अब्दुल हमीद ने छोटी-सी गन से उड़ा दिए थे पाक के कई पैंटन टैंक, जानिए इसका एमपी कनेक्शन


स्टोरी हाइलाइट्स

इस जांबाजी के लिए अब्दुल हमीद को दिया गया था परमवीर चक्र, उनकी इस गन से एमपी का है खास कनेक्शन

भोपाल। 1 जुलाई को देश अपने एक वीर सैनिक की जयंती मनाने जा रहा है। इस अदम्य साहसी सैनिक का नाम है— परमवीर चक्र विजेता अब्दुल हमीद. भारतीय सैनिक अब्दुल हमीद ने 1965 के भारत-पाक युद्ध में गजब की बहादुरी दिखाई थी. तब उन्होंने अपनी आरसीएल गन से पाकिस्तान के आठ टैंक तबाह कर डाले थे हालांकि बाद में उनकी भी मौत हो गई. इस साहस और शौर्य के लिए उन्हें मरणोपरांत परमवीर चक्र प्रदान किया गया. सबसे खास बात यह है कि वीर शहीद अब्दुल हमीद की बहादुरी की मिसाल बनी इस गन से मध्यप्रदेश का खास कनेक्शन है। पाक पैंटन टैंकों को उड़ा देनेवाली हमीद की यह छोटी सी गन यादगार के तौर पर मध्यप्रदेश के जबलपुर के आर्मी सेंटर में रखी है। 

15 अगस्त 1947 को हमें अंग्रेजों से मुक्ति मिल गई. स्वतंत्रता प्राप्त करने के लिए हमें कई कुर्बानियां देनी पड़ी थीं लेकिन इसके बाद अन्य चुनौतियां खड़ी हो गईं। पड़ौसी देश हम पर हावी होना चाहते थे और इसके लिए भी हमें बार—बार युद्ध में झोंका गया। हालांकि हर संघर्ष में हमारे रणबांकुरों ने गजब के शौर्य और पराक्रम का प्रदर्शन करते हुए दुश्मनों के इरादे पूरे नहीं होने दिए। ऐसा ही एक युद्ध सन 1965 में हुआ जब पाकिस्तान हमलावर बन गया। तत्कालीन वैश्विक परिस्थितियों में कुछ बडे देशों की सरपरस्ती में पाकिस्तान ने हम पर एकाएक आक्रमण कर दिया. हमारे सैनिकों ने उस वक्त पाकिस्तान के मुकाबले कम संसाधन होते हुए भी जबर्दस्त जज्बा और सैन्य कौशल दिखाते हुए उसे धूल चटा दी. इस युद्ध में भारतीय सेना और सैनिकों ने ऐसा पराक्रम दिखाया था कि यह विश्व इतिहास के सबसे चर्चित जमीनी संघर्षों में शामिल हो गया.

यही कारण है कि दुनिया में जब भी दो देशों के युद्ध की बात की जाती है तब वर्ष 1965 में हुए भारत-पाक युद्ध की भी चर्चा जरूर होती है। दरअसल 1965 का यह युद्ध हमारे सैनिकों की वीरता और बहादुरी की अद्भुत दास्तां है। पाकिस्तान पूरी तैयारी से आया था और उसके पास हमसे कई गुना बेहतर मारक हथियार थे। दुश्मन ने जोरदार हमला किया था लेकिन हमारे सैनिकों की रग-रग में भरे राष्ट्रवाद ने ऐसा जवाब दिया कि पाकिस्तान चारों खाने चित्त हो गया।

पाकिस्तान स्वतंत्रता के बाद से ही कश्मीर को हड़पने के लिए नित नए षडय़ंत्र रच रहा था और हर बार खेत रहने के कारण उसने तब अमेरिका के बल पर हमें नीचा दिखाने की कोशिश की थी। पाकिस्तान ने अमेरिकी पैटन टैंक से हम पर हमला बोल दिया पर हमारे सैनिकों  ने साधारण बंदूकों से ही इन टैकों को तबाह कर दिया था। 

पाकिस्तान ने खेमकरण सेक्टर के असल उताड गांव पर पैटन टैंकों हमला किया। उस समय भारतीय सैनिक अब्दुल हमीद के पास गन माउनटेड जीप थी. उन्होंने अदम्य साहस दिखाया और अपनी आरसीएल गन से ही पाकिस्तान के पूरे आठ टैंक तबाह कर डाले. घायल हो जाने से बाद में उनकी भी मौत हो गई. भारत-पाक युद्ध में उनकी इस बहादुरी के लिए उन्हें मरणोपरांत परमवीर चक्र प्रदान किया गया. 

शहीद वीर अब्दुल हमीद की बहादुरी की मिसाल बनी इस गन से मध्यप्रदेश का खास कनेक्शन है। पाक पैंटन टैंकों को उड़ा देनेवाली हमीद की यह गन मध्यप्रदेश के जबलपुर के आर्मी सेंटर में यादगार के तौर पर रखी गई है। पाक के दांत खट्टे करने वाली आरसीएल गन को देखने के लिए यहां लोग हमेशा लालायित रहते हैं। इस गन का कई बार सार्वजनिक प्रदर्शन भी किया जाता है और तब इसे देखने के लिए लोगों का तांता लग जाता है। इस गन के पिछले हिस्से से बारूद का गोला लोड किया जाता था। इसकी मारक क्षमता आगे 5000 मीटर तथा पीछे 50 मीटर की है।

वीर अब्दुल हमीद की जयंती पर मध्यप्रदेश के सीएम शिवराजसिंह ने भी ट्वीट कर उन्हें याद किया है. सीएम ने लिखा
— 1965 के युद्ध में पाकिस्तान के अपराजेय माने जाने वाले 8 पैटन टैंकों को ध्वस्त कर भारत की विजय का मार्ग प्रशस्त करने वाले, परमवीर चक्र से सम्मानित, वीर अब्दुल हमीद की जयंती पर कोटिश: नमन् करता हूं! आपकी शौर्य गाथा सदैव युवाओं को मातृभूमि की सेवा के लिए प्रेरित करते रहेंगे।

SEEMAA DIWAN

SEEMAA DIWAN

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