कांग्रेस के सीनियर लीडर पूर्व गृहमंत्री पी.चिदंबरम कांग्रेस की गलतियों के अतीत पर लगातार खुलासे कर रहे हैं. अब उन्होंने ऑपरेशन ब्लू स्टार को पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की गलती बताया है..!!
इसके पहले मुंबई हमले के लिए पाकिस्तान पर एक्शन विदेशी दबाव में रोकने का भी उन्होंने खुलासा किया. चिदंबरम के दोनों खुलासे भले ही सच हों, लेकिन अब इनका कोई औचित्य नहीं है. ज़िद और अहंकार के जिस डीएनए ने ऑपरेशन ब्लू स्टार कराया था, वही राहुल गांधी की राजनीति में दिखाई पड़ता है.
चिदंबरम हो या कोई अन्य कांग्रेस नेता..अतीत की गलतियां पर नहीं बल्कि वर्तमान गलतियों पर मुंह खोलने का साहस दिखाएं तो कांग्रेस का भला होगा और लोकतंत्र का भी. जो भी सच बोलने की हिम्मत दिखाता है उसको कांग्रेस में भाजपा का स्लीपर सेल बता दिया जाता है. पी. चिदंबरम को भी अब इसी नजर से देखा जा रहा है.
भ्रष्टाचार के मामले में जमानत पर होने के कारण कांग्रेस अब ऐसा कह रही है कि, वह बीजेपी की वाशिंग मशीन में धुलने की तैयारी कर रहे हैं.
चिदंबरम के दोनों खुलासे कांग्रेस को हिलाने वाले हैं. जिन इंदिरा गांधी को कांग्रेस आयरन लेडी और शहीद बता कर राजनीतिक रोटी सेंकती रही है, उनके ऑपरेशन ब्लू स्टार को गलती बता कर कांग्रेस के नेता ने ही यह साबित कर दिया है कि, उनकी हत्या शहादत नहीं है बल्कि एक गलती की सजा जैसा है.
इंदिरा गांधी की हत्या के बाद सिख नरसंहार के कारण इस समुदाय के बीच कांग्रेस के प्रति राजनीतिक नुकसान बहुत अधिक नहीं देखा गया. पंजाब में कांग्रेस की सरकार इसके बाद कई बार गठित हुई है. अभी भी बिहार, उत्तरप्रदेश से अधिक पंजाब में कांग्रेस का सम्मानजनक जनाधार है. कई सांसद-विधायक हैं. सिख समाज पहले से ही मानता है कि, ऑपरेशन ब्लू स्टार कांग्रेस सरकार की बहुत बड़ी भूल थी लेकिन पहली बार पार्टी नेता ही ने इस गलती को स्वीकार किया है.
चिदंबरम ने यह बोलने का साहस दिखाया है. इसका मतलब है कि राहुल गांधी के साथ उनके रिश्ते खराब हुए हैं. राजनीतिक रूप से चिदंबरम कोई खास प्रभाव नहीं रखते हैं लेकिन एक बौद्धिक लीडर के रूप में उन्होंने अपनी छवि बनाई है. मुंबई हमले को लेकर चिदंबरम ने जो खुलासा किया है वह कांग्रेस की रणनीति को एक्सपोज कर रहा है.
ऑपरेशन सिंदूर पर कांग्रेस की ओर से सवाल खड़े किए गए. इसे रोके जाने को लेकर राहुल गांधी सहित कांग्रेस की ओर से लगातार आरोप लगाया गया कि अमेरिकी राष्ट्रपति के दबाव में यह ऑपरेशन रोका गया है. विदेश मंत्रालय की ओर से लगातार इस बात का खंडन किया गया, फिर भी कांग्रेस ने इसे स्वीकार नहीं किया. अभी भी राहुल गांधी इसी स्टैंड पर राजनीति कर रहे हैं .
चिदंबरम जो कि मुंबई हमले के बाद गृह मंत्री के रूप में केंद्र की सरकार में काम कर रहे थे, ने यह खुलासा किया है कि उनकी मंशा पाकिस्तान के खिलाफ मिलिट्री एक्शन की थी, इस बारे में बातचीत भी हुई थी लेकिन बाद में फिर विदेशी कूटनीतिक दवाब में इस विचार को त्याग दिया गया.
