लोकतंत्र में सत्ता पक्ष का विरोध करना विपक्षी राजनीतिक दलों का अधिकार है किंतु इस प्रकार का विरोध भारतीय समाज में अस्वीकार्य है. देश में अराजकता फैलाने वाला है..!
-लेखक सत्येंद्र जैन
भारतीय सेना ने कुछ दिनों पहले अग्निपथ योजना प्रारंभ की है। जिसका विरोध मुख्यतः विपक्षी राजनीतिक दलों द्वारा हो रहा है ,युवा शक्ति द्वारा नहीं। वर्तमान में वायुसेना द्वारा तीन हजार ‘अग्निवीरवायु’ हेतु प्रवेश प्रक्रिया में साढ़े सात लाख युवाओं ने पंजीयन किया है। भारतीय नौसेना में भी पंजीयन प्रक्रिया प्रारंभ हो गई है।युवाओं का और बेटियों का भी अपार उत्साह इस योजना के प्रति देखा जा रहा है।
अभी थल सेना में अग्निवीरों की पंजीयन प्रक्रिया प्रारंभ होने में कुछ समय है। वायु सेना के अंदर ही लगभग सात लाख पचास हजार युवाओं के पंजीयन से प्रतिलक्षित होता है कि युवाओं में इस योजना के प्रति तीव्र आकर्षण है, लगाव है। इस अपार उत्साह ने कांग्रेस समेत सभी विरोधी पार्टियों के विरोध आंदोलन की हवा निकाल दी है, धराशायी कर दिया है।
कांग्रेस के नेताओं ने अग्निपथ योजना का विरोध करते-करते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हिटलर की मौत मरने की कामना कर दी। पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं वरिष्ठ कांग्रेस नेता सुबोध कांत सहाय ने अग्निपथ योजना का विरोध करते हुए अपने भाषण में कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हिटलर की मौत मरेंगे।
यह घोर आपत्तिजनक है,निंदनीय है। कांग्रेस अध्यक्षा ने कोई कार्यवाही नहीं की है।विरोध की श्रृंखला में झारखंड के जामताड़ा के कांग्रेस विधायक इरफान अंसारी ने बयान दिया कि अग्निपथ योजना को वापिस नहीं लिया तो देश को खून से लथपथ कर देंगे। यह बयान भी घोर आपत्तिजनक है। देश को तोड़ने वाला है।
हजारों करोड़ की राष्ट्रीय संपदा का नुकसान, अनेक रेलगाड़ियों को आग लगा दी गई। सैकड़ों रेलगाड़ियों को रद्द करने से लाखों रेलयात्रियों को अपने गंतव्य स्थान तक पहुंचने में परेशान होना पड़ा। लोकतंत्र में सत्ता पक्ष का विरोध करना विपक्षी राजनीतिक दलों का अधिकार है किंतु इस प्रकार का विरोध भारतीय समाज में अस्वीकार्य है।देश में अराजकता फैलाने वाला है।
सरकार की ओर से भी समय-समय पर योजना के बारे में युवाओं को देश के नागरिकों को जानकारी दी गई और बताया गया की सेवानिवृत्त होने वाले अग्निवीर गृह मंत्रालय के केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (सीएपीएफ) एवं असम राइफल में चयन प्रक्रिया में आरक्षण दिया जाएगा।
रक्षा मंत्रालय की अन्य 16 कंपनियों में भी उनके लिए आरक्षण की सुविधा होगी। इसके साथ ही मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश ,आसाम एवं अनेक राज्यों की सरकारों ने भी आश्वस्त किया है कि पुलिस विभाग की भर्ती प्रक्रिया में भी अग्निवीरों के लिए आरक्षण प्राप्त होगा। कारपोरेट जगत ने भी सेवानिवृत्त अग्निवीरों को भी नौकरी में वरीयता देने की घोषणा की है। व्यवसाय जगत के प्रसिद्ध समूह महिंद्रा ग्रुप, टाटा ग्रुप आदि अनेक औद्योगिक घरानों ने भी आश्वस्त किया है की वे भी सेना से निवृत होने वाले अग्निवीरों को नौकरियां देंगे।
