जानिए मेनोपॉज क्या है, इसके कारण, साइड इफेक्ट जो हर महिला को क्या पता होना चाहिए


स्टोरी हाइलाइट्स

पेरिमेनोपॉज का अर्थ होता है मेनोपॉज (रजोनिवृत्ति यानी पीरियड्स का बंद होना) के आसपास। यह मेनोपॉज के पहले का वक्त होता है। पेरिमेनोपॉज एक प्रकार से ट्रांजीशनल पीरियड है।

आजकल महिलाएं 40 साल की उम्र में मेनोपॉज की प्रक्रिया से गुजरती हैं और इसका सीधा असर उनकी सेहत पर पड़ता है। जानें इससे जुड़ी खास बातें।

पेरिमेनोपॉज हार्मोनल बदलाव है, डरें नहीं बहादुरी से निपटें..

Perimenopause: Symptoms, Treatments, Weight Gain, and More

प्री मेनोपॉजल सिम्टम्स या मेनोपॉज के पहले आने वाले लक्षण..

मेनोपॉज महिलाओं के जीवन में महत्वपूर्ण पड़ाव होता है, जिसमें वे शारीरिक एवं मानसिक बदलावों के दौर से गुजरती हैं। लेकिन इस पड़ाव के पहले भी एक अवधि होती है, जिसके दौरान वे सारे बदलाव होते हैं, जो मेनोपॉज की ओर ले जाते हैं। इसे ही पेरिमेनोपॉज कहते हैं। यह ऐसी अवधि है, जिसके बारे में महिलाओं में बहुत ज्यादा जागरूकता नहीं है। इसके बारे में ज्यादा बात भी नहीं होती। पेरिमेनोपॉज, मेनोपॉज जितना ही जरूरी है। आज आपको इसी के बारे में बता रहे हैं। 

क्या है पेरिमेनोपॉज:

पेरिमेनोपॉज का अर्थ होता है मेनोपॉज (रजोनिवृत्ति यानी पीरियड्स का बंद होना) के आसपास। यह मेनोपॉज के पहले का वक्त होता है। पेरिमेनोपॉज एक प्रकार से ट्रांजीशनल पीरियड है। इस दौरान शरीर में एंडोक्रिनोलॉजी, शारीरिक और मनोवैज्ञानिक परिवर्तन आते हैं। पेरिमेनोपॉज औसतन 47 साल की उम्र में होता है और इसकी औसत अवधि 4 साल की होती है। मेयो क्लिनिक के अनुसार अगर आपको 12 महीने तक लगातार पीरियड्स नहीं आते हैं तो आपकी पेरिमेनोपॉज की अवधि समाप्त हो चुकी है।

इसके बारे में जानना इसलिए जरूरी:

मेनोपॉज के बारे में जानकर आप खुद को इस स्थिति के लिए तैयार कर सकती हैं। शरीर में एकदम से होने वाले बदलाव कष्टकारी और परेशान करने वाले होते हैं। एक अच्छे शारीरिक और सामाजिक जीवन के लिए इसे सहने की तैयारी होना जरूरी है। इसके लिए अपने डॉक्टर की मदद लें। इस समय इलाज शुरू किया जा सकता है। इस दौरान ही हार्मोन थेरेपी के फायदों और जोखिमों की भी चर्चा कर लेनी चाहिए। यह भी पता करना चाहिए कि पीरियड्स की अनियमितता रजोनिवृत्ति की वजह से है या इसके पीछे कोई और कारण तो नहीं।

ऐसे पहचान सकती हैं इस अवधि को..

पेरिमेनोपॉज में ओवेल्यूशन (अंडोत्सर्ग) साइकिल में बदलाव से लेकर मासिक धर्म का बंद होना और इससे जुड़ी अनियमित ब्लीडिंग होना तक शामिल होता है। लगभग 75 फीसदी महिलाओं में इसका सबसे पहला संकेत पीरियड्स की अनियमितता ही होता है। इसके अलावा रात में पसीना आना, नींद न आना, गुप्तांग में खुजली या सूखापन, मूड स्विंग, थकान आदि होने का मतलब भी पेरिमेनोपॉज की स्थिति हो सकती है। इन सभी लक्षणों की आवृत्ति, गंभीरता और शुरुआत अलग-अलग हो सकती है। खासतौर पर पसीना आने और नींद खराब होने से चिड़चिड़ापन और ध्यान एकाग्र न हो पाने की शिकायत हो सकती है।

पेरिमेनोपॉज की तकलीफ कम करने के लिए टिप्स..

पेरिमेनोपॉज की अवधि को कम कष्टकारी बनाने के लिए कुछ उपाय किए जा सकते हैं। डाइट में कैल्शियम युक्त भोजन जरूर शामिल करें। सब्जियां और फाइबर युक्त भोजन भी डाइट में शामिल करें। खाने में प्रोटीन की मात्रा ज्यादा रहे और फैट व कार्बोहाइड्रेट की कम। पर्याप्त नींद लें। कैफीन और शराब का सेवन न करें। पर्याप्त मात्रा में पानी पीना भी जरूरी है। 

एक्सरसाइज करें और स्ट्रेस कम करने के लिए योग और ध्यान अपनाएं। किसी भी तरह की दवा डॉक्टर की सलाह के बिना न लें। डॉक्टर के कहने पर हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी ली जा सकती है। मूड स्विंग, डिप्रेशन और चिड़चिड़ापन के लिए डॉक्टर की सलाह पर एंटीडिप्रेसेंट्स दवाएं ले सकती हैं।