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अमेरिका में चुनाव भारत में जीत का भाव

सार

US प्रेसिडेंट के चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप के विजयी होने का जश्न भारत में मनाया जा रहा है. भारत में ऐसी खुशी देखी जा रही है, कि जैसे अमेरिकी राष्ट्रपति के चुनाव में भारतीय भावनाओं की जीत हुई है. हिंदुत्व के विस्तार और एकीकरण की जीत हुई है..!!

janmat

विस्तार

    पूरे चुनाव में राष्ट्रपति के रिपब्लिक और डेमोक्रेटिक दोनों उम्मीदवारों ने हिंदूवादी छवि स्थापित करने की कोशिश की. कमला हैरिस ने मंदिरों में जाकर भारतीय मूल और हिंदुत्व के प्रति अपना कमिटमेंट बताया, तो डोनाल्ड ट्रम्प ने बांग्लादेश में हिंदुओं के साथ हो रहे अत्याचार के ख़िलाफ आवाज़ उठाकर हिंदूवादी होने का पुरजोर मैसेज दिया.

    भारत में भले ही हिंदुत्व सभ्यता मानने वाले ही हिंदुत्व की राजनीति का विरोध करते हों, लेकिन दुनिया के दूसरे देशों विशेष कर अमेरिका में हिंदुओं का समर्थन जीत की गारंटी बन गया है. ट्रम्प की हिंदूवादी छवि और पीएम मोदी के साथ उनके दोस्ताने के कारण खुशी और जश्न का माहौल है. सारे हिंदूवादी नेता और संगठन ट्रम्प की जीत पर बधाइयां दे रहे हैं. पीएम मोदी के साथ उनकी मित्रता की स्मृति भविष्य के अच्छे दिन का संकेत दे रहे हैं.

    दुनिया के सुपर पावर अमेरिका में जब से राष्ट्रपति चुनाव की प्रक्रिया प्रारंभ हुई थी, तब से ही दोनों प्रत्याशियों की जीत की संभावनाओं पर भारत पर पड़ने वाले प्रभाव के विश्लेषण किए जा रहे थे. वैसे तो पीएम मोदी की लीडरशिप में भारत, अमेरिका के तीन राष्ट्रपतियों के साथ रणनीतिक साझेदारी कर चुका है.

    मोदी जब प्रधानमंत्री बने थे, तब बराक ओबामा राष्ट्रपति थे. उसके बाद ट्रम्प राष्ट्रपति बने. फिर जो बाइडेन राष्ट्रपति बने. अब डोनाल्ड ट्रम्प फिर से राष्ट्रपति चुने गए हैं. भारत और अमेरिका के बीच तमाम मुद्दों पर रणनीतिक साझेदारी स्थिरता के साथ ही चल रही है. यह बात अलग है, कि मोदी और ट्रम्प की केमिस्ट्री और दोस्ताना भारत को भावनात्मक रूप से अधिक करीब दिखाई पड़ता है. कोई भी राष्ट्र अपनी नीतियां अपने राष्ट्र के हितों के आधार पर बनाता है. 

    भारत इस समय दुनिया में सुपर पावर देशों के साथ बराबरी के साथ खड़ा है. अमेरिका और रूस दोनों के बीच भारत बराबरी से साझेदारी कर रहा है. विश्व का नेतृत्व करने वाले देशों के बीच भारत आज अग्रिम पंक्ति में खड़ा हुआ है. ऐसी स्थिति में किसी भी राष्ट्र के लिए भारत को इग्नोर करना संभव नहीं रह गया है.

    पीएम नरेंद्र मोदी और डोनाल्ड ट्रम्प की टेलीफोन पर बातचीत में बधाई का आदान-प्रदान हो चुका है. मोदी बधाई में कहते हैं कि मेरे मित्र राष्ट्रपति ट्रम्प से फोन पर अच्छी बातचीत हुई. मैंने उन्हें शानदार जीत पर बधाई दी. हमें प्रौद्योगिकी, रक्षा, ऊर्जा, अंतरिक्ष और अन्य क्षेत्रों में संबंधों को मजबूत करने के लिए एक बार फिर मिलकर काम करने की उम्मीद है. 

    डोनाल्ड ट्रम्प का राष्ट्रपति बनना भारत के लिए लाभ की स्थिति पैदा कर रहा है. चीन भारत के लिए सिर दर्द बना रहता है. चीन पर ट्रम्प सख्त हैं. भारत को इससे लाभ हो सकता है. इसी प्रकार ट्रम्प की लीडरशिप में रूस के साथ रिश्ते सुधर सकते हैं. यह भी भारत के लिए फायदेमंद रहेगा. ट्रम्प खुद को भारत का अच्छा दोस्त कहते रहे हैं. भारतीयों के लिए नए जॉब के अवसर भी खुलने की संभावना है. 

