स्टोरी हाइलाइट्स
SC: Supreme Court ने सोमवार को अहम मामले की सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार से जवाव माँगा कि जिन लोगों की कोरोना संक्रमण से मौत हो रही है,....
SC: डेथ सर्टिफिकेट पर कोरोना क्यों नहीं लिखते? केंद्र सरकार से 10 दिन में माँगा जवाव
Supreme Court ने सोमवार को अहम मामले की सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार से जवाव माँगा कि जिन लोगों की कोरोना संक्रमण से मौत हो रही है, उनके डेथ सर्टिफिकेट पर कोरोना से मौत क्यों नहीं लिखते हैं. अब सरकार इससे होनी वाली मौत के लिए कोई स्कीम लागू करती है तो मरने वाले के परिवार को उसका फायदा कैसे दिया जाएगा. कल सोमवार के बाद इस मामले की अगली सुनवाई 11 जून को होगी.
सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल हुई थी, याचिका में लिखा था कि जिन लोगों की मौत कोरोना संक्रमण से हो रही है, उनके परिवार को 4 लाख रुपये मुआवजा दिया जाए.
केंद्र सरकार ने 2015 में एक योजना चालू की थी, जिसमें था कि अगर किसी नोटिफाइड बीमारी या आपदा से किसी की मौत होती है तो उसके परिवार को चार लाख रुपये मुआवजा दिया जाएगा. ये स्कीम पिछले साल खत्म हो चुकी है.
एक याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट से मांग की है कि केंद्र सरकार पिछले साल ख़तम हुई इस स्कीम को आगे बढाए और कोरोना के लिए भी लागू किया जाए. कोरोना बीमारी में ये दोनों बातें नोटिफाइड बीमारी और आपदा आ रही. अगर इस योजना को 2020 से आगे बढ़ाते हैं तो उन हजारों परिवार को फायदा होगा, जिनके घर से कमाने वाले की कोरोना से मौत हुई है.
लेकिन इसमें बड़ा सवाल ये है कि ये कैसे पता चलेगा कि मरने वाले की मौत करोना से हुई है? सुनवाई के दौरान जज जस्टिस एमआर शाह ने खुद देखा कर बोला है कि डेथ सर्टिफिकेट पर मौत की वजह कुछ और होती है. जैसे लंग फेल्योर या हार्ट फेल्योर. जबकि मौत की असल वजह कोरोना होती है.
जस्टिस शाह ने कहा कि अगर सरकार कोई भी स्कीम ऐसे लोगों के लिए लती है तो ये कैसे पता चलेगा कि मौत कोरोना संक्रमण से हुई है. ऐसा नहीं होने से कोई भी स्कीम का फायेदा नहीं ले पायेगा. सरकारी वकील ने कोर्ट को बताया कि डेथ सर्टिफिकेट पर वही लिखा जाता है जो ICMR की गाइडलाइंस है. कोरोना को लेकर कोई नियम नहीं बना है
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