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पूर्व विधायकों का शोर, हर जगह माले मुफ़्त तो इनका भी दिल मांगे और….अतुल पाठक

अतुल विनोद अतुल विनोद
Updated Fri , 11 Oct

सार

राजधानी भोपाल सहित तमाम शहरों में बनने वाली आवास योजनाओं में इनका नाम पहले नंबर पर होता है| कई योजनाएं तो पूर्व विधायकों के लिए ही बनाई गई है|

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विस्तार

मध्य प्रदेश सरकार की दरियादिली जगजाहिर है| हर वर्ग के लिए मध्य प्रदेश की सरकार का पिटारा खुला हुआ है| जब सरकार के खजाने सभी के लिए खुले हैं तो पूर्व विधायकों के अरमानों को पंख क्यों नहीं लगते| उन्हें भी तो और चाहिए|

“आखिर क्यों उनका दिल ना मांगे”.. 

क्योंकि हर जगह है ये शोर, इस सरकार के दौर में सबकी है ठौर|

जनता ने इन्हें 5 साल के लिए चुनकर विधानसभा में पहुंचाया था| भले ही उन्होंने जनता की सेवा की हो या नहीं| लेकिन यह मध्य प्रदेश की सरकार से आजीवन सुख सुविधाएं पाने के हकदार तो बन ही गए|

राजधानी भोपाल सहित तमाम शहरों में बनने वाली आवास योजनाओं में इनका नाम पहले नंबर पर होता है| कई योजनाएं तो पूर्व विधायकों के लिए ही बनाई गई है|

इसके बावजूद भी मन कहां मानता है| मन तो चाहता है कि और मिले| मुफ्त में हवाई यात्रा, तो प्रोटोकॉल भी मिले|

शहर की सड़कों पर निकले तो पता तो चले कि पूर्व विधायक निकल रहे हैं|

जनता में अब पूछ ना रही हो, लेकिन पूछ की पूँछ कहाँ छोटी होती है,अरमान कहां ठंडे होते हैं| राजनीति का यह सुरूर ताउम्र साथ रहता है| रसूख और रौब दिखाने की चाहत कहां कम होती है|

मध्यप्रदेश के पूर्व विधायक भी यही चाहते हैं| प्रोटोकॉल मिले तो कुछ बात बने| 

पूर्व विधायकों के सम्मेलन में वर्तमान विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम के सामने विधायकों की मांगे कम नहीं थी| 

“हजारों ख्वाहिशें ऐसी कि हर ख्वाहिश पे दम निकले, बहुत निकले मेरे अरमां फिर भी कम निकले”..

किसी को मुफ्त हवाई यात्रा चाहिए, तो किसी को प्रोटोकॉल चाहिए| किसी को मुफ्त इलाज चाहिए तो कोई रहने ठहरने की सुविधाएं चाहता है|

केन्द्रीय मंत्री नितिन गडकरी की एक पत्रकार वार्ता में एक पत्रकार ने टोल नाको पर पत्रकारों को फ्री करने की मांग की, गडकरी उखड़ गये कहा मैं फोकट का समर्थक नहीं हूँ, दिव्यांग सेनानी फिर माननीय ये धंधा बंद है| गडकरी की ये बात ज़िम्मेदार नागरिक के गले उतरी| कब तक फोकट का पर्यटन और यात्राएं चलती रहेंगी| 

हालांकि प्रदेश के स्पीकर तो दरियादिल हैं  उनका तो साफ कहना है कि आपके लिए ही तो हम बैठे हैं| वह भी पूरी कोशिश करेंगे कि इन्हें इनकी मन की मुराद मिल जाए| सरकार को प्रस्ताव भेजा जा चुका है| अब सरकार तय करेगी कि माननीय पूर्व महोदयों को कितनी सुख सुविधाएं देनी हैं| आखिर जनता का धन है पहरेदार सरकार है जहां चाहे वहां लुटाए|