इसका सुखद संतोषजनक परिणाम यह आया है कि युवाओं ने वायुसेना की अग्निवीर वायु योजना में मात्र तीन हजार पदों के लिए लाखों युवाओं ने भाग लिया है। सेना द्वारा बताया गया है कि अग्निपथ योजना के अग्निवीर को प्रथम वर्ष में वेतन के रुप में चार लाख छहत्तर रुपये दिए जाएंगे। यह प्रत्येक साल बढ़ते- बढ़ते चौथे साल में छह लाख बयानवे हजार हो जाएगा।
सेवा निधि पैकेज में अग्नि वीरों की ओर से तीस प्रतिशत की मासिक राशि योगदान लिया जाएगा और उतना ही योगदान रक्षा मंत्रालय की ओर से अग्नि वीरों के लिए किया जाएगा। जिस पर ब्याज भी प्राप्त होगा और इसको सेवा निधि पैकेज के रुप में ग्यारह लाख इकहत्तर हजार रुपये दिए जाएंगे। इंश्योरेंस,डेथ डिसेबिलिटी पैकेज में अड़तालीस लाख रुपए सुनिश्चित किए गए हैं। जब इक्कीस वर्ष में अग्निवीर सेना से मुक्त होगा तब उसके बैंक खाते में लगभग सोलह-सत्रह लाख रुपये की राशि जमा होगी।
रक्षा मंत्रालय ने देश की जनता को आश्वस्त किया है कि इस योजना की समीक्षा होती रहेगी और आवश्यकतानुसार इसमें परिवर्तन होता रहेगा।वर्तमान में पच्चीस प्रतिशत अग्निवीर स्थायी होंगे। विगत दो वर्षों से भीषण वैश्विक त्रासदी कोरोना के कारण सेना में भर्ती प्रक्रिया ना हो पाने के कारण एक बार के लिए युवाओं को आयु सीमा में दो वर्ष की छूट अतिरिक्त दी जा रही है।
सेना अधिकारियों ने स्पष्ट भी किया है कि अग्निवीरों और दूसरे सैनिकों में कोई भेदभाव नहीं किया जाएगा।घायल होने पर वह सभी स्वास्थ्य सुविधाएं प्राप्त होंगी जिस प्रकार की सेना के अधिकारियों को मिलती हैं। वीरता और शौर्य के सभी प्रकार के पुरस्कारों के समान रूप से प्राप्त करने के अधिकारी होंगे।
वर्तमान में देखा जाए तो सेना के अंदर इस योजना की महती आवश्यकता है। यदि हम भारत की सेना का विश्व के अन्य देशों की सेना से तुलनात्मक अध्ययन करते हैं, तो पाते हैं कि जहां एक ओर अमेरिका की सेना की औसत आयु अठाइस वर्ष है। ब्रिटेन की सेना की औसत आयु छब्बीस वर्ष है।
भारत की सेना की औसत आयु बत्तीस वर्ष से अधिक है। यदि साढ़े सत्रह वर्ष से लेकर के 21 वर्ष तक के युवा लड़के और लड़कियां सेना में आएंगे तो इससे भारतीय सेना में सैनिकों की औसत आयु बत्तीस वर्ष से कम होगी।लिंगानुपात में भी सुधार होगा।
आने वाले वर्षों में सेना अपना लक्ष्य, छब्बीस वर्ष औसत आयु को अर्जित कर लेगी। भारतीय सेना भी दुनिया की अन्य देशों की सेनाओं के सापेक्ष युवा सेना बन जाएगी। इसका अत्यधिक लाभ हर दिशा में होगा। देश के विकास में, देश की जीडीपी में भी महत्वपूर्ण योगदान होगा।