वीर आसन- एक नायक मुद्रा, बालासन- बाल मुद्रा,अंजनेय आसन- अभिवादन मुद्रा: आसन तीन लाभ अनेक   


स्टोरी हाइलाइट्स

पैर के एक पंजे को दूसरे पैर की जंघा पर रखें और दूसरा पैर पीछे की ओर मोड़ें। यही वीर आसन-पैर के दोनों पंजों को विपरीत पैर की जंघा पर रखें, यह..

वीर आसन- एक नायक मुद्रा, बालासन- बाल मुद्रा,अंजनेय आसन- अभिवादन मुद्रा: आसन तीन लाभ अनेक   संस्कृत में वीर का अर्थ है- नायक, बहादुर, योद्धा या समर्थ व्यक्ति। पैर के एक पंजे को दूसरे पैर की जंघा पर रखें और दूसरा पैर पीछे की ओर मोड़ें। यही वीर आसन-पैर के दोनों पंजों को विपरीत पैर की जंघा पर रखें, यह वीरासन है। आंतरिक भाग को छूना चाहिए तथा तलवे ऊपर की ओर होने चाहिए। हाथ घुटनों पर रखें और तर्जनी अंगुली और अंगूठे का घेरा बना लें और बाकी की शेष अंगुलियां सीधी रखें। ये भी पढ़ें.. 10 मिनट के ये योग आसन : चुस्त दुरुस्त रखेंगे आपको विधि- 1. फर्श पर घुटनों के बल बैठ जाएं। 2.घुटनों को मिलाए रखते हुए पंजों को धीरे-धीरे थोड़ा दूर करें और कूल्हों को जमीन पर रखें। जंघा का बाहरी भाग पिंडलियों के पास रखे।  3.धीरे धीरे गहरी सांस लें और छोड़ें। 4.धीरे-धीरे सांस लें और हाथ सीधे सिर के ऊपर ले जाकर अंगुलियों को आपस में फंसाकर हथेलियों को ऊपर की ओर रखें। इस अवस्था में 6 बार सांस लें और छोड़ें। 5.धीरे-धीरे सांस छोड़ते हुए अंगुलियां खोल दें और कमर से आगे की ओर झुकें। हथेलियों को तलवों पर तथा ठोड़ी को घुटनों के बीच रखें। 6. इस अवस्था में 6 गहरी सांस लेने और छोड़ने तक रुकें। गहरी सांस लें, सीना फुलाएं, पैरों को सीधा आगे की ओर फैलाएं तथा हथेलियों को जंघा पर रखें। यह आसन पद्मासन, सिद्धासन, अन्य बैठने वाले आसन, प्राणायाम आदि का विकल्प है। सुप्त वीरासन उदर की मांसपेशियों को तनाव प्रदान करता है तथा पैरों के दर्द से राहत दिलाता है। पूर्व की तरह विधि दोहराते हुए पीछे की ओर झुकें। पीठ को जमीन पर टिका दें। हाथों को सीधे तानते हुए कंधों के ऊपर ले जाकर सीधा फर्श पर रखें। ये भी पढ़ें.. इन योग आसनों से हर रोग हो जाता है दूर: क्रियाएं जो हमें शतायु बनाती हैं| बालासन- बाल आसन:- संस्कृत में बाल का अर्थ है- बच्चा। विधि- 1. फर्श पर घुटनों के बल बैठे व कूल्हों को तलवों तथा एड़ी पर रखें। घुटनों को दूर-दूर करें। हाथों को जंघा पर रखें। (यह वज्रसान है। ) 2. गहरी सांस लें और छाती को दोनों घुटनों के बीच तथा हाथों को आगे की ओर लाते हुए सांस छोड़े। 3. माथे को जमीन पर टिका दें, हाथों को गोल घुमाकर पीछे ले जाकर पैरों पर रखें, हथेलियां ऊपर की ओर होनी चाहिए। 4. इसी अवस्था में सामान्य रूप से सांस लेते हुए 1-2 मिनट रुकें। इसके बाद प्रारंभ की अवस्था में आ जाएं, घुटने के बल बैठे, पीठ सीधी रखें व हाथ जंघा पर रखे हुए। 5. इस आसन को दुबारा दोहराएं। बालासन सबसे अधिक आराम देने वाला आसन है और इसे नए-नए योगा करने वाले व्यक्ति भी आसानी से कर सकते हैं। यह कंधे, गर्दन, पीठ और जंघा की मांसपेशियों के लिए लाभदायक है। ये भी पढ़ें.. योग के रहस्य: सिर्फ आसन ही नहीं है योग? योगावस्था क्या है? What is Yoga and what is the real meaning of Yoga? अंजनेय आसन- एक अभिवादन मुद्रा:- विधि- 1. वज्रासन में बैठें। 2. घुटने के बल खड़े हो जाएं, जिससे आपकी पीठ, कूल्हे और जंघा एक सीध में आ जाएं। 3. बायां पैर आगे की ओर सीधा करें (ताने) और बाएं पंजे को 90 अंश का कोण बनाते हुए जमीन पर टिकाएं। 4. दोनों हथेलियों को एक साथ हृदय प्रदेश पर अंजली मुद्रा में रखें। 5. दोनों हथेलियों को जोड़े हुए हाथ ऊपर करें तथा सिर को झुकाकर, ऊपर की ओर देखें। 6. धीरे-धीरे पीछे की ओर झुकें और हाथों को भी जोड़े हुए पीछे की ओर ले जाएं तथा दाएं पैर को सीधा तानें। जब तक संभव हो, इस अवस्था में सामान्य रूप से सांस लेते हुए रुकें। 7. धीरे-धीरे वज्रासन अर्थात प्रारंभ की अवस्था में आ जाएं। अंजनेय आसन में बहुत से आसन और मुद्राएं सम्मिलित हैं। यह पृष्ठ, हाथ, वक्ष, पैर, कूल्हे आदि की समस्याओं में प्रभावी आसन है। नियमित अभ्यास से एकाग्रता और संतुलन में सुधार होता है। ये भी पढ़ें.. क्या आसन ही योग है ? योग का सही अर्थ क्या है? योग से क्या प्राप्त होता है? P अतुल विनोद इस आसन को प्रशंसा और भक्तिभाव से करना चाहिए। अंजली मुद्रा के समय शांतचित रहें तथा आकाश की ओर हाथ ले जाते हुए मन में प्रशंसा का भाव रखें। इस आसान के दौरान अपने शरीर मस्तिष्क तथा हृदय को विस्तृत महसूस करें, जीवन की पवित्रता को पहचानें।