खुलकर हंसने से ऑक्सीजन की आपूर्ति बढ़ जाती है, जिससे हृदय की मांस पेशियां सक्रिय हो जाती हैं तथा हृदय की धड़कन और श्वसन की रफ्तार बढ़ जाती है।
नियमित जिंदगी में हास्यप्रियता के तीन लाभ हैं-
1. यह शरीर को भला चंगा रखने का प्राकृतिक तरीका है।
2. यह तनाव से मुक्ति का अच्छा तरीका है।
3. यह रिश्ता बढ़ाने, बनाने और उसे निभाने में अच्छी भूमिका अदा करता है।
अमेरिकी विशेषज्ञ डा. कजिस के अनुसार 'हंसी शरीर का आंतरिक जागिंग है। यह दाव का निवारण करती है और हार्ट अटैक आदि दबाव जनित बीमारियों को खतरे से मुक्त रखती है।"
हंसने से दिल हल्का होता है, तनाव घटता है, तंदुरुस्ती के लिए अमृत है। जरूरत सिर्फ इस बात की है कि किसी पर हंसने के बजाय किसी के साथ हंसना तथा किसी को हंसाना सिखाया जाये। हंसी का सर्वोच्च रूप अपने आप पर हंसना है और दूसरों पर हंसना इसका निम्नतम रूप हैं।
डा. रेमंड मूडी ने हंसने के फायदे के बारे में एक पुस्तक ही लिख डाली है- 'लॉफ आफ्टर लाफ द हीलिंग पावर ऑफ हनामर।' मुडी मानते हैं कि खुलकर हंसने की क्षमता भी व्यक्ति की अच्छी सेहत की निशानी है। जो व्यक्ति खुलकर नहीं हंसता, वह कहीं न कहीं किसी बीमारी या विकार से ग्रसित है।
हंसना सेहत के लिए बड़ा अच्छा है। शरीर में पेट और छाती के बीच डायफ्राम होता है जो हंसते वक्त धुकधुकी का काम करता है। इससे फेफड़े, दिल तथा अंदरूनी अंगों का व्यायाम होता है। इसलिए वैज्ञानिकों ने माना है कि जो व्यक्ति जी भरकर हंसता है, वह अधिक जीता है। स्टेन फोर्ड मेडिकल स्कूल के मनोवैज्ञानिक विभाग के डा. विलियम फ्रायड का तो यहां तक कहना है कि हंसी के बिना जीवन ही नहीं।
यदि रोगी व्यक्ति हंसता नहीं तो वह और अधिक रोग ग्रस्त हो जाता है। उनका कहना है, हास्य शरीर को झकझोर देता है, जिससे शरीर में अत्यंत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली एंडोक्रोम (हारमोन दाता) प्रणाली सुचारू रूप से चलने लगती है। यह रोग से छुटकारा दिलाने में काफी सहायक सिद्ध हो सकता है।
अंग्रेजी में एक कहावत है कि 'प्रतिदिन केवल तीन बार खिल-खिलाकर हंसने से मनुष्य न रोगी होता है, न उसे किसी डॉक्टर की आवश्यकता होती है।'