प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ छिंदवाडा में पंडित धीरेंद्र शास्त्री की कथा में व्यस्त है उधर कांग्रेस में एक नई सियासी कथा छिड़ गई है। प्रदेश कांग्रेस में अब तक तो भावी मुख्यमंतरी, अवश्यवंभावी मुख्यमंत्री को लेकर ही विवाद चल ही रहा था। अब इस विवाद में आदिवासी मुख्यमंत्री की भी एंटी हो गई।
यह मांग भी तब उठी है जब कांग्रेस दलित और आदिवासियों को बड़ा चुनावी मुद्दा बनाती दिख रही है। आदिवासी मुख्यंमंत्री की मांग पूर्व मंत्री और विधायक उमंग सिंगार ने उठाई है। उमंग सिंगार खुद भी आदिवासी वर्ग से हैं और आदिवासी बाहुल्य सीट गंधवानी का प्रतिनिधित्व भी करते हैं।
आदिवासी मुख्यंमंत्री की मांग उठाते उमंग सिंगार का वीडियो जमकर वायरल है। बड़ी बात यह है कि उमंग सिंगार की सियासी पहचान कांग्रेस आलाकमान से उनकी नजदीकी के कारण भी है। ऐसे में उमंग सिंगार की कमान से निकला तीर दूर तलक जाएगा यह भी तय है। हालंकि वीडियो में वे इस मांग का खुद से संबंध होने से इंकार कर रहे हैं।
पहले भी मंत्री रहते उमंग सिंगार अपने बेबाक बोलों से सुर्खियों बंटोर चुके हैं तब उनका निशाने पर दिग्विजय सिंह थे तो अब उनका सीधा निशाना कमलनाथ पर माना जा रहा है। कुल मिलाकर फिर युवा आदिवासी विधायक बुजुर्ग पीढ़ी के खिलाफ ताल ठोकते नज़र आ रहे हैं।
कमलनाथ अब आदिवासी कार्ड के इस हमले से कैसे निपटेंगे यह तो वक्त ही बताएगा लेकिन इतना तय है कि जैसे जैसे चुनाव करीब आ रहे हैं वैसे वैसे कांग्रेस में बिखराव का पैमाना जमकर छलक रहा है। यही हाल रहे तो कांग्रेस का सत्ता वापसी का सपना बेहद मुश्किल साबित होगा।