अब देश में प्रतिभा, देशभक्ति, मानवता और स्किल बोगस बातें हैं.. पैसा,पावर, मौक़ापरस्ती, दोगलापन, और काम करने का लाइसेन्स मिल जाए तो भी मक्कारी ओढ़ के जीवन चल जाएगा।
तथाकथित बड़े आदमियों के बुद्धु और दोगले बच्चे सहानुभूति के नाम पर यहाँ भी एडमिशन पा जाएँगे। भारत में PMT पास न कर पाने बावजूद जिस देश ने आपको सस्ते में डॉक्टर बनाया उस देश को आपने युद्धरत छोड़ दिया जबकि इसी वक्त उस देश को आपकी और आपको दी गई शिक्षा की ज़रूरत थी... फिर अपनी सुरक्षा के नाम पर भारतीय एम्बेसी और अधिकारियों को सोशल मीडिया पर लगातार गरियाया.. मतलब आप किसी भी देश के सगे नहीं हुए..
वहाँ किसी ने आरक्षण का राग नहीं अलापा क्योंकि सिलेक्शन का माध्यम कोई NEET जैसा Exam नहीं बल्कि पैसा था। आरक्षित वर्ग के भी अधिकांश बच्चे वहाँ हैं और यहाँ आते ही फिर NEET PG में आरक्षण के माध्यम से MD MS तलाशेंगे.. अतः आरक्षण को आर्थिक आधार पर करने की दुबारा समीक्षा करना ही चाहिए.. ये उन वास्तविक लोगों जिन्हें आरक्षण का वाक़ई लाभ मिलना चाहिए उनका भी हक़ मार देते हैं।
सरकार रेस्क्यू ओपेरेशन के नाम पर वोट बैंक का जुगाड़ देख रही है और बच्चे अब बिना Exam के राजनीति के सहारे इसी देश में मेडिकल कोलेज में एडमिशन का जुगाड़..
अब देश में प्रतिभा, देशभक्ति, मानवता और स्किल बोगस बातें हैं.. पैसा,पावर, मौक़ापरस्ती, दोगलापन, और काम करने का लाइसेन्स मिल जाए तो भी मक्कारी ओढ़ के जीवन चल जाएगा।
यूक्रेन और रशिया से MBBS करने वाले केवल 20% स्टूडेंट्स ही प्रथम प्रयास में MCI का इलिजिबिलिटी Exam पास कर पाते हैं बाक़ी कहाँ खपते होंगे आप सोच लीजिए। चूँकि वहाँ डिग्री MD के रूप में मिलती है जो कि अपने देश में MBBS के बराबर ही है तो गाँव में MD लिख कर प्रैक्टिस कर लेते हैं।
जनता गिनीपिग होती जा रही है। सरकारों को केवल सत्ता चाहिए.. आप कितने स्किल्फ़ुल या प्रतिभा सम्पन्न हैं इससे मतलब नहीं.. कल को जब ये नए खुले मेडिकल कॉलेज और विभिन्न देशों से MBBS किए हुए अनस्किल्ड मेडिकल ग्रैजूएट निकलेंगे तो ये देश और जनता का क्या करेंगें और हम इतने कचरे को कैसे सम्भालेंगे अब जनता और सरकारों को सोचना चाहिए।
बाक़ी अगर देश में आप गरीब सामान्य वर्ग के आम आदमी हैं तो प्रतिभा सम्पन्न भी बने रहिए.. आप इस देश के लिए कोढ़ में खाज हैं। बाक़ी हमें एक न एक दिन इन सब विसंगतियों के साथ विश्वगुरु बनना तो है ही..