बदलाव की जिद:-  सोशल मीडिया से लेस्बियंस के प्रति लोगों की सोच बदलना चाहती हैं कर्नाटक की पहली ट्रांसवुमन डॉक्टर त्रिनेत्रा


स्टोरी हाइलाइट्स

ट्रांसजेंडर एक ऐसा वर्ग है जिसको बहुत समय तक दूसरे वर्गों से अपमान झेलना पड़ा है| आज 21वी सदी में जिधर टेक्नोलॉजी कहाँ से कहाँ पहुँच गयी है जब भी आप लोगों की सोच अभी भी बहुत तुच्छ है|

बदलाव की जिद:-  सोशल मीडिया से लेस्बियंस के प्रति लोगों की सोच बदलना चाहती हैं कर्नाटक की पहली ट्रांसवुमन डॉक्टर त्रिनेत्रा Stubbornness of change: - Social media's first transwoman Dr. Trinetra wants to change people's thinking towards lesbian
ट्रांसजेंडर एक ऐसा वर्ग है जिसको बहुत समय तक दूसरे वर्गों से अपमान झेलना पड़ा है| आज 21वी सदी में जिधर टेक्नोलॉजी कहाँ से कहाँ पहुँच गयी है जब भी आप लोगों की सोच अभी भी बहुत तुच्छ है| इस वर्ग को आज भी उतनी इज्ज़त नहीं मिलती है जितने के ये हकदार हैं| कैसे भी हैं मगर हैं तो इंसान or जन्म भी इंसानों की तरह लेते है| ये भी वैसे ही जीते हैं जैसे इस धरती पर बाकि के इंसान जीते हैं|वैसे तो आज भी लोग ट्रांसजेंडर का मजाक उड़ाते हैं। लेकिन इस समुदाय के लोगों ने संघर्ष के बल पर समाज में खास मुकाम हासिल किया है। इस बात की मिसाल बेंगलुरु की त्रिनेत्रा हल्दर गम्माराजू हैं। वे कर्नाटक की पहली ट्रांसवुमन डॉक्टर के रूप में अपनी खास पहचान रखती हैं। बेंगलुरु में त्रिनेत्रा कभी अंगद गम्माराजू के नाम से जानी जातीं थीं।



त्रिनेत्रा ने विदेश में जाकर अपना जेंडर चेंज करने के लिए सर्जरी करवाई। सर्जरी के बाद अंगद को नए नाम से अपनी पहचान बनाने की जरुरत थी| इसलिए अपना नाम मां दुर्गा के नाम पर 'त्रिनेत्रा' रखा। किसी भी व्यक्ति के सफल होने के पीछे बहुत कुछ घर वालों का हाथ रहता है| अपने परिवार के सपोर्ट से त्रिनेत्रा डॉक्टर बनीं। त्रिनेत्रा कहती हैं- ''बचपन से मैंने अपने ट्रांसजेंडर होने की वजह से बहुत अपमान सहा है''।

त्रिनेत्रा ने अपनी जिंदगी के सबसे यादगार पल को याद करते हुए बताया कि जब उन्होंने मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल में प्रैक्टिकल सेशन के दौरान एक महिला की डिलिवरी करवाई। वे कहती हैं- 'अपनी गोद में मैं एक बच्चे को देखकर खुशी से झूम रही थी'। भविष्य में वे खुद सरोगेसी से मां बनने की ख्वाहिश रखती हैं। फिलहाल वे कस्तूरबा मेडिकल हॉस्पिटल, मणिपाल में अपनी सेवाएं दे रही हैं।



उनका मानना है जो उनने सहा है वो कोई और ना सहे| इसके लिए वो लगातार प्रयास करती रहती हैं| उनको जिधर मोका मिलता है वो इसके वारे में लोगों को जागरूक करती हैं| कई बार त्रिनेत्रा का सोशल मीडिया पर लेस्बियन कम्युनिटी को सपोर्ट करने की वजह से भी विरोध हुआ है। वे ऐसे सभी लोगों की सोच लेस्बियंस के प्रति बदलना चाहती हैं जो उनके खिलाफ हैं। हाल ही में उन्होंने इंस्टाग्राम पर अपनी पोस्ट में लिखा- 'छक्का', 'कज्जा' और ऐसे ही असंख्य नामों से अब तक लोगों ने मुझे सम्मानित किया। यह सब बीते दिनों की बात है क्योंकि अब मैं एक 'डॉक्टर' हूं।