मध्यप्रदेश की इंटरनेशनल पैरा खिलाड़ी रजनी की कहानी..


स्टोरी हाइलाइट्स

वह स्वीमिंग में 95 नेशनल और 8 इंटरनेशनल पदक भी जीत चुकी हैं और उनकी इस वीरता के कारण मध्यप्रदेश सरकार ने उन्हें एकलव्य और विक्रम अवाॅर्ड

मध्यप्रदेश की इंटरनेशनल पैरा खिलाड़ी रजनी की कहानी.. रजनी जब एक वर्ष की थी तब उन्हें पोलियो हो गया था और उनके शरीर ने पूरी तरह काम करना बंद कर दिया था. तब डॉक्टर्स के कहने पर उन्होंने 6 वर्ष की उम्र से ही स्वीमिंग शुरू कर दी और उसे उन्होंने अपने जीवन में खेल के रूप में अपना लिया. वह स्वीमिंग में 95 नेशनल और 8 इंटरनेशनल पदक भी जीत चुकी हैं और उनकी इस वीरता के कारण मध्यप्रदेश सरकार ने उन्हें एकलव्य और विक्रम अवाॅर्ड से सम्मानित किया साथ ही उन्हें खेल कोटे से मप्र परिवहन निगम में क्लर्क की नोकरी मिली.  रजनी ने अपने बारे में बताते हुए कहा कि उन्हें एक वर्ष की उम्र में ही पोलियो हो गया था और शारीर ने पूरी तरह काम करना बंद कर दिया था जिससे उन्हें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा. उन्हें बीमारी के इलाज़ में भी काफ़ी समस्या आती थी क्योंकि उन्हें पैदल ही अस्पताल जाना पड़ता था और उनका विशाखापट्टनम में ऑपरेशन तक हुआ लेकिन उनकी बीमारी में कोई फ़र्क नहीं आया.  लेकिन जब वह 6 वर्ष की थी तब डॉक्टर के कहने पर उन्होंने 1998 में स्विमिंग शुरू कर दी. स्विमिंग से शरीर में बहुत सारे बदलाव आए और वह खुद ही अपने पैरों से चलने लगी, जिसके बाद वह लगातार स्वीमिंग के लिए एलएनआईपी जाने लगी और उन्होंने अपना पहला नेशनल वर्ष 2000 में ग्वालियर में खेला और वह पर उन्हें सिल्वर और एक ब्रांज मेडल से सम्मानित किया गया. उन्होंने अभी तक 17 नेशनल खेले और सभी में 100 से ज्यादा पदक भी जीते.        रजनी एक बार फिर भोपाल में आयोजित नेशनल मैराथन कयाकिंग में पदक जीतने के लिए भाेपाल की छाेटी झील में उतरेंगी. इसके लिए वह मयंक ठाकुर के साथ स्वीमिंग प्रेक्टिस कर अपने खेल को निखार रही है ताकि वह एक बार फ़िर किसी पदक को हासिल कर सकें.  रजनी ने बताया कि उनका सिलेक्शन साल 2006 में खेले गए एशिया फेसिपिक गेम्स में हुआ और उसके बाद से ही उनकी जिंदगी पूरी तरह बदल गई और वहा पर एक ब्रांज व एक गोल्ड से सम्मानित भी हुई.