भाजपा तो हमेशा से कांग्रेस को पाकिस्तान परस्त बताती रही है. चिदंबरम के खुलासे के बाद पीएम नरेंद्र मोदी ने भी कांग्रेस पर हमला करते हुए कहा कि कांग्रेस को यह बताना चाहिए कि, पाकिस्तान के खिलाफ कोई भी एक्शन किसी विदेशी दवाब में नहीं उठाया गया था. साथ ही यह भी बताना चाहिए, यह निर्णय किस स्तर पर लिया गया था?
उनके इस प्रश्न का आशय है कि, तत्कालीन प्रधानमंत्री द्वारा यह निर्णय लिया गया था या सोनिया गाँधी द्वारा? सोनिया गांधी के नेतृत्व में एक ऑफिशियल सलाहकार मंडल गठित किया गया था, जो सरकार के संचालन और निर्णयों में योगदान करता था.
अतीत में गलतियां नहीं की होतीं तो कांग्रेस का वर्तमान हश्र नहीं होता. अतीत की गलतियों पर कोई भी खुलासा कोई बदलाव नहीं ला सकता. इन गलतियों से सीखा जा सकता है. लीडरशिप की जिद और अहंकार लोकतंत्र का जहर होता है. यह जहर कांग्रेस में बढ़ता ही जा रहा है. राहुल गांधी तो जैसे इसी डीएनए को ही आगे बढ़ा रहे हैं. उनकी पूरी राजनीतिक शैली ज़िद पर ही बढ़ती दिखाई पड़ती है.
वह जितने भी मुद्दे उठाते हैं उनका संवैधानिक और वैधानिक स्वरूप नहीं होता. चाहे अडानी, अंबानी पर उनके आरोप या वोट चोरी पर उनका राजनीतिक अभियान हो. इसका कोई भी संवैधानिक स्वरूप वह स्थापित नहीं कर पाए. केवल उनकी ज़िद दिखाई पड़ती है.
आज कांग्रेस कई राज्यों में लगभग विलुप्त स्थिति में हो गई है. उसके लिए भी कांग्रेस स्वयं जिम्मेदार है. यूपी में कांग्रेस की जो स्थिति है, उसके लिए राजीव गांधी द्वारा मुलायम सिंह यादव के साथ समझौता करना सबसे बड़ा कारण है. जब देश में भ्रष्टाचार बड़ा मुद्दा है. भाजपा भ्रष्टाचार के मामले पर कांग्रेस को कटघरे में खड़ा करती है, तब भी कांग्रेस ऐसे क्षेत्रीय दलों के साथ गठबंधन करती है, जिन पर अदालत द्वारा भ्रष्टाचार के आरोप साबित कर दिए गए हैं और सजा दी गई है.
राजनीतिक गलतियों के कारण कांग्रेस बिखर रही है. कितने ही सीनियर नेता पार्टी छोड़ चुके हैं. कई ऐसे नेता हैं, जो कांग्रेस से जाने के बाद दूसरे दलों में संवैधानिक पदों पर पहुंचे हैं. कांग्रेस के जिस भी नेता ने पार्टी की गलती खासकर गांधी परिवार से जुड़े किसी नेता को आइना दिखाने की हिम्मत की, उसका फिर लंबे समय तक पार्टी में रहना नामुमकिन हो जाता है. इससे चिदंबरम का भविष्य भी समझा जा सकता है.
कांग्रेस को मजबूत करना है तो वर्तमान नेतृत्व की गलतियों पर मुंह खोलना पड़ेगा. वर्तमान गलतियों को सुधारना पड़ेगा. पुरानी गलतियां को उजागर कर कुछ हासिल नहीं हो सकता. इससे यह जरूर साबित हो जाता है कि, राजनीति का भी डीएनए नहीं बदलता है .
किसी एक नेता की सनक कांग्रेस का वैचारिक आधार नहीं हो सकता. चिदंबरम जैसे कांग्रेसी इंदिरा गांधी की गलतियो को उजागर करने का साहस दिखा रहें है तो उन्हें राहुल गांधी की वर्तमान गलतियों पर भी मुंह खोलने की हिम्मत दिखानी चाहिए.