स्टोरी हाइलाइट्स
एक देश का राजा समय-समय पर जंगलों की सैर करने निकलता था| राजा वन विहार पर एक नदी के किनारे घूम रहा था तभी उसे संत की कुटिया दिखाई दी|.....paras stone
खुद पारस कैसे बनें? .................Where should we find a paras stone/touch stone?..... P ATUL VINOD
एक देश का राजा समय-समय पर जंगलों की सैर करने निकलता था| राजा वन विहार पर एक नदी के किनारे घूम रहा था तभी उसे संत की कुटिया दिखाई दी| राजा को पता चला की उसमे एक संत रहते हैं|
कुटिया बहुत जर्जर दिखाई दे रही थी| राजा ने अपने दूत को कुछ धनराशि देकर उस कुटिया के अंदर बैठे संत को देकर आने को कहा| संत ने उस दूत से धन राशि लेने से इनकार कर दिया| राजा ने सोचा कि शायद संत को बुरा लग गया कि दूत के हाथ ही धन भेजा है इसलिए वो खुद ही संत से मिलने पहुंचा|
राजा ने अपने हाथों से संत को धन राशि भेंट करते हुए कहा कि ये आपकी जरूरतों की पूर्ति के लिए है आप इस निर्जन वन में अकेले रहते हैं तो आपको अपने गुजारे में राशि काम आएगी|
संत ने राशि लेने से इनकार कर दिया| राजा ने सोचा कि राशि शायद कम है, इसलिए संत इंकार कर रहे हैं| उसने अपने दूतों से राजमहल से और धनराशि बुलवाई|
संत ने कहा महराज मुझे कुछ भी नहीं चाहिए| मेरी ज़रूरतों के लिए मेरे पास पर्याप्त धन है| राजा आश्चर्यचकित था क्योंकि कुटिया में ऐसा कुछ भी नहीं था जो धन से खरीदा गया हो|
कुटिया में सिर्फ दरिद्रता थी | राजा ने कहा यहाँ तो कुछ भी नहीं है| संत बोले मेरे पास जो है वह दिखाने के लिए नहीं है| मेरे पास गुप्त धन है| लोगों को पता नहीं चले इसलिए मैं इतनी दरिद्रता में रहता हूं| राजा ने आश्चर्य से भर कर कहा ऐसा क्या है आपके पास? मुझे तो कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा|
साधु बोले मेरे पास पारस पत्थर है मैं जिससे लोहे को भी सोना बना सकता हूँ|
राजा के मन में लालच पैदा हो गया| जैसा कि अक्सर होता है हमें कोई भी शॉर्टकट दिखाई देता है तो हम लालच में आ जाते हैं| भले ही हम ऊपर से ईमानदार दिखाई दें लेकिन मौका मिलते ही हम बेईमानी करने से नहीं चूकते| इसीलिए कहा जाता है कि ईमानदार सिर्फ वही है जिसे मौका नहीं मिला|
राजा के मन में भी बेईमानी घर कर गई| राजा ने सोचा कि ये पारस पत्थर मुझे संत से हर हाल में लेना है|
राजा साधू के चरणों में बैठ गया और बोला की महाराज आपके पास जो पारस पत्थर है उसका एक छोटा सा टुकड़ा मुझे दे दीजिए| मैं उस टुकड़े से लोहे से सोना बनाकर जनकल्याण करूंगा|
साधु ने कहा ठीक है मैं तुम्हें पारस पत्थर का टुकड़ा दे दूंगा| लेकिन ये पारस तभी काम करेगा जब तुम 1 साल तक रोज़ मेरे पास आकर ध्यान करो|
राजा लालच में रोज साधु के पास पहुंचता| साधु उसे ध्यान कराते ज्ञान की कुछ बातें बताते|
साधु ने कहा अब समय आ गया है कि तुम्हें पारस पत्थर दे दिया जाए| लेकिन राजा ने कहा कि प्रभु अब मुझे पत्थर के टुकड़े से क्या लेना देना| मैं तो खुद ही पारस बन गया| एक साल में राजा को आत्मज्ञान हो चुका था |
हम सब भी पारस बन सकते हैं| हमारी आत्मा जड़ से जुड़कर पत्थर के सामान हो गयी है| ध्यान साधना और सत्संग से आत्मा आवरण से मुक्त होकर पारस बन जाती है|