भोपाल: वन मंत्री रामनिवास रावत के चुनाव हारने और त्याग-पत्र देने के बाद से नए वन मंत्री की तलाश अभी पूरी नहीं हुई है। वन मेले में समापन अवसर पर मुख्य अतिथि बनाए जाने से नई चर्चा शुरू गई है कि दो बार वन मंत्री रह चुके विजय शाह को एक बार फिर वन मंत्रालय मिलेगा। वैसे भी आदिम जाति कल्याण मंत्री डॉ विजय शाह को वन मंत्रालय संचालित करने सबसे लंबा अनुभव है।
लघु वनोपज संघ द्वारा 7 दिवसीय आयोजित अंतर्राष्ट्रीय वन मेले का समापन मंगलवार को हुआ। अब तक संपादित वन मेले का समापन राज्यपाल द्वारा ही किया जाता रहा है। परंपरा से अलग हटकर लघु वनोपज संघ की प्रबंध संचालक डॉ समिता राजौरा ने आदिम जाति कल्याण मंत्री डॉ विजय शाह को मुख्य अतिथि बनाकर एक नई बहस को हवा दे दी कि संभावित मंत्रिमंडल विस्तार में आदमी जाति कल्याण विभाग के साथ-साथ वन मंत्रालय भी डॉ शाह को दिया जा सकता है।
वैसे भाजपा सरकार में निमाड़ के कद्दावर आदिवासी नेता विजय शाह इकलौते ऐसे मंत्री हैं, जो दो बार वन मंत्रालय संभाल चुके हैं। यही नहीं दो टर्म को मिलाकर उनके पास कुल 5 साल तक जंगल महकमा रहा है। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि भाजपा सरकार में चौधरी चंद्रभान सिंह, ढाल सिंह बिसेन, राजेंद्र शुक्ला और सरताज सिंह जैसे नेता मंत्री बने किंतु सबसे अधिक कार्यकाल डॉ विजय शाह का रहा है। मुख्यमंत्री मोहन यादव अपने मंत्रिमंडल में नागर सिंह चौहान को वन मंत्रालय दिया था किन्तु कटनी जिन्ना खदान विवाद के चलते उनसे वन विभाग ले लिया था।
2.5 करोड़ रुपये की जड़ी-बूटियों और वन उत्पाद बीके
अंतर्राष्ट्रीय वन मेला ने 7 दिन में 2.5 करोड़ रुपये की जड़ी-बूटियों और वन उत्पाद बेचे गये। मेले हुई बॉयर-सेलर मीट में भी कुल 5 करोड़ रुपये के सौदे हुए।मेले का समापन मंगलवार शाम को जनजातीय कार्य, लोक परिसम्पत्ति प्रबंधन, भोपाल गैस त्रासदी राहत एवं पुनर्वास मंत्री डॉ. कुंवर विजय शाह और वन एवं पर्यावरण राज्य मंत्री श्री दिलीप अहिरवार ने किया। समापन समारोह को संबोधित करते हुए मंत्री डॉ. कुंअर विजय शाह ने कहा कि वन मेले और वहां आयोजित बॉयर-सेलर मीट वनवासियों को बिचौलियों के शोषण से बचा कर उत्पादों का सीधा लाभ दिला रहे हैं। इससे वन मेले की थीम ‘समृद्ध वन-खुशहाल जन’ की भावना का भी निर्वाह हो रहा है।
मंत्री डॉ. शाह ने मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व की सरहाना करते हुए बताया कि मध्यप्रदेश पहला राज्य है जो श्री-अन्न पर एमएसपी के साथ ही एक हजार रुपए की अतिरक्त प्रोत्साहन राशि भी प्रदान कर रहा है। इससे वनवासी जनजातीय समुदाय आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बन रहा है। इस अवसर पर राज्य मंत्री श्री अहिरवार ने बताया कि मेले में वन उत्पादों के व्यापार के साथ ही आयुर्वेद को भी बढ़ावा दिया जा रहा है। राज्य मंत्री श्री अहिरवार ने बताया कि मुख्यमंत्री डॉ. यादव के निर्देश पर अगला वन मेला महाशिवरात्रि पर उज्जैन में आयोजित किया जाने का निर्णय लिया गया है। उन्होंने कहा कि यह मेला मुख्यमंत्री डॉ. यादव की विशेष रुचि और प्रोत्साहन से बेहद खास बन गया।
गणेश पाण्डेय