्रश्नचिह्न लगाकर उनकी वार्षिक गोपनीय रिपोर्ट (ACR) तक प्रभावित कर सकता है।
पत्रकारिता अब केवल प्रश्न पूछने या रिपोर्ट प्रस्तुत करने तक सीमित नहीं रही। यह अब AI-सशक्त चेतना का स्वरूप धारण कर चुकी है, जो शासन को पारदर्शी और जनता को सशक्त बनाने की दिशा में अग्रसर है।
पत्रकारिता का नवयुग
आज पत्रकार का अस्त्र-शस्त्र केवल कलम, कैमरा और माइक नहीं है। उसके पास अब AI का ब्रह्मास्त्र भी है
जो उसकी खोजी शक्ति को कई गुना बढ़ा देता है,उसे तत्काल विधिक सुरक्षा प्रदान करता है,शासन-प्रशासन को पारदर्शिता और उत्तरदायित्व की ओर बाध्य करता है,और आम नागरिकों को न्याय की ओर तेज़ी से अग्रसर करता है।
पत्रकारिता का यह नया युग न केवल सूचना के आदान-प्रदान को तीव्र बना रहा है, बल्कि उसे न्याय और सत्य की संजीवनी भी प्रदान कर रहा है।
विश्व-व्यापी संदेश
कृत्रिम बुद्धिमत्ता ने पत्रकारिता को अभूतपूर्व आयाम दिए हैं। अब पत्रकार न अकेला है, न असहाय।
उसके हाथों में वह शक्ति है जो अन्याय और भ्रष्टाचार की नींद उड़ा सकती है।
जब सत्य और तकनीक एकजुट होकर कार्य करते हैं, तो किसी भी अन्याय का टिकना असंभव हो जाता है। यही संदेश आज भारत ही नहीं, सम्पूर्ण विश्व के लिए है।