विश्व के प्राचीनतम लोकतंत्र एवं सबसे बड़े लोकतंत्र भारत के राष्ट्रपति चुनाव पर दुनिया भर के देशों की नजरें लगी हुई हैं..!
लेखक-सत्येंद्र जैन
चंद दिनों में भारत के प्रथम नागरिक,राष्ट्रपति का चुनाव हो जाएगा एवं मतगणना का परिणाम भी आ जाएगा। विश्व के प्राचीनतम लोकतंत्र (मदर ऑफ डेमोक्रेसी) एवं सबसे बड़े लोकतंत्र भारत के राष्ट्रपति चुनाव पर दुनिया भर के देशों की नजरें लगी हुई हैं। रोमांच बना हुआ है।
यही लोकतंत्र का सौंदर्य है कि एक और जहां सबसे पहले विपक्ष ने यूपीए की ओर से अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं पूर्व भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी यशवंत सिन्हा को प्रत्याशी घोषित किया है। विपक्ष के इन प्रमुख दलों में कांग्रेस, टीएमसी, आम आदमी पार्टी, टीआरएस, सपा, पीडीपी, नेशनल कॉन्फ्रेंस, डीएमके एनसीपी आदि दलों का समर्थन प्राप्त है।
वहीं दूसरी ओर भारतीय जनता पार्टी के पार्लियामेंट्री बोर्ड जिसमें राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सम्मिलित हैं। भाजपा संसदीय बोर्ड ने विस्मयकारी, चमत्कारी, अविश्वसनीय अकल्पनीय निर्णय लेते हुए झारखंड की पूर्व राज्यपाल, उड़ीसा की पूर्व मंत्री,अनेक बार की विधायक रही श्रीमती द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति पद के लिए एनडीए की ओर से प्रत्याशी घोषित किया है। वे किसी भी भारतीय राज्य की पूर्णकालिक राज्यपाल बनने वाली पहली जनजातीय महिला भी हैं।
द्रौपदी मुर्मू के नाम की घोषणा होते ही विपक्षी दलों के अंदर भूचाल आ गया। उनका दम फूलने लग गया है। वह इस प्रकार के अप्रत्याशित निर्णय की कल्पना नहीं कर रहे थे। लेकिन भाजपा के रणनीतिकारों ने अचंभित निर्णय लेकर, भारत के जनजाति वर्ग से देश की स्वतंत्रता के अमृत काल मे पचहत्तर वर्ष बाद प्रथम राष्ट्रपति निर्वाचित होने का द्वार खोला है। द्रौपदी मुर्मू जो जनजाति वर्ग के संथाली समाज से आती हैं।
उन्होंने उड़ीसा, झारखंड के लोगों के लिए एवं जनजाति क्षेत्रों में अनेकों कल्याणकारी योजनाओं, कार्यक्रमों को जमीनी स्तर पर लागू कर लाभ पंहुचाया है। वह करोड़ों देशवासियों के सम्मान का प्रतीक हैं। देश के करोड़ों जनजातीय नागरिकों का गौरव हैं।देश की आधी आबादी महिला अस्मिता, महिला सशक्तिकरण की प्रतिमान हैं।
उनके नाम पर जिस प्रकार से एनडीए को समर्थन का परिमाण बढ़ता जा रहा है वहीं यूपीए प्रत्याशी का घटता जा रहा है। सांसद और विधायकों का अंतरात्मा की आवाज पर क्रास वोटिंग का संकट बढ़ता जा रहा है। राजनीतिक विशेषज्ञ
अनुमान लगा रहे हैं कि द्रौपदी मुर्मू के दो तिहाई बहुमत से अधिक से विजयी होने की प्रबल संभावना है। विजय के लिए आवश्यक मतों का प्रबंधन एनडीए सरकार ने पहले ही कर लिया था।
कांग्रेस के अनेक नेता जिनमें आचार्य प्रमोद कृष्णन भी सम्मिलित हैं वह स्पष्टतः कह रहे हैं कि कांग्रेस को द्रौपदी मुर्मू का विरोध नहीं करना चाहिए। कांग्रेस के अजोय कुमार ने तो द्रौपदी मुर्मू को बुरी प्रवृत्ति (इविल फिलोसोफी) का प्रत्याशी बता दिया। मीडिया ख़बरों के अनुसार टीएमसी सुप्रीमो और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी स्वीकार किया कि यदि पता होता कि भाजपा द्रौपदी मुर्मू को चुनाव में उतार रही है तो यशवंत सिन्हा को नहीं लड़ाते और पश्चिम बंगाल में प्रचार करने से रोक दिया है।
झारखंड में कांग्रेस के साथ सरकार चला रहे मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की पार्टी झारखंड मुक्ति मोर्चा ने द्रौपदी मुर्मू को समर्थन दे कांग्रेस को अवाक् कर दिया है। महाराष्ट्र में कांग्रेस ,एनसीपी के सहयोगी रहे पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के शिवसेना के धड़े ने भी समर्थन देकर महा विकास आघाड़ी को चौंका दिया है।
बसपा ने भी मुर्मू का समर्थन किया है। उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी के सहयोगी ओमप्रकाश राजभर ने भी मुर्मू को समर्थन देकर सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव को स्तब्ध किया है। यदि द्रौपदी मुर्मू विजयी होती हैं तो देश की जनजाति समाज से आने वाली प्रथम राष्ट्रपति एवं दूसरी महिला राष्ट्रपति बनने का गौरव प्राप्त होगा। निर्वाचन का समय आते आते विपक्षी दलों में फूट खुलकर उजागर हो गई है।
मध्यप्रदेश में चुनाव प्रचार में आयीं तो भाजपा की संपूर्ण प्रदेश इकाई ने उनका स्वागत किया। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा, मप्र से आने वाले मोदी सरकार के मंत्रीगण ने अभूतपूर्व अभिनंदन किया।मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने और विष्णु दत्त शर्मा ने उन्हें प्रचंड बहुमत से विजयी बनाने का संकल्प लिया है। उन्हें शुभकामनाएं।