प्रधानमंत्री मोदी के बारे में यह बात निश्चित रूप से कही जा सकती है कि वे जिस कार्य को करने का संकल्प लेते हैं उसे पूर्ण किए बिना चैन नहीं लेते। अध्यात्म से जुड़े प्रसंगों में प्रधानमंत्री मोदी सहर्ष अपनी उपस्थिति दर्ज कराते हैं ।
देश के सर्वाधिक लोकप्रिय राजनेता के रूप में नरेन्द्र मोदी ने साढ़े सात वर्ष पूर्व जब प्रधानमंत्री पद की बागडोर संभाली थी तब से अब तक की अवधि में उनके नाम ऐसी अनेकों उपलब्धियां दर्ज हो चुकीं हैं जो इतिहास के पन्नों में स्वर्णाक्षरों में अंकित किए जाने योग्य हैं परंतु उन ऐतिहासिक उपलब्धियों में भी कुछ विशिष्ट उपलब्धियों से प्रधानमंत्री मोदी के अगाध अध्यात्म प्रेम को उजागर करती हैं। उनके व्यक्तित्व का यह पहलू सहज ही इस सत्य को उद्घाटित कर देता है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के यशस्वी जीवन में अध्यात्म का स्थान सबसे ऊपर रहा है। अध्यात्म में उनकी आस्था ने ही उन्हें अद्भुत इच्छा शक्ति के वरदान का अधिकारी बनाया है और इसमें दो राय नहीं हो सकती कि उनके सफल राजनीतिक कैरियर में इस विलक्षण इच्छाशक्ति की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। प्रधानमंत्री मोदी के बारे में यह बात निश्चित रूप से कही जा सकती है कि वे जिस कार्य को करने का संकल्प लेते हैं उसे पूर्ण किए बिना चैन नहीं लेते। अध्यात्म से जुड़े प्रसंगों में प्रधानमंत्री मोदी सहर्ष अपनी उपस्थिति दर्ज कराते हैं । बहुधा ऐसे अवसरों पर प्रधानमंत्री को भावुक होते हुए भी देखा जा सकता है ।
विगत दिनों केदारपुरी में आदि गुरु शंकराचार्य की पुनर्निर्मित समाधि स्थली के लोकार्पण और 12 फुट ऊंची भव्य प्रतिमा के अनावरण समारोह के अवसर पर जब वह संपूर्ण राष्ट्र को संबोधित कर रहे थे तब भी प्रधानमंत्री इसी तरह भावुक हो गए। गौरतलब है कि 2013 में उत्तराखंड में आई भीषण बाढ में केदारपुरी स्थित आदि गुरु शंकराचार्य का समाधि स्थल क्षतिग्रस्त हो गया था ।उस समय नरेन्द्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री पद पर आसीन थे ।2014 में प्रधानमंत्री पद की बागडोर संभालने के बाद बाद से मोदी केदारपुरी में आदिगुरु शंकराचार्य की समाधि स्थली के पुनर्निर्माण एवं नवीन भव्य प्रतिमा की स्थापना के कार्य में व्यक्तिगत रुचि लेते रहे। केदारनाथ धाम में चल रहे निर्माण कार्यों का प्रधानमंत्री विगत वर्षों में नईदिल्ली से ड्रोन के जरिए न केवल सतत अवलोकन करते रहे बल्कि समय समय पर अपनी ओर से बहुमूल्य सुझाव भी देते रहे । यहां यह भी विशेष उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी विगत दिनों जब केदारनाथ धाम पहुंचे तो वह केदारनाथ धाम की उनकी पांचवीं यात्रा थी। इसी से प्रधानमंत्री मोदी की बाबा केदारनाथ में अटूट आस्था का अनुमान लगाया जा सकता है। भूमि की सतह से आठ फुट की गहराई पर नवनिर्मित समाधि स्थली में एक शिला पर बैठी हुई मुद्रा में आदिशंकराचार्य की भव्य प्रतिमा का अनावरण करने के बाद प्रधानमंत्री मोदी कुछ समय तक प्रतिमा के सामने एकांत में ध्यान साधना और मानस पूजा भी की । आदि शंकराचार्य की 12फुट ऊंची और 35 टन वजन की जिस भव्य प्रतिमा का अनावरण प्रधानमंत्री मोदी ने किया उसका निर्माण मैसूर के कलाकार अरुण योगीराज ने किया है ।