मोदी सरकार ने 2019 में जिन उपलब्धियों की सूची पेश की थी उनमें सबसे ऊपर थी 5 अगस्त को संविधान के अनुच्छेद 370 को निष्प्रभावी करने की घोषणा, जिसके बाद सभी भारतीय कानून जम्मू – कश्मीर में लागू हो गए और इस प्रकार राज्य का विशेष दर्जा समाप्त हो गया, छह अगस्त को उसे दो केंद्रशासित प्रदेशों में बदल दिया गया..!!
और मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल के 100 दिन पूरे हो गए। इस बार 100 दिन के कामकाज का जश्न पिछली मोदी सरकार के 100 दिन के कार्यकाल के जश्न से कितना अलग था? जाहिर है इन आयोजनों में पहले 100 दिन की बड़ी उपलब्धियों की सूची तैयार की गई। अगर उनकी तुलना की जाए तो हमें पता चलेगा कि किस तरह शुरुआती दिनों में नीति निर्माण की प्रकृति और शासन का ध्यान मोदी के दूसरे और तीसरे कार्यकाल में पूरी तरह बदल गया है।
मोदी सरकार ने 2019 में जिन उपलब्धियों की सूची पेश की थी उनमें सबसे ऊपर थी 5 अगस्त को संविधान के अनुच्छेद 370 को निष्प्रभावी करने की घोषणा, जिसके बाद सभी भारतीय कानून जम्मू – कश्मीर में लागू हो गए और इस प्रकार राज्य का विशेष दर्जा समाप्त हो गया। छह अगस्त को उसे दो केंद्रशासित प्रदेशों में बदल दिया गया। इसके साथ ही भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने आम चुनाव के बाद अपना एक अहम वादा पूरा किया।
जुलाई 2019 के अंत तक मोदी सरकार ने मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक को मंजूरी दे दी। इसे आम भाषा में तीन तलाक विधेयक कहा जाता है, जिसने एक बार में मौखिक तलाक देने को अवैध और आपराधिक घोषित कर दिया। इससे पहले सर्वोच्च न्यायालय ने ऐसे तलाक की प्रक्रिया को गैर कानूनी करार दिया था। इस सिलसिले में कानून बनाने के मोदी सरकार के निर्णय का कई लोगों ने विरोध किया, लेकिन यह भाजपा के चुनावी वादों में शामिल था और उसकी सरकार ने अपने दूसरे कार्यकाल के पहले 100 दिनों में ही इसे पूरा कर दिया।
2019 की उपलब्धियों में तीन अन्य विधायी बदलाव भी नजर आते हैं। एक अगस्त को ऋणशोधन अक्षमता एवं दिवालिया संहिता (आईबीसी) में संशोधन पारित किए गए ताकि दिवालिया मामलों के निपटान की समय सीमा से जुड़े प्रावधान सख्त किए जा सकें, किसी भी समाधान योजना में लेनदारों का न्यूनतम भुगतान तय किया जा सके और यह तय किया जा सके कि वित्तीय ऋण समूह के प्रतिनिधियों मसलन घर खरीदारों को निपटान प्रक्रिया में किस प्रकार मतदान करना चाहिए।
ये आईबीसी में अहम संशोधन थे, जिन्होंने कंपनियों और व्यक्तियों दोनों के लिए पहली बार ऋण शोधन की समय सीमा तय की। सरकार ने दो अन्य विधायी सुधारों को अंजाम देने का श्रेय लिया – अनियमित जमा योजनाओं पर रोक लगाना और सार्वजनिक जगहों से अवैध कब्जा करने वालों को हटाने की प्रक्रियाओं का निर्धारण करना। इनमें सरकारी मकान भी शामिल हैं। अन्य उपलब्धियों में भगोड़ों और अफसरशाही में भ्रष्टाचार के लिए सरकार के कदम निर्धारित करना भी शामिल था।
करीब एक दर्जन कर अधिकारियों को नौकरी छोड़नी पड़ी और भ्रष्टाचार में आरोपित 30 से अधिक कर अधिकारियों को बर्खास्त कर दिया गया। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा 5 जुलाई को पेश पहले बजट का भी उल्लेख हुआ मगर केवल सरसरी तौर पर क्योंकि सूची में मुख्य रूप से बुनियादी ढांचे और सामाजिक क्षेत्र में बड़े पैमाने पर निवेश का उल्लेख था। इसके अलावा कारोबारी सुगमता में सुधार के उपाय भी बताए गए थे।
