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मीडिया क्षेत्र में पाँव फैला रहे हैं अंबानी 

राकेश दुबे राकेश दुबे
Updated Wed , 28 Apr

सार

यह गूगल के बाद भारत की दूसरी सबसे बड़ी मीडिया कंपनी होगी..!!

janmat

विस्तार

रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (आरआईएल) ने इस साल फरवरी के अंत में आरआईएल और बोधि ट्री के स्वामित्व वाली वायकॉम 18 और डिज्नी के स्वामित्व वाली स्टार इंडिया के विलय की घोषणा की। हाल ही में उसने वॉयकॉम 18 में मूल साझेदार पैरामाउंट की शेष हिस्सेदारी खरीद ली। अब इस नई विलय वाली इकाई का पूरा नियंत्रण आरआईएल और बोधि ट्री के पास है। यह कम्पनी जब भी मीडिया कारोबार से जुड़े कोई नए कदम उठाती है तब हर किसी को हैरानी होती है कि आखिर ऐसा क्यों किया जा रहा है? 

जैसे वर्ष 2022 में उसने जेम्स मर्डोक और उदय शंकर के स्वामित्व वाली बोधि ट्री को वायकॉम 18 में एक निवेशक के रूप में जोड़ा और इस पूरे पैकेज में जियो सिनेमा शामिल हो गया। पिछले साल उसने इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) के डिजिटल अधिकार खरीदे और एचबीओ के प्रीमियम प्रोग्रामिंग का लाइसेंस भी लिया।

सवाल यह है कि आखिर ऐसा क्यों किया गया? क्या इस तरह के कदम इसलिए उठाए गए कि मीडिया एक अच्छा निवेश है? ऐसा लगता नहीं है। निश्चित रूप से करीब 2.3 लाख करोड़ रुपये (लगभग 28 अरब डॉलर) का भारतीय मीडिया एवं मनोरंजन कारोबार एक मुश्किल जगह है। इस उद्योग में मीडिया सामग्री की तादाद ज्यादा है लेकिन इसकी प्रत्येक इकाई से होने वाली आय कम होती है। इसके कम मार्जिन को देखते हुए इसके लिए बहुत प्रयास और धैर्य की आवश्यकता होती है।

स्टार इंडिया को 1990 के दशक में सफल होने में लगभग एक दशक लग गया। वहीं केबल में शत-प्रतिशत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की अनुमति मिलने के आठ साल से भी अधिक समय बाद एक भी कंपनी सामने नहीं आई है। ऐसे कई उदाहरण हैं।

वर्ष मार्च 2023 में समाप्त हुए वर्ष में लगभग 9.8 लाख करोड़ रुपये (लगभग 119 अरब डॉलर) की कमाई के साथ ही रिलायंस इंडस्ट्रीज भारत की सबसे बड़ी निजी क्षेत्र की कंपनी बन गई है। यह हाइड्रोकार्बन की खोज के साथ-साथ पेट्रोकेमिकल्स, पेट्रोलियम रिफाइनिंग जैसे क्षेत्रों में काम करती है जहां व्यापक दायरे के साथ-साथ परियोजना प्रबंधन क्षमता महत्त्वपूर्ण हैं।

अब लगता है वायकॉम 18 के डिज्नी-स्टार (जो बड़ी इकाई है) के साथ विलय से एक ऐसी कंपनी बनेगी जिसकी संयुक्त कमाई 23,321 करोड़ रुपये होगी (जैसा कि मार्च 2023 को समाप्त वर्ष में दर्ज किया गया था)। यह गूगल के बाद भारत की दूसरी सबसे बड़ी मीडिया कंपनी होगी। इसके बाद भी यह आरआईएल की कमाई का सिर्फ 2 प्रतिशत ही होगा। विलय वाली इकाई का मूल्यांकन (8.5 अरब डॉलर) आरआईएल के वर्तमान बाजार पूंजीकरण का लगभग 3.5 प्रतिशत है।

वैसे यह निवेश आरआईएल समूह के लिए मामूली है तो फिर इस पर चर्चा क्यों करनी है? क्या यह किसी विशेष लाभ या प्रभाव से जुड़ा हो सकता है? अगर आरआईएल समूह के आकार और प्रभाव को देखें तो इसे इसके लिए मीडिया की आवश्यकता नहीं है।