    आतंकवादी गतिविधियां भारत की आंतरिक सुरक्षा और संप्रभुता को चुनौती देती दिखाई पड़ती हैं. खालिस्तानियों की गतिविधियों को कनाडा में जिस ढंग से हवा दी जा रही है, उस पर नियंत्रण लग सकता है. इस्लामिक कट्टरवाद पर भी ट्रम्प की नीतियां कठोर हैं पीएम नरेंद्र मोदी रूस यूक्रेन युद्ध को रोकने के लिए सतत प्रयास कर रहे हैं. डोनाल्ड ट्रम्प के राष्ट्रपति बनने के बाद शांति के प्रयासों को गति मिल सकती है. इसी प्रकार इजराइल-ईरान युद्ध के बन रहे हालात पर भी निर्णायक कदम उठाए जा सकते हैं. 

    कनाडा में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार पर भी ट्रम्प सरकार का प्रभाव दिखाई पड़ सकता है. बांग्लादेश में तख्ता पलट के बाद हिंदुओं के साथ जो अत्याचार अनाचार हो रहा है, उस पर भी नियंत्रण की उम्मीद की जा सकती है.

    अमेरिकी लोकतंत्र को सबसे पुराना लोकतंत्र माना जाता है, लेकिन अमेरिका में अभी तक महिला राष्ट्रपतिनहीं बन सकी है. भारत के लोकतंत्र को अभी 100 साल पूरे नहीं हुए हैं, फिर भी राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के पद पर महिलाएं नेतृत्व कर चुकी हैं. भारत की राष्ट्रपति वर्तमान में भी आदिवासी महिला ही हैं.

    अमेरिकी राष्ट्रपति के चुनाव में इस बार स्त्री-पुरुष विमर्श और संघर्ष भी दिखाई पड़ा. चुनावी सर्वेक्षणों में जिस तरह के नतीजे आ रहे थे उसमें ऐसा माना जा रहा था कि शायद पहली बार अमेरिका को महिला राष्ट्रपति मिल जाए लेकिन चुनाव परिणामों नें यह साबित कर दिया है कि वहां पुरुषों का अभी भी वर्चस्व है. 

    भारत का लोकतंत्र इस मामले में अमेरिकी लोकतंत्र से भी ज्यादा सशक्त और जीवंत है. महिलाओं की भागीदारी भारतीय लोकतंत्र में सर्वाधिक है. संसद और विधानसभाओं में महिलाओं को आरक्षण दिया गया है. जो अभी लागू नहीं हो पाया है. इसके लागू होने के बाद तो भारत का लोकतंत्रऔर भारत का विकास वूमेन ड्रिवन ही दिखाई पड़ेगा.

    जहां तक आयात-निर्यात और व्यापार के दूसरे सेक्टर्स का संबंध है, तो निश्चित रूप से ट्रम्प अमेरिका के हितों को प्राथमिकता देंगे, लेकिन वैश्विक महत्व और जरूरत को देखते हुए भारत के साथ इंजस्टिस करने की स्थितियां अब नहीं बन सकती हैं.

    ट्रम्प का भारत के प्रति रुख देखने लायक होगा. भावनात्मक रूप से तो भारत में ऐसा ही माहौल है, कि जैसे अमेरिका में हिंदूवादी ताकतें शक्तिशाली हुईं. भारत भले ही सेक्यूलर देश है लेकिन पूरी दुनिया में हिंदू बहुसंख्यकों  के राष्ट्र के रूप में हिंदुओं का प्रतिनिधित्व करता है. इसी कारण दुनिया में जहां भी हिंदूवादी छवि और ताकतों को मजबूती मिलती है, तो भारत में प्रसन्नता होती है. जब अन्य देशों में हिंदुओं पर अन्याय होता है, तो भारत में सर्वाधिक रूप से कष्ट और प्रतिक्रिया होती है. 

    भारत के पड़ोसी देश पाकिस्तान, बांग्लादेश अफगानिस्तान से आने वालेअल्पसंख्यक हिंदुओं को भारत में नागरिकता देने का जो कानून बनाया गया है, वह भी हिंदुओं के प्रति भारत की प्रतिबद्धता का नतीजा है.

    ट्रम्प और मोदी की मित्रता और रिश्तो में गर्माहट अन्य कारणों के साथ हिंदूवादी और भगवा सोच के प्रति कॉमन अप्रोच है. दोनों का ट्रम्प कार्ड राष्ट्रवाद है. बादल समुद्र से उठते हैं, लेकिन खुशी वहां होती है जहां बारिश होती है. 

    ट्रम्प की जीत का बादल US  में उठा है, लेकिन खुशी का भाव भारत में भी है. कारण यह दिखाई पड़ता है, कि पूरी दुनिया में हिंदुत्व जुडे़गा ट्रम्प इसके लिए लड़ेगा, भारत अमेरिका के रिश्ते अच्छे होंगे. ट्रम्प मोदी का दोस्ताना बढ़ेगा. अमेरिकी भारतीयों में और भारत में खुशियां बढ़ेंगी यही ट्र्रम्प कार्ड चला है और चलता रहेगा.