• India
  • Tue , Dec , 16 , 2025
  • Last Update 10:20:PM
  • 29℃ Bhopal, India

निष्ठा की प्रतिष्ठा, न्यू पॉलिटिक्स का नेक्स्ट लेवल मैसेज 

सार

    भाजपा ने धारदार और सरप्राइज फैसलों से एक तीर से दो शिकार की कहावत को ही बदल दिया है. पार्टी के नए राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष नितिन नबीन को बनाने के फैसले ने जितना बीजेपी को छकाया है उससे ज्यादा कांग्रेस और दूसरे दलों को चौंकाया है..!!

janmat

विस्तार

    कास्ट पॉलिटिक्स के इस दौर में किसी अपर कास्ट के लीडर को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने का मौका बीजेपी में ही मिल सकता है. बाकी दलों में तो परिवार या जातिवादी नेताओं से इतर सोचा भी नहीं जा सकता. बीजेपी का नवीन GEN-G प्रयोग सभी राजनीतिक दलों को इसी दिशा में आगे बढ़ने के लिए मजबूर करेगा. सभी को योग्यता को प्राथमिकता देना पड़ेगा.

    बिहार विधानसभा के वर्डिक्ट ने जातीय राजनीति की सीमाओं को तोड़ा तो बीजेपी ने उसके संदेश को अपने नवीन प्रयोग में पकड़ लिया. पार्टी में यह पीढ़ीगत परिवर्तन का संकेत है. कैडर को निष्ठा, समर्पण और ईमानदारी के साथ अपने दायित्व के प्रति प्रतिबद्धता पर बड़े से बड़े पुरस्कार का संदेश है. बीजेपी ऐसे फैसले इसलिए कर पाती है क्योंकि वहां संगठनात्मक संरचना ही सर्वोपरि है. व्यक्ति से ज्यादा संगठन महत्वपूर्ण है. पद पर कोई भी हो सामूहिक भूमिका के कारण ऐसे सरप्राइज फैसले लेने का साहस बनता है. 

    यह चयन नए कैडर के साथ पुराने धुरंधरों के लिए भी बड़ा संदेश है. इस निर्णय ने यह भी साबित किया कि पार्टी में नेताओं और कार्यकर्ताओं पर सतत नजर रखी जाती है. उनकी निष्ठा, समर्पण और परफॉर्मेंस को परखा जाता है. नितिन नबीन को जब राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष बनाने की सूचना मिली उस समय वे अपने विधानसभा क्षेत्र में चुनावी जीत के लिए पार्टी के कार्यकर्ताओं को सम्मानित कर रहे थे. संगठन के प्रति समर्पण के इसी भाव से ही वे राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष पद तक पहुँचने में कामयाब हुए हैं . 

    बीजेपी में कोई पहली बार ऐसा नहीं हो रहा है. हमेशा ऐसे चौंकाने वाले फैसले लिए जाते हैं. नरेंद्र मोदी को संघ प्रचारक से मुख्यमंत्री बनाने का जब फैसला लिया गया था, तब भी लोग इससे ज्यादा चौंके थे. नबीन तो लंबे समय से राजनीति में हैं. पांच बार के विधायक और मंत्री हैं. मोदी तो सक्रिय राजनीति में थे भी नहीं फिर भी उनकी योग्यता को पहचाना गया. उन्हें सीएम बनाया गया.  जब नरेंद्र मोदी को पीएम उम्मीदवार के रूप में उतारा गया, उस समय भी यह फैसला पीढ़ी परिवर्तन का ही था. वरिष्ठ नेताओं को छोड़कर नरेंद्र मोदी को चुना गया. जिसे जनता ने ना केवल स्वीकारा बल्कि उसे सही साबित करते हुए लगातार तीन बार केंद्र में पार्टी को सत्ता पर बिठाया. 

