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देश : कीजिए, देशहित में कुछ कीजिए

राकेश दुबे राकेश दुबे
Updated Mon , 24 Apr

सार

प्रतिदिन -राकेश दुबे- अगर आपको अग्निपथ योजना अच्छी नहीं लगी तो मत आओ, आपको बोल कौन रहा है आने को, आप बसें जला रहे हो, ट्रेन जला रहे हो, किसी ने आपको बोला कि हम आपको फौज में लेंगे| जो आना चाहते हैं वे आ सकते हैं| आपको आने के लिए कौन कह रहा है? आप बस और ट्रेन जला रहे हैं, किसी ने कहा है कि आपको सेना में ले जाया जाएगा? अब सवाल आप से है, क्या ऐसी परिस्थिति में भी आप चुप रहेंगे| कीजिए, देश हित में कुछ कीजिए |

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विस्तार

प्रतिदिन -राकेश दुबे   

भारत जैसा देश, जो विश्व की एक बड़ी आर्थिक और सामरिक महाशक्ति बनने का सपना देख रहा है ,वहां  इन दिनों जो कुछ किया जा रहा है , वो विचारणीय नहीं गंभीर चेतावनी है| कुछ मुद्दों पर “मतभेद” और उसके समाधान पर विचार करने के स्थान पर पुलिस पर पथराव,रेलों में आगजनी, सम्पत्ति को नुकसान, देश बंद  और  सामान्य जन को बांटने की कोशिश को दुर्भाग्य ही कहा जायेगा| देशहित  की बात करने वालों  की चुप्पी और हिंसक वारदातों को मिलता समर्थन अब और नजरंदाज नहीं किया जा सकता।

हमें याद रखना चाहिए इस सब से इतिहास के वो  रक्तरंजित अध्याय तैयार हो रहे हैं, जो देश को पीछे ले जायेंगे| वैसे इतिहास एक दोधारी तलवार की तरह होता है। कभी वह हमें अपनी जड़ों से जोड़कर अपनी आंतरिक शक्ति को पहचानने की शक्ति प्रदान करता है, तो कई बार हमारे शरीर से जबरन बांधे गये  भारी पत्थर की तरह हमें पाताल की तरफ ले जाता है। बेरोजगारी , महंगाई जैसे कुछ मुद्दे गंभीर हैं, प्रतिपक्ष और सरकार दोनों को गम्भीर मंथन की जरूरत है|वास्तव में गंभीर चिंतन की वेला है  जिसमें देश के संविधान और कानून को ही असांविधानिक घोषित कराने के प्रयास हो रहे हैं। 

सेना में भर्ती को लेकर आज भारत बंद है| केंद्र सरकार ने अग्निपथ योजना का ऐलान किया, इस योजना की घोषणा के बाद से ही पूरे देश में उग्र प्रदर्शन हो रहे हैं| देशहित में समाधान की मदद के स्थान पर, एक बड़े राजनीतिक  दल द्वारा पात्र लिख कर आन्दोलन का समर्थन किया गया जिससे  बिहार, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, मध्यप्रदेश समेत देश के कई राज्यों में यह हिंसक प्रदर्शन और तेज हो गया| आज सारी सरकारों की प्राथमिकता बदली हुई है| भारत बंद के दौरान किसी तरह की अप्रिय घटना नो हो,प्राथमिकता बन गई है| लगता है कि हम एक ऐसे देश में बदल रहे हैं, जो इतिहास से सबक नहीं लेते। फिल्मों से लेकर पाठ्य सामग्री के पुनर्निर्माण तक हम ऐसी सारी गलतियां कर रहे हैं, जिनके चलते नकारात्मक अर्थों में कहा जाता है कि इतिहास खुद को दोहराता है। 

घटनाक्रम को याद  कीजिये, ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर एक चैनल पर हुई बहस ने इस तनाव के इस माहौल को और भड़काने का काम किया है। इससे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और उसकी सीमाओं पर नई तरह की बहस शुरू हो गई है। सोशल मीडिया से लेकर इलेक्ट्रॉनिक चैनलों तक में दोनों पक्षों ने संयम खोकर बहसें की हैं और इन्हीं का नतीजा देश के कई दर्जन शहरों में लोग सड़कों पर निकल आए, उनके पथराव तथा आगजनी के बाद पुलिस को लाठी गोली चलानी पड़ी।

इन सारी घटनाओं ने देश को एहसास करा दिया कि हम एक वैश्विक दुनिया में रह रहे हैं। यहां आप यह सोचकर निश्चिंत नहीं बैठ सकते कि कोई प्रसंग किसी देश का नितांत अंदरूनी मसला हो सकता है और बाकी दुनिया पर उसका कोई असर नहीं पडे़गा। इसलिए जैसे ही नूपुर शर्मा की टिप्पणी वायरल हुई, मौका ताक रही  शक्तियाँ सक्रिय हो गई | इस विवाद से उनकी रोजी-रोटी खतरे में पड़ गई, जो देश के बाहर देश के लिए काम कर रहे हैं|

यदि नूपुर शर्मा अगर सत्तारूढ़ दल भारतीय जनता पार्टी की राष्ट्रीय प्रवक्ता न होतीं, तो शायद उनके कथन से इतना बड़ा विवाद न खड़ा होता। जो बातें उन्होंने कहीं, उससे ज्यादा कठोर और विवादास्पद बयान तो एक्स मुस्लिम नाम से चलने वाले कई दर्जन यू ट्यूब चैनलों से अब भी रोज सुनाई दे रहे  हैं, पर उन्हें लेकर सड़कों पर किसी तरह हंगामा नहीं होता| भारतीय राज्य को संविधान और कानून-कायदे के तहत इस दायित्व को  भी पूरा करना चाहिए। सरकार पता नहीं क्यों चुप है?

दो और घटनाक्रम इससे जुड़ रहे हैं| जैसे झारखंड के बिरसा मुंडा एअरपोर्ट पर एआईएमआईएम के राष्ट्रीय अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी के स्वागत में आई भीड़ ने पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाएl जैसे ही ओवैसी के हवाई जहाज के एयरपोर्ट पर लैंड होने की सूचना आई वैसे ही वहां मौजूद लोगों ने पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाने शुरू कर दिएl इस घटना से थोड़ी देर के लिए एयरपोर्ट के बाहर असहज स्थिति बन गईl पुलिस भीड़ को चुप कराने लगी। यह सब क्यों ? दूसरा, केंद्रीय मंत्री और पूर्व सेना प्रमुख वी.के. सिंह ने कहा कि हमारे यहां अनिवार्यता नहीं है, जिसको आना है आए| अगर आपको अग्निपथ योजना अच्छी नहीं लगी तो मत आओ, आपको बोल कौन रहा है आने को, आप बसें जला रहे हो, ट्रेन जला रहे हो, किसी ने आपको बोला कि हम आपको फौज में लेंगे| जो आना चाहते हैं वे आ सकते हैं| आपको आने के लिए कौन कह रहा है? आप बस और ट्रेन जला रहे हैं, किसी ने कहा है कि आपको सेना में ले जाया जाएगा? अब सवाल आप से है, क्या ऐसी परिस्थिति में भी आप चुप रहेंगे| कीजिए, देश हित में कुछ कीजिए |