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विरासत पर विदेशी वार, किसका करेंगे बंटाधार!

सार

    विदेश में कांग्रेस का चेहरा सैम पित्रोदा भारत में चुनाव का बड़ा चेहरा बन गए हैं. राजीव गांधी के सलाहकार रहे पित्रोदा बड़े इंटेलेक्चुअल माने जाते हैं. इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के अध्यक्ष पित्रोदा विदेशी दौरों के समय राहुल गांधी के साथ अक्सर देखे जाते हैं. राजीव गांधी के सलाहकार के रूप में भी सैम पित्रोदा देश के कोने-कोने तक नहीं पहचाने गए होंगे जितना उनके एक बयान ने उन्हें भारत में पहुंचा दिया है..!!

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विस्तार

    कांग्रेस पार्टी द्वारा संपत्ति के सर्वे और संसाधनों के बंटवारे को लेकर मेनिफेस्टो में वायदों पर बढ़ते विवाद के बीच सैम पित्रोदा ने ऐसी बात कह दी है, जिसने भारत की विरासत को ही हिला दिया है. सैम पित्रोदा ने भारत में विरासत टैक्स लगाने का विचार दिया है. उन्होंने कहा कि अमेरिका में एक विरासत टैक्स है. अगर किसी के पास 100 मिलियन डॉलर की संपत्ति है और जब वह मर जाता है, तो केवल 45% उसके बच्चों को ट्रांसफर हो सकता है. 55 परसेंट सरकार ले लेती है.

    उनका कहना है, कि यह दिलचस्प कानून है. इसमें कहा गया है, कि आपने अपनी पीढ़ी में संपत्ति कमाई है और अब जा रहे हैं. आपको अपनी संपत्ति जनता के लिए छोड़नी चाहिए. पूरी नहीं आधी.  उनके अनुसार उन्हें यह उचित लगता है. उनका कहना है, भारत में भी इस पर विचार होना चाहिए. 

    सैम पित्रोदा के बयान पर बीजेपी ने पलटवार बात करते हुए कहा है, कि कांग्रेस देश को बर्बाद करना चाहती है. कांग्रेस ने पित्रोदा के इस बयान से किनारा कर लिया है. कांग्रेस पर विदेशी विचार हावी होने के आरोप तो हमेशा से लगते रहे हैं. कांग्रेस की न्याय की परिकल्पना के पीछे भी ऐसे ही विदेशी विचारों की छाप दिखाई पड़ती है. अभी तक कांग्रेस तुष्टिकरण के ही आरोपों को झेल रही थी. अब भारत की विरासत और लोगों की संपत्ति को लेकर विवाद में फंस गई है. 

    बीजेपी इसे विदेशी राजनीतिक षड्यंत्र बता रही है. बीजेपी का कहना है,कि दुनिया में बदलते आर्थिक परिदृश्य में भारत वर्ल्ड इकोनामी का बेस बनने जा रहा है. भारत की सेविंग बेस्ट इकोनामी है. सेविंग को भारत में परिवार और जेनरेशन प्रेरित करती है. यानी सेविंग देश की विरासत है. भारत का मूल मंत्र एक पीढ़ी कमाती है. दूसरी पीढ़ी उसको बढ़ाती है. फिर तीसरी पीढ़ी को इससे कुछ सुख मिलता है. इस सुख चैन को कांग्रेस छीनना चाहती है. 

    अमेरिका में 55% हेरिटेज टैक्स लगता है. डॉलर की हालत खराब हो रही है. दुनिया हार्ड करेंसी मतलब गोल्ड की तरफ बढ़ रही है. दुनिया में सबसे अधिक सोना भारत में लोग खरीदते हैं और कांग्रेस इस पर टैक्स लगाना चाहती है. ऐसा होने पर कांग्रेस की लूट जिंदगी के साथ भी और जिंदगी के बाद भी जारी रहेगी. पीएम नरेंद्र मोदी ने भी इस मामले को मुखरता से उठाया है. 

    इंदिरा गांधी ने विरासत टैक्स लगाया था. श्रीमती गांधी की हत्या के बाद परिवार की संपत्ति पर टैक्स से बचने के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने इस टैक्स को हटाया. पीएम मोदी ने मुरैना की सभा में यह जानकारी लोगों के सामने रखी. लोकसभा चुनाव पीक पर आते-आते चुनाव के बीच कांग्रेस अपनी सोच और मुद्दों के कारण गिरती दिखाई पड़ रही है. 