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी केदारनाथ धाम की अपनी इस यात्रा के दौरान उस समय अत्यधिक भावुक हो गए जब आदिगुरु शंकराचार्य की नवनिर्मित समाधि स्थली के मार्ग में स्थित गरुडचट्टी की ओर उनकी निगाह गई। गौरतलब है कि राजनीति के क्षेत्र में प्रवेश करने के बाद 1985- 86 में मोदी ने लगभग एक वर्ष तक गरुडचट्टी की गुफा में भगवान शिव की एकांत साधना की थी। बताया जाता है कि मोदी उस समय रोज सुबह गरुडचट्टी से ढाई किलोमीटर पैदल चलकर केदारनाथ मंदिर तक जाते थे और केदार बाबा के दर्शन कर शाम को पैदल चलकर गरुडचट्टी स्थित गुफ़ा में लौट आते थे। प्रधानमंत्री केदारपुरी में आदिगुरु शंकराचार्य की नवंबर समाधि स्थली के लोकार्पण और आदिगुरु की भव्य प्रतिमा के अनावरण के पश्चात जब राष्ट्र को संबोधित कर रहे थे तब अतीत में गरुडचट्टी में हुई अनुभूति की स्मृतियों ने भी उन्हें भावुक कर दिया था। प्रधानमंत्री मोदी ने केदारधाम से अपने संबोधन के दौरान अपनी उन स्मृतियों को कुछ पलों के लिए देशवासियों के साथ साझा भी किया। केदारनाथ धाम में आयोजित इस भव्य आयोजन का लाइव प्रसारण की व्यवस्था होने से देश के विभिन्न भागों में स्थित 12 ज्योतिर्लिंग, आदिगुरु शंकराचार्य से जुड़े 87 धार्मिक स्थलों सहित अनेक शिवालय भी इस कार्यक्रम से जुड़ गए थे। इस अवसर पर विभिन्न प्रदेशों में स्थित प्रसिद्ध शिवालयों में पूजा अर्चना की गई। मध्य-प्रदेश की उज्जैन नगरी के महाकाल मंदिर में मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा ने पूजा अर्चना की।
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि भारत का पुराना सांस्कृतिक गौरव अब वापस अपने भव्य स्वरूप में लौट रहा है। एक समय था जब अध्यात्म और धर्म को रूढ़ियों से जोड़ कर देखा जाता था परंतु भारतीय दर्शन तो मानव कल्याण की भावना से ओत-प्रोत है । आदिगुरु शंकराचार्य ने अपना सर्वस्व त्याग कर समाज और मानव कल्याण के लिए कार्य करने वालों के लिए उत्कृष्ट परंपरा की शुरुआत की थी । उन्होंने इस सत्य को प्रत्यक्ष प्रमाणित किया कि जो कल्याण करे वही शंकर है। उन्होंने अपना संपूर्ण जीवन भारत और विश्व के कल्याण हेतु समर्पित कर दिया। प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में अयोध्या , मथुरा और काशी में जारी विकास कार्यों की चर्चा करते हुए कहा कि अयोध्या में दो दिन पूर्व संपन्न दीपोत्सव भारत के सांस्कृतिक गौरव की पुनर्स्थापना का परिचायक था। काशी में विश्वनाथ धाम में निर्माण कार्य प्रगति पर है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इस बात पर विशेष जोर दिया है कि हमें न ई पीढ़ी को भी हमारे प्राचीन सांस्कृतिक गौरव से परिचित कराना चाहिए। प्रधानमंत्री ने कहा कि इस सदी का तीसरा दशक उत्तराखंड का होगा। उत्तराखंड के सुनियोजित विकास से यहां से पलायन पर विराम लगेगा और उत्तराखंड का पानी और जवानी इस प्रदेश का ही अधिकार होगा।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने केदारधाम से संपूर्ण राष्ट्र को संबोधित करते हुए जो विचार व्यक्त किए उनके माध्यम से वे यह संदेश देना चाहते थे कि कम समय में भी कठिन लक्ष्य प्राप्त किए जा सकते हैं। केदारपुरी में जिस तरह अल्प समय में ही शंकराचार्य की समाधि स्थली के पुनर्निर्माण का कार्य संपन्न हुआ उससे यह साबित हो गया है ।