श्रद्धांजलि: जाने वेद मेहता के बारे में .....दृष्टिहीनता के बाद भी लिखते थे किताब...


स्टोरी हाइलाइट्स

Writer Ved Mehta died at the age of 86, used to write the book even after blindness.

भारत में ऐसी कई कहानियाँ या किरदार है जो हमे अपनी और आकर्षित करते है क्योंकि उनमे कुछ न कुछ ऐसा छुपा हुआ रहता है जिसे हम देख तो नहीं सकते पर जब हम उनके बारे में पढते है तो हमे पता लगता है कि उनके जीवन से  हम बहुत कुछ सीख सकते है. ठीक इसी तरह की खूबियों को अपने अंदर रखते थे भारतवंशी लेखक वेद मेहता जिनका 86 वर्ष की उम्र में निधन हो गया. मशहूर भारतवंशी लेखक वेद मेहता ने अपनी दृष्टिहीनता के बाद भी खुद को कभी कमज़ोर नहीं समझा और अंतिम समय तक अपनी लेखन के कारण मशहूर लेखक में अपना नाम बनाए रखा. उनके लेखन का प्रभाव इतना ज्यादा है की उन्होंने अपनी लेखन की रचनाओ से अमेरिकी लोगो को भी भारत का परिचय दिया. एक पत्रिका ने उनके निधन की सूचना शनिवार को दी. जिस पत्रिका ने उनके निधन की सूचना दी वह ख़ुद भी उस पत्रिका में करीब 30 सालों तक जुड़े रहे. उनका शनिवार सुबह 86 साल की उम्र में निधन हो गया. उनका जन्म पंजाबी परिवार में हुआ जो लाहौर में रहता था काफी कम उम्र में ही बीमारी के कारण उन्होंने अपनी आखों की रोशनी खों दी. हम सभी लोग लगातार अपने आसपास ऐसे कई लोंग देखते है जो अपनी शारीरिक कर्मी के कारण खुद को पूरी तरह से कमज़ोर समझने लगते है, लेकिन मेहता ने कभी भी अपने अंदर इस कर्मी को आने ही नहीं दी. उनकी दृष्टिहीनता के बाद भी उन्होंने देश और विदेश की खूबियों को बड़ी ही सटीकता के साथ लिखा. दृष्टिहीनता की बजह से उनके शुरुआती संधर्ष पर आधारित उनका संस्मरण ‘कॉन्टीनेंट्स ऑफ एक्जाइल’ बहुत लोगप्रिय हुआ और उसका पहला शब्द ‘डैडीजी’ काफी लोकप्रिय भी हुआ. उन्होंने अपने जीवन में 24 किताबे लिखी जो काफ़ी लोगप्रिय हुई, उन्होंने ‘वाकिंग द इंडियन स्ट्रीट्स’ (1960), ‘पोर्टेट ऑफ इंडिया’ (1970) और ‘महात्मा गांधी एंड हिज अपासल’ (1977) जेसी शानदार किताबे लिखी. मेहता काफी कम उम्र में ही अमेरिका चले गए थे और उन्होंने लिट्ल रॉक के अरकंसास स्कूल फॉर द ब्लाइंड से अपनी पढाई शुरू की और उन्होंने अपना ग्रेजुएशन पोमोना कॉलेज और ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से किया और उसके बाद उन्होंने अपनी दृष्टिहीनता के बाद भी लेखन में अपना कारिअर बनाया.