भोपाल: प्रदेश शासन ने सरकारी कार्यालयों एवं सार्वजनिक उपक्रमों, निगमों, मंडलों, नगरीय निकायों, विकास प्राधिकरणों तथा सहकारी संस्थाओं में कार्यरत दैनिक वेतन भोगियों को हटाने की दिशा में निर्णायक कदम उठाया है। नगरीय प्रशासन विभाग ने इस संबंध में सभी नगर निगम आयुक्तों एवं मुख्य नगरपालिका अधिकारियों को परिपत्र जारी किया है।
परिपत्र में कहा गया है कि 28 मार्च 2000 को राज्य शासन द्वारा जारी प्रतिबंध के बावजूद अनेक नगरीय निकायों ने दैवेभो कर्मियों की नियुक्तियां की हैं, जो स्पष्ट रूप से नियम विरुद्ध हैं। अब प्रत्येक नगरीय निकाय को 25 अक्टूबर 2025 तक एक विस्तृत प्रपत्र में जानकारी भेजनी होगी कि— उनके यहां ऐसे कितने कर्मी कार्यरत हैं, उनकी नियुक्ति कब हुई, उन्हें कितना पारिश्रमिक दिया जा रहा है, नियुक्ति करने वाले अधिकारी का नाम क्या है, तथा क्या इन नियुक्तियों के लिए शासन से पूर्वानुमति ली गई थी।
गौरतलब है कि वर्ष 2000 के वित्त एवं सामान्य प्रशासन विभाग के आदेश में यह भी स्पष्ट किया गया था कि प्रतिबंध के बावजूद बिना स्वीकृति की गई नियुक्तियों के वेतन और भत्तों की भरपाई संबंधित नियुक्ति अधिकारी के वेतन से की जाएगी। इस आदेश के पुनः सक्रिय होने से प्रशासनिक अनुशासन की दिशा में एक सख्त संकेत माना जा रहा है।
 
                                 
 
										 
										 डॉ. नवीन आनंद जोशी
																										डॉ. नवीन आनंद जोशी												 
															 
															 
															 
															 
															 
															 
															 
															 
															 
															 
															 
															 
															 
															