गुजरात के बाद कुछ अपराधी बाद में उत्तर प्रदेश के मेरठ व बिजनौर तथा अन्य राज्यों से पकड़े गये।
-राकेश दुबे
20/02/2022
निश्चित तौर पर ऐसी चुनौतियां हमारे सामने किसी भी वक्त में आ सकती हैं। हर नागरिक, राज्य और केंद्र सरकार को ऐसी सोच पर अंकुश लगाने का प्रयास करना चाहिए, जो निर्दोष के खून से खेलने में सुकून महसूस करती है। ऐसी सोच के खिलाफ सशक्त सामाजिक प्रतिरोध विकसित करने की जरूरत है। पुलिस प्रशासन को विशेष रूप से सतर्क रहते हुए ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के अतिरिक्त प्रयास करने होंगे। ऐसी घटनाओं में कहीं न कहीं हमारे खुफिया तंत्र की नाकामी की ओर भी इशारा साफ़ नजर आता है। इतने बड़े षड्यंत्र को आतंकी चुपचाप कैसे अंजाम देने में सफल रहे, और यह तंत्र समय रहते कुछ कर नहीं सका । निस्संदेह, बम धमाकों को अंजाम देने वाले संगठन के बारे में आम लोगों को तब ज्यादा जानकारी नहीं थी, मीडिया के जरिये संगठन ने भारत में अपनी उपस्थिति का इजहार किया था। शायद इन बम धमाकों को टाला जा सकता था |