इसके विपरीत मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल के पहले 100 दिनों की जिन उपलब्धियों के बारे में गत सप्ताह बताया गया, वे निर्मला सीतारमण के 2024-25 के बजट की पहलों पर केंद्रित हैं। इनके बारे में कहा गया कि वे अगले पांच सालों के दौरान बुनियादी ढांचे को राजकोष से अच्छी मदद दिलाएंगी और अन्य प्राथमिकताओं तथा खजाने की मजबूती के साथ संतुलन रखेंगी।
उपलब्धियों की सूची में तीन लाख करोड़ रुपये मूल्य की बुनियादी ढांचा परियोजनाओं की शुरुआत को शामिल किया गया है, जिनमें महाराष्ट्र के वधावन में गहरे समुद्र का बंदरगाह निर्माण, हवाई अड्डों का उन्नयन और मेट्रो परियोजनाओं का विकास शामिल हैं। इसके अलावा विदेशी कंपनियों के लिए निगमित कर दरों में कमी, नवाचार को बढ़ावा देने के लिए ऐंजल टैक्स की समाप्ति, अंतरिक्ष क्षेत्र के स्टार्टअप के लिए 1,000 करोड़ रुपये के वेंचर कैपिटल फंड, टेक स्टार्टअप तंत्र को गति देने के लिए आरंभ पंचवर्षीय योजना और बायोमैन्युफैक्चरिंग को गति देने के लिए बायोई3 नीति की शुरुआत का भी उल्लेख किया गया।
कुछ अन्य उपलब्धियों का भी श्रेय भी लिया गया। इनमें महिलाओं के स्वामित्व वाले छोटे उपक्रमों के लिए अधिक ऋण की गारंटी, 14 तकनीकी केंद्रों की स्थापना, नई 78 लाख लोगों को किसी भी बैंक से पेंशन निकालने की सुविधा देने वाली केंद्रीकृत पेंशन योजना, निर्यातकों के लिए नई योजनाएं और राज्यों के दुग्ध सहकारी संघों को राष्ट्रीय डेरी विकास बोर्ड की मदद से मजबूत करना शामिल है।
मोदी के तीसरे कार्यकाल में तीन नए कानूनों को लागू करने का भी श्रेय लिया गया, हालांकि इन्हें पिछली सरकार ने दिसंबर 2023 में पारित किया था। इसमें एक देश एक चुनाव को भी स्थान दिया गया, जबकि उसे 100 दिन पूरे होने के बाद कैबिनेट ने मंजूर किया था और इसके सामने संविधान संशोधन की चुनौती थी। इसके अतिरिक्त शीघ्र होने वाली जनगणना का भी श्रेय लिया गया। परंतु कैबिनेट द्वारा 24 अगस्त को मंजूर एकीकृत पेंशन योजना का जश्न शायद ही मनाया गया।
मोदी सरकार के दूसरे और तीसरे कार्यकाल के 100 दिनों की उपलब्धियों के बीच भारी अंतर है। 2024 के बजट के अलावा मोदी सरकार ने अपने तीसरे कार्यकाल में कोई अहम सुधार नहीं किया। वक्फ संशोधन विधेयक को संयुक्त संसदीय समिति के पास भेजना पड़ा। प्रसारण सेवा विधेयक का मसौदा वापस ले लिया गया, जबकि दूसरे कार्यकाल में सरकार ने राजनीतिक और आर्थिक अहमियत रखने वाले कई सुधार किए थे।
दोनों सरकारों के विधायी इरादों में अंतर की वजह है संसद में भाजपा की कमजोर स्थिति। यही वजह है कि तीसरे कार्यकाल में मोदी सरकार गठबंधन के दबाव में है। दूसरे कार्यकाल की तुलना में इस बार मोदी सरकार का ध्यान राजनीतिक लक्ष्यों के बजाय योजनाओं और परियोजनाओं पर अधिक है।
वैसे भी चुनाव के पहले भाजपा का इरादा ऐसा नहीं था। पार्टी को पूर्ण बहुमत से सत्ता में वापसी का भरोसा था और चुनाव के पहले ही भाजपा के नेताओं ने सभी प्रमुख मंत्रालयों को 100 दिन की कार्य योजना तैयार करने को कह दिया था, परंतु लोक सभा में बहुमत न मिलने के कारण उत्साह हवा हो गया। अब या तो वह कदम वापस ले रही है या आगामी जनगणना में जाति सर्वेक्षण को शामिल करने पर अपने रुख की समीक्षा कर रही है। यह सब इसलिए हो रहा है क्योंकि वह गठबंधन के दबाव में है।