भोपाल: मप्र में तेंदूपत्ता से बीड़ी बनाने वाले उद्योगों को सब्सीडी देने की तैयारी की जा रही है। दरअसल मुख्यमंत्री मोहन यादव ने वन विभाग की गतिविधियों पर एक बैठक बुलाई थी जिसमें उन्होंने सब्सीडी देने के बारे में प्रस्ताव बनाने के निर्देश दिये हैं। यह प्रस्ताव एमपी लघु वनोपज संघ तैयार करेगा।
उल्लेखनीय है कि प्रदेश में तेंदूपत्ते की प्रचुरता के कारण, जबलपुर, सागर, कटनी, दमोह और सतना जैसे जिलों में बीड़ी उद्योग केंद्रित हैं। बुंदेलखंड क्षेत्र और खास तौर पर सागर जिला बीड़ी उद्योग के लिए महत्वपूर्ण रहा है, जहां सरकार इसे फिर से मजबूत बनाने और रोजगार सृजित करने का प्रयास कर रही है, जिसमें महिलाओं को घर पर काम करने का अवसर भी मिलता है।
प्रदेश में बीड़ी उद्योग में करीब साढ़े चार लाख व्यक्ति लगे हैं। जहां जबलपुर तेंदूपत्ते की उपलब्धता के कारण यह एक महत्वपूर्ण केंद्र है वहीं सागर 1980 के दशक में बीड़ी उद्योग का एक प्रमुख केंद्र था, हालांकि अन्य कारणों से इसमें गिरावट आई है, फिर भी इसे फिर से मजबूत करने की कोशिश की जा रही है।
कटनी, दमोह, और सतना-ये भी तेंदूपत्ते की प्रचुरता के कारण बीड़ी उद्योग के प्रमुख केंद्र हैं। इस उद्योग का महत्व रोजगार सृजन में है। बुंदेलखंड जैसे क्षेत्रों में बीड़ी उद्योग को बढ़ावा देकर राज्य की आर्थिक तरक्की को बढय़ा जा सकता है। दस माह पहले 16 दिसम्बर 2024 को मुख्यमंत्री मोहन यादव से मप्र बीड़ी उद्योग संघ के प्रतिनिधि मंडल ने भेंट भी की थी। बीड़ी उद्योग संघ के सचिव अर्जुन खन्ना के नेतृत्व में मिले प्रतिनिधि मंडल ने सीएम को बताया था कि बीड़ी निर्माण पूर्णत: श्रम आधारित कुटीर ग्रामोद्योग है, जिसमें न्यूनतम पूंजी या बुनियादी ढांचे की आवश्यकता होती है, इसलिये इस पर सब्सीडी दी जाये।
डॉ. नवीन आनंद जोशी