    बीजेपी और पीएम नरेंद्र मोदी से राजनीति में पिछड़ते विपक्षी दल विशेष कर कांग्रेस कुंठा की तरफ बढ़ रही है. राहुल गांधी जिस तरह से जातिवाद बढ़ा रहे हैं, हर फील्ड में जातियों की गणना करने लगते हैं. एक तरफ वह कहते हैं कि बीस प्रतिशत अपर कास्ट सभी फील्ड में हावी होकर दूसरी जातियों को कंट्रोल करती हैं. तथ्यात्मक रूप से यह सही नहीं है, लेकिन फिर भी राहुल गांधी का लक्ष्य तथ्य नहीं बल्कि विभाजन की राजनीति नजर आता है. ऐसे समय में एक अपर कास्ट नेता को पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाना परिवारवादी और जातिवादी राजनीति से आगे का कदम है.

    बीजेपी में यह सब इसलिए संभव हो पाता है, क्योंकि राष्ट्रीय स्वयं संघ के रूप में उसके पास जमीन से जुड़े मार्गदर्शक उपलब्ध हैं. संघ निरंतर बीजेपी नेताओं की योग्यता, क्षमता, निष्ठा और समर्पण को मैदानी स्तर पर जांचता है. भाजपा के वर्तमान अध्यक्ष का कार्यकाल समाप्त होने के बाद जब इसे बढ़ाया गया था, तब से लेकर ही यह भ्रम फैल रहा था, कि बीजेपी और संघ के बीच में नए अध्यक्ष के नाम को लेकर मतभेद है. अब जब राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष का नाम सामने आ गया है, तब किसी को समझ नहीं आ रहा है कि यह नाम पार्टी की तरफ से आया है या संघ की तरफ से.

    नितिन नबीन उत्तर भारत से हैं. अपर कास्ट से आते हैं. राजनीति में जातियों के प्रतिनिधित्व के मामले में कथनी कांग्रेस की ज्यादा होगी, लेकिन करनी में बीजेपी काफी आगे है. उसकी सरकारों में केंद्र से लगाकर राज्य में तथा पार्टी संगठन में सभी जातियों का समुचित प्रतिनिधित्व देखा जा सकता है. इसके विपरीत कांग्रेस बातें कितनी भी करे लेकिन प्रतिनिधित्व के मामले में हर बार जातियों के मामले में पिछड़ जाती है.

    नेपाल में जब GEN-G आंदोलन हुआ था, तब राहुल गांधी और विभिन्न दलों के नेता भारत में भी GEN-G को भड़काने की कोशिश कर रहे थे. एक तरफ भड़काने का प्रयास चल रहा था तो दूसरी तरफ बीजेपी GEN-G को राजनीतिक भागीदारी में ज्यादा मौके देने की कोशिश कर रही थी. नबीन का प्रयोग निश्चित रूप से भाजपा संगठन में नए युवा नेताओं को आगे आने का मौका देगी. 

    नितिन नबीन बिहार में पीडब्ल्यूडी विभाग के मंत्री हैं. इस विभाग में मंत्री होकर अपनी इमेज को साफ सुथरा और ईमानदार बनाए रखना, सबसे कठिन चुनौती मानी जाती है. इस चुनौती को उन्होंने पार किया है, तभी बीजेपी के राष्ट्रीय नेतृत्व के लिए उन्हें चुना गया है.

    देश की राजनीतिक धुरी आज बीजेपी है. उसके खिलाफ ही पूरा राजनीतिक परिदृश्य दिखता है. बीजेपी की धुरी में नबीन प्रयोग हो रहे हैं और दूसरी तरफ कांग्रेस सहित जितने भी दल हैं, उनके नेतृत्व के चेहरे लगभग निश्चित हैं. कहने को बीजेपी के प्रयास को भी रिमोट कंट्रोल कहा जा सकता है, लेकिन पार्टी का अब तक का इतिहास तो यही बताता है कि वहां व्यक्ति नहीं संगठन की सामूहिकता काम करती है .

    बीजेपी का नबीन प्रयोग GEN- G को प्रोत्साहित करेगा. परिवारवादी और जातिवादी राजनीति को हतोत्साहित करेगा. राजनीति में योग्यता परफॉर्मेंस का महत्व स्थापित करेगा. जो दिशा बीजेपी ने दिखाई है, उसी पर दूसरे दलों को भी चलने के लिए बाध्य होना पड़ेगा. न्यू इंडिया की न्यू पॉलिटिक्स से पुराने तरीके से मुकाबला अब संभव नहीं लगता.