    पहले घोषणा पत्र में संपत्ति के सर्वे और जातिगत जनगणना साथ एक्सरे की बात और जिसकी जितनी आबादी उतना हक का नारा दिया. कांग्रेस को तो शायद याद भी नहीं होगा, कि उसके पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने संसाधनों पर पहला ह़क मुसलमानों का बताया था. सच्चर कमेटी की रिपोर्ट भी इसी संदर्भ में भारत में पहले भी विवाद का कारण बन चुकी है. इसी बीच सैम पित्रोदा का हेरिटेज टैक्स का विचार ऐसे विस्फोट के रूप में सामने आया, कि कांग्रेस चारों तरफ से घिरती नजर आ रही है. 

     लोकसभा चुनाव में वैसे भी कांग्रेस की संभावनाएं बहुत उज्ज्वल दिखाई नहीं पड़ रही हैं. 2019 के चुनाव परिणाम कांग्रेस दोहरा ले, यही उसके लिए बड़ी उपलब्धि होगी. अब तो ऐसा लगने लगा है, कि कांग्रेस ने गठबंधन की जो राजनीति भाजपा के मुकाबले के लिए शुरु की थी, वह कांग्रेस के गठबंधन सहयोगियों को ही नुकसान पहुंचा रही है. गठबंधन में शामिल क्षेत्रीय दलों के अपने मुद्दे अपने टारगेट और अपने एरिया हैं. 

    राष्ट्रीय स्तर पर भाजपा विरोध ही उनकी ताकत हुआ करती है. लेकिन कांग्रेस के खिलाफ़ जिस तरह के मुद्दे कांग्रेस स्वयं उपलब्ध करा रही है, उसके कारण मतदाताओं में बढ़ रहा अविश्वास कांग्रेस के साथ ही उनके सहयोगियों को भी नुकसान पहुंचा सकता है. संपत्ति और सोना भारत में भावना का विषय होता है. खुद तकलीफ़ उठाकर भी पीढ़ियों के लिए बचत और संपत्ति बनाना भारतीय विचार और भारतीय संस्कार रहा है. जब भी सोने को लेकर भारत में विवाद की स्थिति निर्मित होती है, तब सोना गिरवी रखने वाला, सोने पर टैक्स लगाने वाला, सोना बेचने वाला ही घाटे में रहता है. 

    भारत में पहले भी सरकारों द्वारा सोना बेचने के आरोप लगते रहे हैं. जिन सरकारों के खिलाफ़ ऐसे आरोप लगे थे, उनको जनता ने चुनाव में नक़ार  दिया था. अब तो कांग्रेस संपत्ति के सर्वे के नाम पर ऐसा उलझ गई है, कि उससे पीछे हटना भी उसके लिए संभव नहीं लग रहा है. 

    बीजेपी के बड़े रणनीतिकार अमित शाह कांग्रेस को इसीलिए चुनौती दे रहे हैं, कि अगर कांग्रेस धन संपत्ति का वितरण जिसकी जितनी आबादी उतना हक़ के हिसाब से नहीं करना चाहती. तो फिर उसे अपने मेनिफेस्टो से संपत्ति के सर्वे का वायदा विड्रा करना चाहिए. जो तीर चल चुका है, वह विड्रा तो हो नहीं सकता. इसके विपरीत सैम पित्रोदा जैसे कांग्रेस के पुराने चेहरे हैरिटेज टैक्स की बात करके संपत्ति के बंटवारे की बीजेपी के आरोपों को एक तरह से हवा दे रहे हैं.

    भारत में मोदी सरकार के आने के बाद राजनीति में भूचाल आया हुआ है.  पूरी दुनिया की वामपंथी विचारधारा मोदी पर हमले के लिए एकजुट हो गई लग रही है. कांग्रेस वामपंथी चंगुल में फंसी हुई है. ऐसा आरोप पीएम मोदी भी लगा रहे हैं. न्याय की गारंटी के नाम पर जिस तरीके की अव्यवहारिक बातें कांग्रेस मेनिफेस्टो में की गई हैं, उनके दुष्परिणाम इस स्वरूप में भी सामने आ सकते हैं, इसकी कांग्रेस ने कल्पना नहीं की होगी.

