वन्य प्राणियों के लिए शांत वातावरण ज्यादा अच्छा होता है, मगर...


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स्टोरी हाइलाइट्स

वन विहार में व्यावसायिक गतिविधियों पर जोर..!

भोपाल,

वन विहार नेशनल पार्क के अंदर व्यावसायिक गतिविधियों पर बीते कुछ महीने से अधिक जोर नजर आ रहा है। पार्क के अंदर जूस सेंटर, पार्लर के नाम पर छोटी-छोटी दुकानें खाली जा रही है। आवाजाही को आसान करने के लिए बैटरी चलित कार का इस्तेमाल बढ़ा दिया है।

नेचर ट्रेल के नाम पर उन हिस्सों में भी प्रवेश दिया जाना लगा है जहां वन्य प्राणी सुकून से समय बीताते हैं। दिनो-दिन पार्क के अंदर आने-जाने वाले पर्यटकों का दबाव इन सभी सुविधाओं के चलते बढ़ रहा है। राजस्व की आवक के लिहाज से निसंकोच यह अच्छा कदम है लेकिन यह पार्क सुख-सुविधाओं से अधिक वन्य प्राणियों के वेलफेयर के लिए है और उसी वेलफेयर में लोगों का बढ़ता दबाव खलल पैदा करने जैसा प्रतीत हो रहा है।

वन्यप्राणियों के लिए बढ़ सकती है मुश्किलें सुख-सुविधाओं के विस्तार, झोंक दी है प्रबंधन ने ताकत

वन विहार अकेला पार्क ही नहीं है:

इसकी एक वजह पार्क के अंदर पर्यटकों को खींचने के लिए किए जाने वाले इंतजाम है। विशेषज्ञों का कहना है कि वन विहार अकेला पार्क ही नहीं है, यह चिड़ियाघर भी है और चिड़ियाघर की अपनी एक सीमाएं होती हैं यहां लोगों से ज्यादा वन्य प्राणियों को तवज्जो देने की जरूरत होती है लेकिन इसके विपरीत होता दिखाई दे रहा है।

पार्क के अंदर ये अनदेखी पैदा कर सकती है खलल:

पर्यटकों द्वारा शोरगुल किया जा रहा है इस पर प्रबंधन का ध्यान बिल्कुल भी नहीं है। सिंह, तेंदुए और बाघ बाड़े के अंदर कुछ लोग आसानी से पत्थर मारते देखे जा रहे हैं।

पार्क के अंदर पॉलीथिन प्रतिबंधित है लेकिन जगह-जगह इसका उपयोग किया जा रहा है।

पार्क के अंदर लोग हुजूम में चल रहे है। इस पर प्रबंधन की कोई रोक-टोक नहीं है। जबकि जब भी हुजूम में लोग चलते हैं तो वन्य प्राणियों में बेचैनी पैदा होती है।

पार्क के अंदर वाहन की गति सीमा कहने भर के लिए तय की है लेकिन कुछ युवा आए दिन वाहनों को दौड़ते हुए नजर आ रहे हैं वह भी तेज गति से, जिसकी वजह से शोरगुल भी होता है।

अधिकारी थपथपा रहे पीठ:

इधर पार्क प्रबंधन से जुड़े कुछ अधिकारी अपनी ही पीठ थपथपाते हुए नहीं थक रहे हैं। ऐसे अधिकारियों का कहना है कि उनके रहते पार्क के अंदर बेहतर सुधार हुआ है। पूर्व में इतना सुधार कभी नहीं हुआ था। जबकि पार्क के अंदर वन्य प्राणियों के लिए मूलभूत सुविधाओं का अभी भी अभाव है।