उत्तराखंड में ढही सिलक्यारा सुरंग में बचाव कार्य में बार-बार बाधा आ रही है। नौ दिनों से सुरंग में फंसे 41 मजदूरों का बाहर निकलने का इंतजार भी बढ़ता जा रहा है। रविवार को दिनभर यह बचाव अभियान रुका रहा। इस दौरान एजेंसियों ने अभियान के अगले चरण के लिए स्वयं को तैयार किया और सोमवार 20 नवंबर से इसे फिर नयी गति से शुरू किया गया है। सुरंग में एक वर्टिकल पाइप डालने के लिए एक ही दिन में मलबे के पहाड़ की चोटी तक एक सड़क बनाई गई है। इसके अलावा, टिहरी जलविद्युत विकास निगम (टीएचडीसी) बड़कोट छोर से 'माइक्रो टनलिंग' का काम शुरू करेगा। जिसके लिए भारी मशीनरी पहले ही जुटाई जा चुकी है।
उल्लेखनीय है कि कल ही केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा था कि सुरंग में फंसे श्रमिकों को बचाने की हर मुमकिन कोशिश हो रही है। एक साथ छह विकल्पों पर काम कर रहे हैं। गडकरी ने कहा कि प्रधानमंत्री दफ्तर भी रेस्क्यू अभियान की करीब से निगरानी कर रहा है। निर्माणाधीन सुरंग का सिलक्यारा की ओर से मुहाने से 270 मीटर अंदर करीब 30 मीटर का हिस्सा 12 नवंबर की सुबह करीब साढ़े पांच बजे ढह गया था और तब से श्रमिक उसके अंदर फंसे हुए हैं। इसके लिये अमेरिका और आस्ट्रेलिया से विशेषज्ञ व मशीनें जुटाई गई हैं। यह तय किया गया है कि अमेरिकी ऑगर मशीन से मलबे में वर्टिकल ड्रिलिंग करना सुरंग में फंसे श्रमिकों तक सबसे जल्दी पहुंचने का तरीका है। अब ढाई दिन में सफलता मिलने की उम्मीद जताई जा रही है। बचावकर्मियों ने बीती शाम तक मलबे में 39 मीटर तक छह इंच चौड़ी ट्यूब डाल दी। श्रमिकों को इस पाइप के माध्यम से भोजन और पानी भी भेजा जाएगा। मजदूरों का मनोबल बनाए रखने कीचुनौती भी गंभीर होती जा रही है।