निमाड़ी PHELIYA-3 ... बूझो तो जाने .. दिनेश मालविय


स्टोरी हाइलाइट्स

निमाड़ की पहेलियाँ-3 काले खेत में दही का छींटा- (कपास) काली गाय, तीन खूँटे, दूध उसका लगे मीठा काली डेगची में सफ़ेद-सफ़ेद मक्खन- (सिंगोड़ा) हेकड़ी में हेकड़ी, टेड़ी-टेड़ी कौन? लाल-लाल चमड़े में काली-काली कौन? बाकी तिरछी तिरछी एक बाई, उसके साथ काले-काले भाई देखने में टेढ़ी-मेढ़ी और देखकर मुँह में पानी आ जाता है- (इमली) मिट्टी का घोडा, लोहे की लगाम, उसपर बैठे पिलपिले जवान- (चूल्हा, कडाही और भजिये) काले तालाब में काला पानी, लाल रानी उसमें दुबकी लगाये- (कड़ाही, तेल आटे की पूरी) चाँद के सामान गोल और पत्ते के सामान पतला- (पापड़) घेरदार घेर में रस भरा है, जीभ चाटती है ओंठ मुस्काते हैं- (जलेबी) सुंदर जाए सासरे मनाने वाला कौन? बाकी तिरछी चलती जाय. नद्दी नाले भारती जाय- (नदी) बिना चमड़े की ओत को खींचता कौन? बिना डंके के बाजा बजाता कौन?- (बादल) एक नींबू की पन्द्रह चीर, फिर भी पूरा का पूरा- (चंद्रमा) यह कैसा मेहमान आया, घर में सोया पर आंगन को भी घेरता है बाबा सोता है इस घर में पर टांग पसरे उस घर में एक जानवर दम में पानी पीता है. एक जानवर ऐसा, जिसके सिर पर लाल पैसा. रात में जगाते हैं, दिन में भगाए हैं. तालाब सूखा, हिरण भागा.-  (सबका अर्थ दीपक) काला है पर कौवा नहीं, बेढब है पर हुवा नहीं. चलते-फिरते खम्भे देखे. देखा सूप में नाग सरकता, बड़ा अचम्भा हमने देखा. देखा पर्वत चलता. चार खम्भे, सीधे बड़े, नागिन लोटती है और नागराज चलते हैं.- (सभी का मतलब हाथी) एक जानवर ऐसा जिसका एक अंग सीधा नहीं. बांका तिरछा नीम उसके ऊपर गुब्बा, जो नहीं बूझे उसका बाप फुग्गा.- (ऊँट )