    वैसे भी राजनीतिक रूप से कांग्रेस तुष्टिकरण की लाभार्थी रही है. क्षेत्रीय दलों में मुस्लिम वोटो के विभाजन के बाद कांग्रेस का एकमात्र आसरा यही बचा है, कि मुस्लिम वोट वापस आ जाएं. राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा का आमंत्रण ठुकराकर कांग्रेस पहले ही बहुसंख्यकों की भावनाओं से खिलवाड़ कर चुकी है. अब संपत्तियों के सर्वे हेरिटेज टैक्स के विचार और संसाधनों पर मुसलमानों के पहले हक़, जितनी आबादी उतना हक़ के वायदे के बीच में कांग्रेस बुरी तरह से फंस गई है.

    भारत के लोकसभा के चुनाव पर दुनिया की नजर है. दुनिया में वामपंथी सोच रखने वाले बीजेपी की दक्षिण पंथी सोच का विरोध करते हैं. बीजेपी के राष्ट्रवाद और हिंदुत्व की विचारधारा को मिल रही सफलता उनके सीने पर सांप की तरह लोटती है. अमेरिकी उद्योगपति जॉर्ज सोरोस पहले भी भारत में मोदी को उखाड़ने के लिए हज़ारों डॉलर खर्च करने की बात कह चुके हैं. विरासत टैक्स का विदेशी विचार संपत्ति में बराबरी हिस्सेदारी को नक्सली चिंतन से जोड़कर अगर देखा जाएगा, तो इसके पीछे एक बड़ी साजिश का अंदाजा लग सकता है.

     भारतीय मतदाताओं के रुझान और ओपिनियन पोल भी यही इशारा कर रहे हैं, कि नरेंद्र मोदी के तीसरी बार प्रधानमंत्री में बनने में कोई शंका नहीं है. मजबूत बहुमत के साथ बीजेपी फिर से सत्ता में आएगी. चुनावी अभियान जिस तरह से चढ़ता  जा रहा है, उससे तो ऐसा लगने लगा है,कि मोदी विरोधी देश विरोधी आचरण करने से भी परहेज नहीं करना चाहते. 

    भारत को कमजोर करने में विदेशी साठ-गांठ के मामले पहले भी आते रहे हैं. कांग्रेस पर तो विदेशी नियंत्रण का ठप्पा ही लगा हुआ है. राहुल गांधी भी भारत के खिलाफ़ जब भी आवाज़ उठाते हैं, तो विदेशी धरती से ही उठाते हैं. भारत के लोकतंत्र की जड़ों को कमजोर बताने के विदेशी विचार में अपनी सहमति जताते हैं. 

    लोकसभा चुनाव की राजनीति ऐसे मुहाने पर पहुंच गई है, कि मोदी की जीत बहुत सारे नेताओं के भविष्य के लिए ख़तरा लग रही है. जो ख़तरा महसूस कर रहे हैं.वह हर हथकंडा अपनाने की कोशिश कर रहे हैं. जिससे उन्हें कोई राहत मिल सके. कुछ नेताओं की राहत से ज्यादा भारत के लिए राहत की जरूरत है. भारत अपने रास्ते और कदमों को कैसे मजबूती दे सकता है, इस पर यह चुनाव सिमटता जा रहा है.

    कांग्रेस के घटते जनाधार और वैचारिक शून्यता के कारण कांग्रेस पर बामपंथी और विदेशी विचारों का प्रभाव, बढ़ता जा रहा है. आजादी के बाद ही महात्मा गांधी ने कहा था, कि कांग्रेस को अब विसर्जित कर देना चाहिए. राजनीतिक संगठन के रूप में कांग्रेस का आज का स्वरूप राजनीतिक दल से ज्यादा कॉरपोरेट कंपनी का ज्यादा लगता है.

     जब भी कोई चीज अंत की तरफ जाती है, तो आखरी कील कोई ना कोई ठोंकता है. ऐसा लगता है, कांग्रेस के लिए आखिरी कील के विदेशी देवता सैम पित्रोदा साबित होने जा रहे हैं. वैचारिक पतन के कारण लोकसभा चुनाव में कांग्रेस बीजेपी के एजेंडे पर ही पहुंचती हुई लग रही है. विदेशी विचार, विदेशी भाव और विदेशी सुझाव स्वीकारना भारत का स्वभाव कभी नहीं रहा.