भोपाल: भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मप्र सरकार द्वारा 31 जुलाई 2025 को विधानसभा में पारित मप्र श्रम विधियां संशोधन और प्रकीर्ण उपबंध विधेयक को स्वीकृति दे दी है, जो अब एक कानून के रुप में पूरे प्रदेश में लागू हो गया है। इस नये कानून के तहत, अब सभी प्रकार के उद्योगों में तालाबंदी एवं हड़ताल की पूर्व सूचना देना अनिवार्य होगा। इसके लिये औद्योगिक विवाद अधिनियम 1947 में उक्त नये कानून के अंतर्गत बदलाव हो गया है। दरअसल, पहले प्रावधान था कि श्रमिकों द्वारा किसी हड़ताल पर जाने और नियोजकों द्वारा तालाबंदी से पूर्व सूचना पत्र दिया जाना केवल लोक उपयोगी सेवाओं में ही अनिवार्य है।
इसलिये बदलाव कर लोक उपयोगी सेवाओं के साथ औद्योगिक स्थापना भी जोड़ दिया गया है। इससे समस्त औद्योगिक स्थापनाओं में किसी हड़ताल या तालाबंदी से पूर्व सूचना-पत्र दिए जाने का उपबंध लागू हो गया है। नये कानून में कहा गया है कि प्रबंधकों और श्रमिकों को ऐसी हड़तालों और तालाबंदी से संबंधित मुददों और विवादों के हल के लिए, उचित कदम उठाने हेतु पर्याप्त समय मिलेगा जिससे समस्त औद्योगिक स्थापनाओं में औद्योगिक शांति और समन्वय बना रहेगा और परिणामस्वरुप सभी औद्योगिक क्षेत्रों में निवेश के लिए बेहतर वातावरण निर्मित होगा तथा अधिक रोजगार अवसर भी सृजित होंगे।
ये भी हुये बदलाव:
नये कानून के अंतर्गत ठेका श्रम ( विनियमन और उत्सादन) अधिनियम, 1970 में यह बदलाव हो गया है कि अब 50 से कम ठेका श्रमिक नियोजित करने वाले ठेकेदारों को पंजीयन आदि संबंधी श्रम अधिनियमों का पालन नहीं करना होगा। पहले 20 या अधिक ठेका श्रमिकों को पंजीयन आदि श्रम कानूनों का पालन करना होता था। परिणामस्वरूप जहां 50 से कम ठेका श्रमिकों को नियोजित करने वाले छोटे ठेकेदारों एवं प्रमुख नियोजकों को अनावश्यक रूप से ठेका श्रम अधिनियम की प्रक्रियाओं एवं उपबंधों का पालन करना अपेक्षित नहीं होगा, वहां प्रमुख नियोजक अपनी स्थापनाओं में श्रमिकों को प्रत्यक्ष रूप से नियोजित करने के लिए प्रोत्साहित होंगे।
इसी प्रकार, नये कानून में कारखाना अधिनियम, 1948 में भी बदलाव हो गया है जिसके तहत अब शक्ति से संचालित विनिर्माण परिसर में नियोजित 20 या इससे अधिक श्रमिकों तथा गैर शक्ति से संचालित विनिर्माण परिसरों में नियोजित 40 या इससे अधिक श्रमिकों का नियोजन होने पर कारखाना अधिनियम के तहत पंजीयन कराना होगा। पहले प्रावधान था कि शक्ति से संचालित कारखाने में 10 और गैर शक्ति से संचालित कारखाने में 20 श्रमिकों तक नियोजन होने पर पंजीयन का उपबंध था। नये प्रावधान से 10 से 20 तक श्रमिक नियोजित करने वाली छोटी विनिर्माण इकाइयों को अनावश्यक रूप से उक्त कारखाना अधिनियम की प्रक्रियाओं एवं उपबंधों के पालन करने की आवश्यकता नहीं होगी। ये सभी बदलाव केंद्र सरकार के आग्रह पर मप्र सरकार द्वारा किये गये हैं।
डॉ. नवीन आनंद जोशी