कैसे अपने दिमाग का सही इस्तेमाल करें ?


स्टोरी हाइलाइट्स

महत्व बुद्धि जिसकी जहाँ , होती " रोटीराम "।वह व्यक्ति करता वही , अन्य न दूजा काम।।हाँ ! कुछ दिन रुक जाएगा, कुछ दिन दे भी छोड।पर महत्व बुद्धि उसे , उधर ...

कैसे अपने दिमाग का सही इस्तेमाल करें ? प्रियम मिश्र  महत्व बुद्धि जिसकी जहाँ , होती " रोटीराम "। वह व्यक्ति करता वही , अन्य न दूजा काम।। हाँ ! कुछ दिन रुक जाएगा, कुछ दिन दे भी छोड। पर महत्व बुद्धि उसे , उधर ही देगी मोड।। कितना भी रोको उसे , समझा या फटकार। कर्म के दोष गिनाइये , वह नहीं करे विचार।। हटा नहीं वह पाएगा , उन कामों से टेक। महत्व बुद्धि ले छीन सब , उसके बुद्धि - विवेक।। अक्सर जब सत्संगी लोग आपस में चर्चा कर रहे होते हैं , तो उनमें एक प्रश्न स्वाभाविक रूप से चल पडता है कि , आप इस लाइन में कब से हैं , सब एक दूसरे से पूछ ही लेते हैं । लेकिन जब जबाव सामने निकल कर आते हैं तो , कई बार वे एक दूसरे का चेहरा बडे आश्चर्य से देखते हैं कि , उनमें से कई भाइयों को 15 से 20 - 25 साल तक सत्संग सुनते , कथाऐं श्रवण करते व धाम वास करते - करते हो गए , और करीब 80 % लोग साल के 1 से लेकर 4 महीने तक धामों में रह कर यह सब कर रहे होते हैं , उनको भी आते - जाते 5 से 25 साल हो गए , लेकिन कोई भी उस स्थिति को प्राप्त नहीं कर पाया , जिसको कि प्राप्त करने को वे यहां आए थे , या आ - जा रहे हैं । जिसकी कि गिनती सच्ची भक्ति में होती है । तो तब वहाँ यह प्रश्न पैदा होता है कि , ऐसा क्यों ?  पूछने पर सद्संत जवाब देते हैं कि , ऐसा जीव की महत्व बुद्धि की वजह से होता है । ये जो 20 % हैं , इनकी यहां रहते - रहते महत्व बुद्धि ईश्वर से हटकर शरीर में हो जाती है , दो चार साल तक तो सब ठीक चलता है , लेकिन उसके बाद इनके सारे प्रयास धामों की खुली हवा और नदियों के निर्मल जल का सेवन करके शरीर को स्वस्थ रखने तक ही सिमट कर रह जाते है , या फिर बहू बेटों के तानों से बचने तक । फिर इनकी प्राथमिकता ईश्वर भक्ति नहीं रह जाती । भक्ति फैले तो कैसे ?  और जो ये 80 % हैं , इनकी महत्व बुद्धि होती तो घर - परिवार और व्यापार में ही है , ये तो सीजन की समाप्ति पर बस picnic मनाने के प्रयोजन से आते हैं , और नौकरी पेशा लोग सरकारी छुट्टियों को cash कराने के लिए । इनकी महत्व बुद्धि जब सत्संग है ही नहीं तो , सत्संग की सीख हृदयस्थ हों तो कैसे ? भजन तो केवल उसी से होगा , जिसकी महत्व बुद्धि अपने कल्याण में होगी । ज्यादातर तो अपने आप से दुश्मनी ही ठाने होते हैं ।